दिनेश शर्मा
Thursday 11 July 2013 11:37:23 AM
देहरादून। उत्तराखंड में राहत आपदा को लूटने का सुनियोजित षडयंत्र राज्य में अधिकारियों के तबादलों के रूप में सामने आ रहा है। पहाड़ में विनाशकारी जल और हिम प्रलय के बाद राहत एवं बचाव कार्यों के दौरान प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों एवं अधीनस्थ सेवा संवर्ग के अधिकारियों के जिस तरह तबादले हो रहे हैं, उससे पता चलता है कि यह जनहित में तबादलों के नाम पर किसी उच्चस्तरीय शह पर एक सिंडिकेट खड़ा किया जा रहा है, जो राहत के करोड़ों रूपयों को ठिकाने लगाने का सफलता से काम करेगा और जो श्रृंखलाबद्ध तरीके एवं चतुराई से आका के इशारों पर चलेगा। कहने वाले खुलकर कह रहे हैं कि पहाड़ पर आपदा क्या आई है, बहुगुणा के कुनबे की लाटरी लग गई है और हो ना हो इस प्राकृतिक आपदा से निपटने में विफलता के कारण विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हाथ भी धोना पड़ जाए।
उत्तराखंड सरकार के कार्मिक सचिव सुरेंद्र सिंह रावत की ओर से जारी तबादला आदेशपर जरा गौर कीजिए, जिन्होंने तबादला आदेश में साफ लिखा है कि राज्य में आयी दैवीय आपदा प्रभावित क्षेत्रों में आपदा राहत कार्यों के सुचारू संचालन हेतु तहसीलदार संवर्ग में कार्यरत अधिकारियों को आपदा राहत कार्यों तक अथवा एक वर्ष के लिए तैनात किया गया है। उत्तराखंड में आपदाग्रस्त इलाकों के पुनर्निमाण और राहत कार्यों को संभालने वाली इस टीम को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की ईमानदार बहिन और कांग्रेस की नेता रीता बहुगुणा जोशी और राज्य में भ्रष्टाचार की चौतरफा दुर्गंध फैलाते आ रहे उनके यशस्वी पुत्र साकेत बहुगुणा का आशीर्वाद प्राप्त है। यह वो टीम है, जिसके स्थलीय सत्यापन के बाद लाखों करोड़ों रूपयों के असली-फर्जी बाऊचर बनाने का मार्ग प्रशस्त होता है। कहते हैं कि इस राहत टीम में निष्ठावान, गुण-दोष और योग्यता के नाम पर अभी अनेक नाम जुड़ेंगे और हटेंगे भी।
शासन से जारी तबादला आदेश के अनुसार ऊधमसिंह नगर से ऋचा सिंह को डिप्टी कलेक्टर चंपावत, हल्द्वानी से अब्ज प्रसाद को डिप्टी कलेक्टर चमोली, रामनगर से विजय नाथ शुक्ल को डिप्टी कलेक्टर उत्तरकाशी, श्रीनगर से कुसम को डिप्टी कलेक्टर पौड़ी, सोनिया पत तहसीलदार पौड़ी को पौड़ी में डिप्टी कलेक्टर नियुक्त किया गया है। एमडीडीए देहरादून में तैनात मीनाक्षी पटवाल को देहरादून में ही डिप्टी कलेक्टर बनाया गया है। रिंकु नेगी को नैनीताल से अल्मोड़ा, सोहन सिंह को लक्सर से डिप्टी कलेक्टर हरिद्वार, सदर देहरादून में तैनात हरगिरी गोस्वामी को डिप्टी कलेक्टर उत्तरकाशी तथा नैनीताल से परितोष वर्मा को डिप्टी कलेक्टर टिहरी के पद पर तैनात किया गया है। कार्मिक विभाग ने इन सभी अधिकारियों को दैवीय आपदा के मद्देनजर तत्काल नवीन तैनाती स्थल योगदान करने के निर्देश दिए हैं। निष्ठावान अधिकारी-कर्मचारियों की ऐसी ही अभी और तैनातियां प्रतीक्षा में हैं। उत्तराखंड वन विकास निगम के अध्यक्ष एवं विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन को आपदा राहत कार्यों के पर्यवेक्षण के लिए जिला ऊधम सिंह नगर का सह प्रभारी बनाया गया है। वे 11 जुलाई से जिला ऊधमसिंह नगर का दौरा कर राहत कार्यों का जायजा लेंगे, साथ ही अधिकारियों से विवरण लेकर दिशा-निर्देशित करेंगे।
हर कोई कहता है कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की नहीं, अपितु उनकी बहिन और उत्तर प्रदेश में फ्लॉप रही कांग्रेस की नेता रीता बहुगुणा जोशी और उत्तराखंड राज्य में चौतरफा भ्रष्टाचार फैलाते आ रहे उनके यशस्वी पुत्र साकेत बहुगुणा एंड कंपनी की समानांतर सरकार चल रही है। इस सरकार को लोग एक सिंडिकेट के नाम से पुकारते हैं। वो कहते हैं कि विजय बहुगुणा का कोई भी राजनीतिक वजूद नहीं बचा है, उनकी ना तो अपनी सरकार में कोई हनक है और ना ही कांग्रेस संगउन में उनकी कोई सुनता या परवाह करता है, कदाचित इसीलिए मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए भी वे अपने घर की टीहरी लोकसभा सीट उपचुनाव में नहीं जीत पाए। उनका ही यही पुत्र साकेत बहुगुणा भाजपा के हाथों बुरी तरह से यह चुनाव हारा। उत्तराखंड में विजय बहुगुणा सरकार अब तक की सबसे निकृष्ट सरकार कही जाती है, जबकि उनके पिताश्री हेमवती नंदन बहुगुणा की गिनती देश के सर्वश्रेष्ठ शासनकर्ताओं में रही है।
दरअसल विजय बहुगुणा को लोग व्यक्तिगत रूप से एक अच्छा व्यक्ति तो मानते हैं, लेकिन एक नेता या कुशल और प्रभावशाली शासनकर्ता बिल्कुल नहीं मानते। वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनियां गांधी के मुंहलगी रीता बहुगुणा जोशी के अनुनय विनय से उत्तराखंड पर थोपे गए मुख्यमंत्री कहलाते हैं। उनके पुत्र साकेत बहुगुणा और बहिन रीता बहुगुणा जोशी की भ्रष्ट महत्वाकांक्षाओं के कारण ही विजय बहुगुणा एक सर्वाधिक विफल मुख्यमंत्री कहलाए जा रहे हैं, पहाड़ पर हुए विनाश से प्रारंभिक तौर पर निपटने में ही उनका शासन विफल हो गया है। यहां लोग पुनर्वास और राहत कार्यों के लिए बहुगुणा सरकार के नागरिक प्रशासन से नहीं, बल्कि सेना से पूरा पुनर्वास और राहत कार्य कराने की मांग कर रहे हैं। उत्तराखंड में प्रलय के बाद राहत कार्यों में नागरिक प्रशासन के विफल होने के संदेश से देशभर में विजय बहुगुणा सरकार की थू-थू हो रही है। अब तो उत्तराखंड में कांग्रेस के भीतर से ही नेतृत्व परिवर्तन तक की मांग उठ रही है। इस मांग के पीछे भी रीता बहुगुणा जोशी और साकेत बहुगुणा की भ्रष्ट कारगुजारियां ही मुख्यरूप से चर्चा में हैं और दूसरा मुद्दा आपदा राहत में नागरिक प्रशासन की पूरी तरह विफलता का जुड़ गया है, जिसमें यहां यह शोर मचाकर कहा जा रहा है कि बहुगुणा के कुनबे की आपदा राहत के लिए आए और आ रहे करोड़ों रूपए पर बुरी नज़र है, जिसके साफ संकेत भी मिल रहे हैं। आसन्न लोकसभा चुनाव को देखते हुए इन गंभीर तथ्यों की अनदेखी करना कांग्रेस नेतृत्व के लिए अब इतना आसान नहीं है।