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Tuesday 14 April 2015 11:18:07 PM
बर्लिन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मनी की चांसलर एंजिला मर्केल को सर सीवी रमन की कुछ पांडुलिपियों की पुनःप्रस्तुति और पेपर तोहफे में दिए, जिन्हें 1930 में भौतिकी में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सर सीवी रमन को प्रकाश के उत्कीर्णन के लिए यह सम्मान मिला था। उन्होंने अपनी ज्यादातर पढ़ाई और प्रयोग भी भारत में ही किए तथा अधिकतर जीवन भारत में ही बिताया, लेकिन जर्मनी के साथ उनके बड़े आत्मीय संबंध थे।
विज्ञान को करियर के रूप में अपनाने के लिए सर सीवी रमन की मुख्य प्रेरणा 19वीं सदी के प्रसिद्ध जर्मन भौतिक विज्ञानी हर्मन वॉन हेलमॉल्ट्ज थे। अपने भाषण में एक बार उन्होंने वॉन हेलमॉल्ट्ज की तुलना इसाक न्यूटन से की थी। हेलमॉल्ट्ज की प्रसिद्ध किताब दा सेनसेशंस ऑफ टोन ने सर सीवी रमन को भारतीय और पश्चिमी संगीत उपकरणों के ध्वनि विज्ञान का वैज्ञानिक अध्ययन करने को प्रेरित किया। नोबल सम्मान के लिए नामित दो वैज्ञानिक जर्मनी के भौतिकविद रिचर्ड फीफर और जोहानेस स्टार्क थे, जिन्हें 199 में नोबल से सम्मानित किया गया। रमन प्रभाव और रमन स्पेक्ट्रम की परिकल्पना 1928 में जर्मनी के भौतिकविद् डॉ पीटर प्रिंगशीम ने की थी, जो बर्लिन विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे।
सर सीवी रमन ने वर्ष 1928 में कलकत्ता विश्वविद्यालय में व्याख्यान देने के लिए अग्रणी सैद्धांतिक भौतिकविद् आर्नोल्ड समरफील्ड को आमंत्रित किया। वहां समरफील्ड ने रमन प्रभाव का प्रदर्शन देखा और दोनों यहीं से गहरे दोस्त बन गए। 1933 में रमन ने बंगलौर ( अब बंगलुरू) में भारतीय विज्ञान संस्थान के निदेशक का पद संभाला, जहां उन्होंने कई जर्मन वैज्ञानिकों को आमंत्रित किया। इनमें जॉर्ज वॉन हेवेसी भी शामिल थे, जिन्हें 1943 में रसायन विज्ञान के नोबल से सम्मानित किया गया। वर्ष 1935 में जर्मनी के अग्रणी सैद्धांतिक भौतिकविद् मैक्स बॉर्न ने इस संस्थान में छह महीने बिताए थे। उन्हें बाद में नोबल से सम्मानित किया गया था।
भारत-जर्मनी के बीच अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग के बीज सर सीवी रमन के दौर में ही बोए गए थे, यह सहयोग बाद में और फला-फूला तथा आज जर्मनी अनुसंधान के क्षेत्र में भारत के प्रमुख सहयोगियों में से एक है। प्रकाश के उत्कीर्णन का पता लगाने के लिए आधुनिक लेजर प्रौद्योगिकी और अत्याधुनिक तकनीक ने तरल, गैस और ठोस पदार्थों के विश्लेषण के लिए रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी को महत्वपूर्ण औजार बना दिया। रमन के कार्य को क्वांटम रसायन सहित विविध क्षेत्रों में व्यापक उपयोग किया गया है। ज्ञातव्य है कि जर्मनी की चांसलर एंजिला मर्केल ने इसी विषय क्वांटम रसायन में डॉक्टरेट की है।