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Sunday 31 August 2014 11:08:12 PM
देहरादून। पर्यावरण और विकास एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं, आम धारणा चाहे जो भी हो, लेकिन ये दोनों एक-दूसरे के विपरीत नहीं हैं। केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन और सूचना व प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रकाश जावड़ेकर ने यहां यह बात कही। जावड़ेकर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के भारतीय वन सेवा अधिकारी प्रशिक्षुओं के 2012-14 पाठ्यक्रम के सालाना दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। वन मंत्री ने 2012-14 बैच के 78 अधिकारी प्रशिक्षुओं को डिप्लोमा और पुरस्कार प्रदान किए। दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता महानिदेशक एवं पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में विशेष सचिव डॉ एस एस गरबयाल ने की।
प्रकाश जावड़ेकर ने युवा वन अधिकारियों से पूरी लगन के साथ समाज की सेवा करने की अपील की। उन्होंने कहा कि भारत में वन क्षेत्र को मौजूदा 24 फीसदी से बढ़ाकर 33 फीसदी करना है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को पाने के लिए वन अधिकारियों को नीति, प्रक्रिया और पहुंच के मामले में कुछ अनोखे कदम उठाने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि और ज्यादा ढांचागत सुविधाओं के बजाय हमें बड़ी संख्या में और प्राध्यापकों की जरूरत है। वन अधिकारियों को प्राध्यापक के तौर पर काम करने के लिए आगे आना चाहिए, ताकि युवा अधिकारियों को वे शिक्षित कर सकें।