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आखिरी व्‍यक्‍ति सरकार की प्राथमिकता-जितेंद्र

'नागरिक केंद्रित शासन में सर्वश्रेष्‍ठ प्रक्रियाएं' कार्यशाला

'पेंशन पोर्टल सरकार का एक क्रांतिकारी कदम'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 11 September 2015 03:28:35 AM

jitendra singh inauguration of the two-day national workshop

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायतें, पेंशन, अंतरिक्ष राज्‍यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने प्रशासनिक सुधार, पेंशन और शिकायतें विभाग (डीएआरपीजी) की ‘नागरिक केंद्रित शासन में सर्वश्रेष्‍ठ प्रक्रियाएं’ विषय पर दो दिवसीय राष्‍ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा है कि सरकार की प्राथमिकता कतार में खड़ा आखिरी व्‍यक्‍ति है और ‘अधिकतम शासन, न्‍यूनतम सरकार’ का लक्ष्‍य इस उद्देश्‍य को अर्जित करना है। उन्होंने कहा कि हमें पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय के ‘अंत्‍योदय’ दर्शन से मार्ग दर्शन मिला है, जिसमें किसी कल्‍याण योजना का मुख्‍य मापदंड इस बात पर निर्भर करता है कि क्‍या उसके लाभ समाज के सबसे निचले तबके तक पहुंचे हैं?
डॉ जितेंद्र सिंह ने कि सरकार के 15 महीनों के दौरान कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के साथ-साथ प्रशासनिक सुधार, पेंशन और शिकायतें (एआरपीजी) विभाग ने क्रांतिकारी निर्णय लिए हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भविष्‍यवादी विजन का परिणाम हैं, जिसकी भारत जैसे विकासशील देश में आने वाले अनेक दशकों में कल्‍पना या परिकल्‍पना नहीं की जा सकती है। शुभारंभ के लिए तैयार पेंशन पोर्टल विकल्‍प का उल्‍लेख करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह भी इस सरकार का एक क्रांतिकारी कदम है, जो किसी उम्रदराज़ पेंशनधारक को समय-समय पर प्रस्‍तुत करने वाले जीवित प्रमाण पत्र की प्रक्रिया से छुटकारा दिलाएगा। इस नए प्रावधान से प्रक्रिया न केवल आसान बनेगी, बल्‍कि इससे देश के उम्रदराज़ नागरिकों के यथोचित सम्‍मान में भी वृद्धि होगी, ऐसा उसी तरीके से होगा, जिस तरह विभाग के पूर्व निर्णय के अनुसार देश के युवाओं में सरकार के विश्‍वास को कायम करने के लिए युवाओं द्वारा स्‍वयं प्रमाणित प्रमाण पत्रों को जमा करने का प्रावधान शुरू किया गया है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने केंद्र और राज्‍य सरकार के वरिष्‍ठ अधिकारियों से दृढ़ निश्‍चय और प्रतिबद्धता से काम करने का आह्वान किया है, ताकि भविष्‍य के इतिहासकार उन्‍हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व के अधीन लाए गए परिवर्तन में मुख्‍य उपकरण के रूप में दर्ज कर सकें। उन्‍होंने कहा कि यह एक संतोषजनक मामला है कि लाल किले से स्‍वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री के संबोधन के एक महीने से भी कम अवधि में हमने प्रधानमंत्री की दो महत्‍वपूर्ण पहलों पर कार्य शुरू कर दिया है, इनमें से एक पहल ऐसे पदों की पहचान करने की प्रक्रिया, जिनमें चयन या नियुक्‍ति के लिए साक्षात्कारों को हटाया जा सकता है और दूसरी पहल प्रधानमंत्री की स्‍टार्ट अप इंडिया, स्‍टेंट अप इंडिया की विचारधारा है, जिससे युवाओं को प्रोत्‍साहित किया जाना है। डीएआरपीजी के सचिव देवेंद्र चौधरी, डीएआरपीजी की अपर सचिव उषा शर्मा डीएआरपीजी के वरिष्‍ठ अधिकारियों और राज्‍यों के प्रतिनिधियों ने भी इस कार्यशाला में भाग लिया।

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