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Saturday 14 March 2015 07:13:32 AM
कोलंबो। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज श्रीलंका के जाफना सांस्कृतिक केंद्र की आधारशिला रखी। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि भारत के प्रधानमंत्री के रूप में जाफना में पहली बार आना और यहां कोई भी कार्यक्रम न करता, सिर्फ इस धरती को नमन कर लेता, तो भी पूरे श्रीलंका में और पूरे विश्व में एक बहुत बड़ी घटना के रूप में माना जाता। प्रधानमंत्री ने कहा कि जाफना अपनी एक नई पहचान बना रहा है, जाफना से प्रेम के संदेश की एक नई खुशबू, पूरे विश्व को अनुभव हो रही है और ये मेरा सौभाग्य है कि शांति, भाईचारा, सद्भावना की इस खुशबू भरी हवा में मुझे भी सांस लेने का अवसर मिला है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री विगनेश्वर ने गुजरात को लेकर काफी तारीफ की है और भारत में इन दिनों जो कोऑपरेटिव फैडरेलिज़म पर बल देकर आगे बढ़ रहे हैं, उसकी सराहना की और भारत से उनकी क्या-क्या अपेक्षाएं हैं? उसका भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि श्रीलंका और भारत के संबंध विशिष्ट प्रकार के हैं, हम सिर्फ पड़ोसी हैं, ऐसा नहीं है, हम सांस्कृतिक रूप से एक-दूसरे से जुड़े हुए लोग हैं। जाफना के जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव आए हैं, बहुत कठिनाइयों का सामना यहां के लोगों ने किया है, यहां की विश्व प्रसिद्ध लाइब्रेरी, जिसमें करीब-करीब एक लाख उत्तम प्रकार के ग्रंथ, मैनस्क्रीप्ट्स यानि एक प्रकार से मानव जाति का अमूल्य खजाना जाफना के पास था, लेकिन वो सारा जल गया, खाक में मिल गया, आज फिर से एक बार काफी ग्रंथों को इकट्ठा कर लिया गया है, लाइब्रेरी को फिर से एक बार जीवंत किया गया है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि रोड बने, रेल बने, पोर्ट बने, एयरपोर्ट बने-ये सारी चीजें इंसान को जोड़ने के काम आती हैं, लेकिन लाइब्रेरी जब बनती हैं, किताब जहां होती हैं, वहां सदियों को जोड़ने का काम होता है, ये सदियों को जोड़ने का काम फिर से एक बार हुआ है और इसके लिए मैं जाफना के सभी महानुभाव का हृदय से अभिनंदन करता हूं। उन्होंने कहा कि आज मुझे खुशी है कि एक कल्चरल सेंटर के शिलान्यास के लिए मुझे यहां आने का सौभाग्य मिला है, इस कल्चरल सेंटर को बनाने में एक स्पर्धा की गई आर्किटेक्चर के संबंध में और स्पर्धा कर-करके तय हुआ कि कौन-सा डिजाइन हो? और ये भी देखा गया कि जाफना की परंपराओं की उसमें अभिव्यक्ति हो और जो वीडियो वॉकथ्रो दिखाया गया है, उससे साफ नज़र आता है कि पुराने और नए का कितना अद्भुत संगम किया गया है, भारत के लिए गर्व की बात है कि जाफना में एक यूनिक प्रकार का और वर्ल्ड लेवल का कल्चरल सेंटर बनाने का हमें अवसर मिला है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं जाफनावासियों और श्रीलंकावासियों को विश्वास दिलाता हूं कि भारत सरकार ने ये जो काम हाथ में लिया है, हम समय पर पूरा करेंगे और कल्पना से भी अच्छा करेंगे और मेरे लिए खुशी की बात है कि पहले ही कल्चरल प्रोग्राम के लिए मुझे निमंत्रण भी मिल गया, जिसका मतलब ये है कि कमिटमेंट कितना स्पष्ट है, कमिटमेंट में कितना कमिटमेंट है, ये नजर आता है। उन्होंने कहा कि आज एक प्रकार से मेरी ये यात्रा त्रिवेणी संगम है, यहां आने से पहले तलाईमन्नार में रेलवे का उद्घाटन किया, मन को आनंद हुआ, उस दृश्य को देखकर कि समुद्र के छोर तक रेल की पटरी है और उधर रामेश्वरम है। उन्होंने कहा कि ये प्रोजेक्ट अपने आप में किसी भी भारत के नागरिक को, जिसने इस काम को किया है, गर्व दिलाता है, आनंद देता है। उन्होंने कहा कि तलाईमन्नार में आज जो रेलवे प्रोजेक्ट का लोकार्पण हुआ है, वह पूरे क्षेत्र के विकास को एक नई गति देगा। उन्होंने कहा कि मेरे लिए आज दूसरी खुशी की बात जाफना के हाउसिंग प्रोजेक्ट का लोकार्पण है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये हाउसिंग प्रोजेक्ट एक प्रकार से एक उत्तम से उत्तम धर्म कार्य है, जो कि सेवा के रूप में हमें करने को मिला है और तीसरा प्रकल्प कल्चरल सेंटर का शिलान्यास है, इस प्रकार से मेरी श्रीलंका यात्रा त्रिवेणी बन गई है। उन्होंने कहा कि मुझे कल संसद में निमंत्रित किया गया, वहां मैंने अपने मन की बातें बताई हैं, जो आज अखबारों में खूब छपी हैं, श्रीलंका को भी प्रगति करनी है, एकता और अखंडता से प्रगति होगी, एकता से साथ समरसता भी चाहिए और कोई भी भू-भाग हो, कोई भी नागरिक हो, हर एक को समान अवसर मिलेगा, तब सबके आगे बढ़ने की संभावनाएं पैदा होंगी। उन्होंने कहा कि ये शुभकामनाएं भारत की तरफ से हर श्रीलंकावासी को रहेंगी। उन्होंने कहा कि मैं अपने राजनीतिक जीवन के अनुभव से कहता हूं कि शांति, एकता, सद्भावना ये प्रगति के मूल मंत्र हैं, विकास के मूल मंत्र हैं और मैं भी श्रीलंका को विकास की नई ऊंचाइयों पर देखना चाहता हूं, इसी धरातल पर देखना चाहता हूं। उन्होंने दृढ़तापूर्वक कहा कि भारत-श्रीलंका की दोस्ती सदियों पुरानी है और सदियों तक चलने वाली दोस्ती है, इसको हम निभाते रहेंगे।
प्रधानमंत्री की श्रीलंका यात्रा पर कई समझौते भी हुए हैं। प्रधानमंत्री ने वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ भारत की जंग को श्रीलंका का समर्थन मांगा और श्रीलंका के विकास में हर संभव सहयोग का वादा किया। नई दिल्ली और कोलंबो के बीच सीधी हवाई यात्रा शुरू होगी, वीजा सीमा शुल्क, युवा विकास और श्रीलंका में रवींद्रनाथ टैगोर स्मारक बनाने से जुड़ी योजनाओं के करार पर हस्ताक्षर किए गए हैं। नरेंद्र मोदी की श्रीलंका यात्रा में कुछ गंभीर मुद्दों पर वार्ता हुई, जिनके समाधान के लिए दोनों ओर से सकारात्मक प्रयास जारी रखे गए हैं, इनमें मछुवारों का मुद्दा भी शामिल है।