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Wednesday 15 July 2015 01:27:57 AM
नई दिल्ली। 'फ्रॉस्ट और सुलिवान' यूएसए ने औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन के लिए 2015 एशिया का प्रशांत आर्थिक विकास नवाचार, नीति और कार्यक्रम कार्यांवयन उत्कृष्टता पुरस्कार 'मेक इन इंडिया' पहल को दिया है। अमेरिका स्थित विकास साझेदारी कंपनी 'फ्रॉस्ट और सुलिवान' विकास में तेजी लाने, नवाचार तथा नेतृत्व में ग्राहकों को सक्षम बनाता है। कंपनी की विकास साझेदारी सेवा मुख्य कार्यकारी अधिकारी और मुख्य कार्यकारी अधिकारी की विकास टीम को अनुशासित, अनुसंधान और श्रेष्ठ तरीके से उत्पादन, मूल्यांकन और सशक्त विकास रणनीतियों का कार्यान्वयन आसान बनाता है। करीब 54 वर्ष से फ्रॉस्ट और सुलिवान 6 महाद्वीपों पर 40 से अधिक कार्यालयों, 1,000 ग्लोबल कंपनियों, उभरते कारोबारों और निवेशक समुदाय के साथ साझेदारी कर लाभ उठाता रहा है।
फ्रॉस्ट और सुलिवान पुरस्कार, नियामक ढांचे को सरल बनाने, संपर्कता को सुदृढ़ करने और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की परिकल्पना और कार्यान्वयन उत्कृष्टता में योगदान के लिए सम्मान बताया गया है। 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के अंक 100 देशों में परिकल्पना और कार्यान्वयन पर जीआईएल सूचकांक संचालित आंकड़ें में सबसे ज्यादा रहे। मूल्यांकन के दो अंतर्निहित सिद्धांत थे-सामर्थ्यवान परिकल्पना:-विकास की रणनीति और परिकल्पना अनुरूपता, नीति डिजाइन, उद्योग केंद्रित और अनुदान और नवीन कार्यक्रम में एजेंसी की भूमिका। कार्यान्वयन उत्कृष्टता:-साधनों का प्रभावी तालमेल, प्रभावी कार्यक्रम समन्वय और निष्पादन, कार्यक्रम का पहुंच और उपलब्धता तथा कार्यान्वयन सफलता।
यह पुरस्कार भारत में 'मेक इन इंडिया' का तेजी से बढ़ते घरेलू विनिर्माण क्षेत्र में उत्प्रेरक बनने को मान्यता देता है। 'मेक इन इंडिया' ने दुनिया भर से निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार के लगातार प्रयासों में मदद करने के साथ प्रभावी बुनियादी सुविधाओं के कार्यक्रमों और योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया है। यह पुरस्कार अमिताभ कांत सचिव औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग ने 14 जुलाई 2015 को प्राप्त किया है। इस पुरस्कार की प्रतिष्ठा और मान्यता के संबंध में कोई अधिकृत जानकारी उपलब्ध नहीं है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि अमिताभ कांत सचिव औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग ने ये पुरस्कार किस स्थिति में ग्रहण किया है। आमतौर पर भारत सरकार की किसी योजना या प्रतिष्ठान को मिलने वाले पुरस्कारों के पीछे वहां की सरकारों की भी कोई दृश्य या अदृश्य भूमिका होती है।