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Saturday 12 September 2015 01:03:27 AM
आगरा। संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर के मंच सैनिक तथा देश में बहुजन मूवमेंट के संस्थापक काशीराम के बहुजन आंदोलन में अग्रणी रहे और वर्तमान में भी 85 वर्ष की आयु में बहुजन मूवमेंट के सक्रिय मार्गदर्शक काशीनाथ बौद्ध का इस बृहस्पतिवार को उनके आनंद नगर आवास पर देहांत हो गया। काशीनाथ बौद्ध एक माह से बीमार चल रहे थे। उनकी इच्छा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार बुद्ध संस्कार पद्धति से विद्युत शवदाह गृह ताजगंज में भंते ज्ञानरत्न ने संपन्न कराया। इस अवसर पर भारी संख्या में बौद्ध अनुयाई और बहुजन मूवमेंट के सैकड़ों सक्रिय कार्यकर्ता और परिजन मौजूद थे। दलित समाज के कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले काशीनाथ बौद्ध के निधन से बहुजन मूवमेंट शोकाकुल है और समाज में जागृति के लिए उनके अनुकरणीय योगदान को याद कर रहा है।
काशीनाथ बौद्ध जीवनभर अपने कर्म, अनुशासन और जीवन सिद्धांत के प्रति अटल रहे। देश के संविधान निर्माता भारतरत्न बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर 18 मार्च 1965 को जब आगरा आए तो उनके आगमन पर आयोजित कार्यक्रम में काशीनाथ बौद्ध उनके समता सैनिक दल में उनके मुख्य मंच के सुरक्षा सैनिक थे। बाबा साहब ने इसके लिए उन्हें जोरदार शाबासी भी दी थी। इस शाबासी का उनके जीवन पर इतना असर हुआ कि उन्होंने संपूर्ण भारत में दलित समाज के लिए बाबा साहब के जागरुक कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। बहुजन मूवमेंट के संस्थापक काशीराम के साथ तो उन्होंने उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, बिहार, उत्तराखंड आदि राज्यों में अनेक साइकिल यात्राएं करके बहुजन समाज को जागरुक करने का और भी बड़ा काम किया। यह कहना अतिश्योक्ति न होगा कि उत्तर प्रदेश में बहुजन मूवमेंट को सत्ता तक पहुंचाने में काशीनाथ बौद्ध का अत्यंत महत्वपूर्ण और कभी नहीं भुलाया जाने वाला योगदान है। वह कहते थे कि काशीराम के अधूरे कारवां को मंजिल तक पहुंचाने का काम बाकी है। देश के बौद्ध समाज में उनका बहुत मान-आदर था।
काशीनाथ बौद्ध ने अपने अंतिम संस्कार में भारत के बौद्धों के लिए एक बड़ी नजीर भी स्थापित की है, जिसमें उन्होंने स्टील के अंत पलंग का निर्माण कराया और उनके कहे अनुसार उसी पर उनका पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया। बहुजन मूवमेंट बचाओ राष्ट्रीय आंदोलन उत्तर प्रदेश के महासचिव दिनेश कुमार गौतम ने बताया कि यह अंत पलंग भविष्य में भी बौद्धों के अंतिम संस्कार में इस्तेमाल हुआ करेगा। काशीनाथ बौद्ध अटूट सिद्धांतवादी बहुजन मिशनरी के समर्पित योद्धा रहे और सामाजिक कुरीतियों को दूर करने में प्रखर भूमिका निभाई। उन्हें थोड़ा भी जानने वाले कहते हैं कि उन्होंने अपने सिद्धांतों के किसी भी स्तर पर कोई समझौता नहीं किया, वे किसी परिचय के मोहताज नहीं थे, उनकी ख्याति देश के बहुजन समाज में जगजाहिर है। काशीराम के आह्वान पर वे 22 जुलाई 1986 को उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में शराब भट्टी बंद करो आंदोलन में समाज का नेतृत्व करते हुए जेल गए और बहुजन समाज के लोगों और बहनों के साथ लगभग एक माह बरेली कारागार में बंद रहे। वे अपने जुझारूपन की अलग ही पहचान रखते थे।
काशीनाथ बौद्ध के अंतिम संस्कार में उनके छोटे भाई राम प्रसाद बौद्ध, दिनेश कुमार, ज्ञान प्रकाश, नाती देश दीपक, ज्ञान प्रभाकर, ज्ञानद्वीप , उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गंगाप्रसाद पुष्कर, डॉ अमर सिंह, राम चरण वर्मा, गोरेलाल, देवेंद्र चिल्लू, यादव सिंह भर्तिया, हरिबाबू बौद्ध, गुलाब सिंह, उमेश कुमार, दाताराम नौनेरिया, हरीश कुमार हीरो, प्रेमचंद सोनी, मनोज कुमार, विनोद अटल, देवेंद्र नलवंशी, मोहम्मद सलीम, हरीशचंद्र, प्रताप सिंह, राजेंद्र सिंह, विनोद कुमार आनंद, ब्रजमोहन निगम, चंदन सिंह, रूप किशोर, भूप सिंह, प्रेमचंद बौद्ध, गोपीचंद और भारी संख्या में चिर-परिचित, बहुजन मूवमेंट एवं बुद्ध अनुयाई शामिल हुए। काशीराम बौद्ध का उठावनी और श्रद्धांजलि कार्यक्रम कल तेरह सितंबर रविवार को सांय पांच बजे से छह बजे तक बौद्ध भिक्षु संघ ने उनके निवास के निकट आनंद नगर पार्क में आयोजित किया है, जिसमें शामिल होकर उन्हें कृतज्ञ श्रद्धांजलि देने की अपील की गई है।