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Friday 17 July 2015 06:19:18 AM
जम्मू। राजनीतिक छुआछूत के मत को दरकिनार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज इस बात पर जोर दिया कि भारत की विरासत को विचारधारा के आधार पर नहीं बांटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि विगत के सभी राजनीतिक नेता हमारे आदर के पात्र हैं, क्योंकि उन्होंने हमारे देश को बेहतर बनाने के लिए कार्य किया है। प्रधानमंत्री जम्मू विश्वविद्यालय में गिरधारी लाल डोगरा की जन्मशती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। गिरधारी लाल डोगरा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वे देशप्रेम से प्रेरित होकर सार्वजनिक जीवन में आए हैं। उन्होंने इस तथ्य के बारे में बताया कि गिरधारीलाल डोगरा ने 26 बजट पेश किए थे, जो राजनीति में उनकी स्वीकार्यता और हाथ में लिए गए कार्य के प्रति उनके समर्पण और निपुणता के सूचक हैं। उन्होंने कहा कि गिरधारीलाल डोगरा ने अनेक राजनीतिक नेता तैयार किए हैं।
प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम से गिरधारी लाल डोगरा के बारे में आयोजित प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, जिसका जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदर्शनी में दर्शाए गए किसी भी फोटोग्राफ में उनका परिवार दिखाई नहीं दिया, आज के सार्वजनिक जीवन में नेताओं के लिए यह एक संदेश है। प्रधानमंत्री ने ईद के अवसर पर लोगों को अग्रिम शुभकामनाएं भी दी। इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा, मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद, केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, डॉ जितेंद्र सिंह, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और डॉ कर्ण सिंह भी मौजूद थे। यह कार्यक्रम गिरधारी लाल डोगरा ट्रस्ट ने आयोजित किया और उनका यह शताब्दी वर्ष है। राजनीति का यह दुर्भाग्य है कि आमतौर पर मरने के बाद बहुत ही कम राजनेता जीवित रहते हैं, कुछ ही समय में वो भुला दिए जाते हैं। लोग भी भूल जाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे अपवाद होते हैं, जो अपने कार्यकाल में जो कार्य करते हैं, जिस प्रकार का जीवन जीते हैं, उसके कारण मृत्यु के बाद भी वो जीवित रहते हैं, जिनमें गिरधारी लाल डोगरा एक हैं।
नरेंद्र मोदी ने अपने भावपूर्ण स्मरण में कहा कि गिरधारीलाल डोगरा सार्वजनिक जीवन में देशभक्ति की प्रेरणा से आए थे, वे तब सार्वजनिक जीवन में आए थे, जब लेना, पाना, बनना दूर-दूर तक नजर नहीं आता था, उस समय वो सार्वजनिक जीवन में आए थे और लाहौर की धरती पर आजादी के आंदोलन के साथ अपने को जोड़ा था, विद्यार्थी काल में भी उन्होंने आजादी के लिए कुछ न कुछ करना है, इस प्रबल भावना के साथ अपने आप को जोड़ दिया था। उन्होंने कहा कि गिरधारीलाल डोगरा को अपनी राजनीतिक यात्रा में सत्ता में रहने का लंबा अवसर मिला है, जिसमें 26 बार बजट देने का सौभाग्य शायद ही दो-चार लोगों को मिला हो, 26 बार बजट देने के पीछे की दो बात साबित होती हैं, एक-राजनीतिक जीवन में स्वीकृति और स्थिरता और दूसरी जो दायित्व मिला है, उसके प्रति विशेषज्ञता और समर्थन, अन्यथा लोग आते हैं, जाते हैं, बनते हैं, बदलते हैं, लेकिन मूलभूत बातें जब होती हैं तभी यह संभव होता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सार्वजनिक जीवन में शायद दो या तीन पीढ़ी होंगी जिनके लोग गर्व से कहते होंगे कि उन्हें गिरधारीलाल डोगरा की उंगली पकड़कर चलने का सौभाग्य मिला है, जैसे गुलाम नबी आजाद बता रहे थे कि उनको उन्होंने तैयार किया।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं प्रदर्शनी देख रहा था, एक बात मेरे मन को छू गई कि आज के राजनीतिक जीवन में वो आदर्श नज़र नहीं आता है, मैंने उनकी राजनीतिक यात्रा की जितनी तस्वीरें देखीं, उन तस्वीरों में उनके परिवार का एक भी व्यक्ति कहीं नज़र नहीं आता है, यह छोटी बात नहीं है, यह बहुत बड़ी बात है कि इतना लंबा सार्वजनिक जीवन हो, राजनीतिक जीवन हो, सत्ता के गलियारों में हो, देश के सभी पहले प्रधानमंत्रियों के साथ निकट संबंध रहे हों, लेकिन कहीं पर भी राजनीतिक यात्रा में एक भी तस्वीर में परिवार मुझे नज़र नहीं आया, उनकी अंत्येष्टि की यात्रा की तस्वीर है, सिर्फ परिवार जन दिखाई दे रहे हैं, आज के राजनीतिक जीवन के लिए यह अपने आप में संदेश है। उन्होंने कहा कि कभी-कभार लोगों को लगता है कि यह शताब्दी मनाना वगैरह क्या होता है? मैं मानता हूं कि यही सबसे बड़ा सबक होता है कि जब उनके जीवन को याद करते हैं, जो आज नज़र नहीं आता है, वहीं से प्रेरणा मिल जाती है कि उन्होंने सार्वजनिक जीवन की मर्यादाओं का पालन पल-पल किया होगा, तब जाकर इतने लंबे कार्यकाल में यह संभव हुआ होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गिरधारीलाल डोगरा साहब को व्यक्तियों की बड़ी परख पक्की होगी, तभी उन्होंने गुलाम नबी आजाद को युवा मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया, वे बराबर नाप लेते होंगे कि व्यक्ति ठीक है या नहीं है और उसका उदाहरण है-उन्होंने जो दामाद चुने, उनकी और उनकी राजनीतिक विचारधारा का कोई मेल नहीं था, दामाद ससुर के कारण नहीं जाने जाते और ससुर दामाद के कारण नहीं जाने जाते, वरना इतने साल के सार्वजनिक जीवन में दामाद का कभी तो मन कर गया होगा कि ससुर इतनी बड़ी जगह पर बैठे हैं, लेकिन उन्होंने भी अपने आप को दूर रखा और उन्होंने भी इनको दूर रखा। प्रधानमंत्री ने कहा कि आप अपना भाग्य खुद तय कीजिए, मेरा जिम्मा मैं निभाऊंगा और आज तो हम जानते हैं कि दामादों के कारण क्या-क्या बातें होती हैं और इसलिए मैं कहता हूं कि किस दल से थे, किस विचार से जुड़े थे, किसके नेतृत्व में काम करते थे, इसके आधार पर सार्वजनिक जीवन नहीं चलता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में एक अहम आवश्यकता है, जो चिंता का विषय है-हम हमारी विरासत को बंटने न दें, हमारे लिए वो सभी महापुरूष हैं, जिन्होंने देश के लिए काम किया है, यह आदर और गौरव का विषय होना चाहिए, इसमें कभी छुआछूत नहीं होनी चाहिए, वो नेशनल कांफ्रेंस में थे या कांग्रेस में थे, प्रधानमंत्री को आना चाहिए कि नहीं आना चाहिए, सवाल यह नहीं है, बल्कि आना इसलिए चाहिए कि उन्होंने अपनी जवानी देश के लिए खपाई थी, इसलिए हमारी विरासतें कभी बंटनी नहीं चाहिएं।
नरेंद्र मोदी ने विचारधारा का सम्मान करते हुए कहा कि कोई किसी भी विचार में हो, मुझे याद है कि केरल में कम्युनिस्ट पार्टी के एक बहुत बड़े नेता का स्वर्गवास हो गया, उस समय वो सत्ता में नहीं थे, अटलजी ने आडवाणीजी को उनकी अंत्येष्टि में भेजा और कहा कि उन्होंने देश के लिए बहुत काम किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे कम्युनिस्ट पार्टी के नेता थे और भारतीय जनता पार्टी का घोर विरोध करने वाली उनकी विचारधारा थी, लेकिन यह सार्वजनिक जीवन की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन ये लोकतंत्र का सहज गुण-धर्म है, हर फोरम में अपनी बात होती है, लेकिन राजनीतिक छूआछूत नहीं चलती, देश के लिए जीने-मरने वालों के लिए समान भाव होना जरूरी होता है, उनके प्रति सम्मान होना जरूरी होता है और गिरधारीलाल डोगरा आज होते तो हमारा विरोध करते, शायद उनके दामाद भी करते, लेकिन उनके जीवन को, उनके कार्य को हम गौरव के साथ देखें, उनसे कुछ सीखें, पाएं और आगे बढ़ें, इसी अपेक्षा के साथ ऐसे महापुरूषों को याद करते रहें, उनसे प्रेरणा लेते रहें। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि बहुत बड़ी उमंग और उत्साह के साथ देश और दुनिया में ईद की प्रतीक्षा हो रही है, मेरी तरफ से ईद के पावन पर्व पर सभी को हृदय से बहुत-बहुत शुभकामनाएं।