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Sunday 21 July 2013 09:03:59 AM
देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भारी वर्षा से उत्पन्न जलभराव का समुचित प्रबंध नहीं होने का यह चित्र एक पुख्ता प्रमाण है। यदि जिला प्रशासन ने ऐसे हालातों से निपटने के लिए पूर्व में ही कोई ठोस कार्ययोजना बनाई होती तो जिलाधिकारी देहरादून बीवीआरसी पुरूषोत्तम को अपने प्रशासन तंत्र के साथ इस प्रकार जलभराव में नहीं उतरना पड़ता। शहर नियोजन में नागरिक सुविधाओं के प्रबंधन की एक बड़ी विफलता के रूप में इसे देखा जा सकता है। प्रश्न है कि देहरादून के संबंधित अधिकारी क्या करते रहे कि ये नौबत आई? ऐसा केवल यहां ही नहीं बल्कि देहरादून के सैकड़ों इलाकों का इससे भी बुरा हाल है, जहां हर साल करोड़ों रूपए बाढ़ और सीवर प्रबंध के नाम पर खर्च होते हैं। एक जिलाधिकारी अपने जिले का मुख्यमंत्री भी कहलाता है, उनके नियंत्रण में जिले का पूरा अमला होता है, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त देहरादून में अपना कुशल नागरिक प्रबंधन दिखाने और ऐसे गंभीर संकट से निपटने के लिए पूर्व से ही योजना बनाकर अपनी श्रेष्ठता साबित करने का अवसर मिला है, इसलिए एक बड़ा ही गंभीर सवाल उनसे जवाब मांग रहा है कि फिर वे क्यों इसमें विफल साबित हुए हैं? आखिर श्रेष्ठ प्रशासन और कुशल प्रबंधन की आशा आपसे नहीं तो किससे की जाए? कुछ अपवादों को छोड़कर आखिर वर्षा और बाढ़ को कितना दोषी ठहराया जाएगा?