स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 30 January 2013 05:39:44 AM
लखनऊ। गुणवत्तायुक्त आम का व्यवसायिक उत्पादन बढ़ाने के लिए जरूरी है कि किसान इनके पौधों को कीटों व रोगों से बचाएं तथा ज्यादा से ज्यादा वैज्ञानिक तकनीकों का प्रयोग करें। आम के स्वस्थ उत्पादन हेतु बागवानी में जैविक बायोडायनमिक खादों का प्रयोग लाभदायक होगा, इससे बीमारियों की रोकथाम तथा फलों के विकास व गुणवत्ता में वृद्धि लाई जा सकती है।
यह सलाह, निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण ओम नारायण सिंह ने आम बागवानों को दी है। उन्होंने बताया कि आम के बागों को मिज, गुजिया, भुनगा व तना छेदक कीटों तथा खर्रा व गुम्मा रोगों से नियंत्रण के लिए किसान विशेष सावधानी बरतें। आम के भुनगा कीट से बचाव हेतु मोनोक्रोटोफास की एक मिली दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें, तना छेदक कीड़े का प्रकोप होने पर उनके छेदों में पेट्रोल या क्लोरोफार्म या डाइक्लोरोवास में रूई भिगों कर उनमें भरें तथा छेदों को गीली मिट्टी से बंद कर दें। उन्होंने बताया कि आम के छोटे पेड़ों को पाले से बचाने के लिए धुआं करें तथा समयानुसार इनकी सिंचाई करें, इसके साथ ही बाग़ की जुताई एवं सफाई करना अति आवश्यक है।
ओम नारायण सिंह ने बताया कि आम के पुराने अनुत्पादक बागों का जीर्णोद्धार करने से इसकी गुणवत्तायुक्त उत्पादकता में बढ़ोत्तरी लाई जा सकती है। ऐसे पेड़ों की शाखाओं को भूमि से चार मीटर की ऊंचाई पर छतरीनुमा आकार में काट दें तथा इसके कटे भाग पर फफूंदनाशक दवा कॉपर आक्सीक्लोराइड का घोल लगा दें। उन्होंने कहा कि आम के बाग़ में पहले 10 वर्षों तक अंतः फसलें भी ली जा सकती हैं। जिसमें लोबिया, आलू, मिर्च, टमाटर, मूंग, चना व उर्द की फसलें प्रमुख हैं।