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Friday 15 May 2015 10:28:15 PM
बीजिंग/ नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन दौरे के पहले ही दिन चीन के प्रमुख ब्रॉडकास्टर सीसीटीवी पर भारत का अंगभंग नक्शा दिखाया गया, जिसमें न तो अरूणाचल प्रदेश है और न जम्मू-कश्मीर। इस संवेदनशील मौके पर चीन ने क्यों दिखाया भारत का अंगभंग नक्शा? भारत के नक्शे को विवादित दिखाने के मुद्दे ने आखिर तूल पकड़ा और इसका नकारात्मक असर गया, जिसमें दोनों देशों के बीच संबंधों की अच्छी नींव तैयार होते-होते नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग के हाथ में हाथ डालकर चलने का माहौल अचानक भारी हो गया। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस नक्शे को लेकर चुटकी ली है। एक ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि अब कोई विरोध क्यों नहीं हो रहा। उमर अब्दुल्ला का ट्वीट है कि जो लोग ऐसी चीजों पर अक्सर लाल-पीले हो जाते हैं, उनकी तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ है।
चीन का कश्मीर के मामले में अब तक हमेशा यह रूख रहा है कि इससे हमें मतलब नहीं है। भारत उसे पाकिस्तान के साथ सुलझाए, लेकिन इस नक्शे से साफ है कि चीन कश्मीर मसले पर भी पाकिस्तान की गोद में जाकर बैठ गया है। कश्मीर में उसकी यह दखलंदाजी चीन यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए असहज करने वाली बात है। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को भारत की चीन के साथ सीमा के मुद्दे पर अधिकारिक तौर पर बात भी हुई है। दो दिन पहले चीन के एक अखबार में शंघाई के एक शोधार्थी ने भारत और नरेंद्र मोदी के बारे में अपमानजनक भाषा में बात लिखी थी, लेकिन उसके बाद ग्लोबल टाइम्स ने न केवल अपनी बेवसाइट से उस आर्टिकल को हटा दिया, बल्कि भारत का पक्ष लेते हुए दो अच्छे आलेख भी जारी किए। अरूणाचल प्रदेश को लेकर भारत और चीन में हमेशा से विवाद रहा है। चीन अरूणाचल प्रदेश पर चीन अपना दावा जताता रहा है, जबकि भारत इसे अपना राज्य मानता है, मगर जम्मू-कश्मीर पर उसका पाकिस्तान समर्थक रुख पहली बार सामने आया।
भारत-चीन तनाव और सीमा विवाद का एक बड़ा कारण तिब्बत माना जाता है, जो चीन के लिए जीवन-मरण का प्रश्न है। चीन इसे लेकर ऐसे ही अपनी खीज मिटाता है। यह तिब्बत ही है, जो चीन को आगे बढ़ने से रोके हुए है और जिसके कारण चीन कभी भारत का विवादित नक्शा दिखाकर या कभी सीमा पर सैनिक दादागिरी दिखाकर भारत को धौंस में लेने की कोशिश करता है। भारत-चीन तनाव और सीमा विवाद को सुलझाने के मामले में भी कोई खास सफलता सामने नहीं आई है, सिवाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के प्रधानमंत्री ली कछयांग के इस बयान से कि सीमा रेखा पर तनाव को रोकने के लिए दोनों ओर से ज्यादा सतर्कता बरती जाएगी, दोनों देशों के सैन्य मुख्यालयों के बीच हॉटलाइन से संपर्क रहेगा, बार्डर कमांडरों के बीच बातचीत होती रहेगी, दोनों देश प्रोटोकॉल का ध्यान रखेंगे और इस प्रकार सीमा विवाद का स्वीकार्य समाधान खोजने का रास्ता निकाला जाएगा।