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Wednesday 20 November 2013 09:04:41 AM
देहरादून। श्री केदारनाथ धाम में 16-17 जून 2013 को आई भयानक बाढ़ से यहां काफी नुकसान हुआ था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को श्री केदारनाथ मंदिर का पुनरुद्धार करने के लिए अनुरोध किया गया था, तदनुसार उसने अक्तूबर 2013 के दूसरे सप्ताह से इसके संरचनात्मक संरक्षण एवं रासायनिक परिरक्षण का जिम्मा लिया। पहले चरण में अब तक दक्षिणी, पश्चिमी और पूर्वी भाग में जमा कचरे का एक भाग हटा दिया गया है। मंदिर की दीवारों को हुई क्षति पर आवश्यक पत्थरों का कार्य कर दिया गया है। मंदिर के पश्चिमी भाग में क्षतिग्रस्त लकड़ी के दरवाजों को हटाकर समुचित दरवाजे लगाने का कार्य पूरा कर लिया गया है। गर्भगृह की दीवारों की करीब 9 फीट ऊंचाई तक सफाई कर दी गई है। भारतीय भू-विज्ञानी सर्वेक्षण (जीएसआई) दल ने भी साइट का आवश्यक जीपीआर सर्वेक्षण कर लिया है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण दल ने विषम जलवायु परिस्थितियों और बर्फबारी के होते हुए भी कार्य किया। दो नवंबर 2013 से बर्फबारी और अत्यंत ठंड होने के कारण संरचनात्मक संरक्षण एवं रासायनिक परिरक्षण का कार्य रोक दिया गया तथा परिरक्षण दल मंदिर से वापस लौट आया है। पांच नवंबर 2013 को मंदिर के दरवाजे पूजा के लिए बंद कर दिये गये हैं अत: मंदिर के दरवाजों पर कार्य करना संभव नहीं है। इस कार्य को शरद ऋतु के बाद बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के साथ आवश्यक विचार-विमर्श करने के बाद अगले वर्ष शुरू किया जाएगा। इसके लिए आवश्यक सामान, औजार और उपकरण आगामी वर्ष में खरीदे जाएंगे।
संरक्षण कार्य के दूसरे चरण में, मंदिर की आधारशिला की मरम्मत का कार्य, हट गये पत्थरों के स्थान पर इनके अनुरूप और तराशे गये पत्थरों को लगाने का कार्य किया जाएगा। मंदिर के आंतरिक भाग की सफाई का कार्य मार्बल की फ्लोरिंग को हटाने तथा गर्भागृह के अंदर देवदार लकड़ी का फर्श बिछाने का काम किया जाएगा। इसके साथ ही, मंदिर और इसके आस पास के वातावरण में सुधार करने का विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार तथा बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) को उनके मंजूरी के लिए संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के माध्यम से भेजा जाएगा।