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पंचायतों के लिए और ज्यादा आर्थिक प्रबंध

वित्‍तीय विकेंद्रीकरण पर कार्यशाला का उद्घाटन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 18 January 2016 05:15:10 AM

nauguration of workshop on financial decentralization

नई दिल्ली। केंद्रीय पंयायती राज्‍यमंत्री निहाल चंद ने वित्‍तीय विकेंद्रीकरण पर एक कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए राज्‍य वित्‍त आयोगों का आह्वान किया है कि वे राज्‍य सरकारों और स्‍थानीय इकाइयों के बीच संसाधनों के बंटवारे के दौरान व्‍यावहारिक वित्‍तीय विकेंद्रीकरण करें। उन्‍होंने बताया कि 14वें वित्‍त आयोग के लिए वर्ष 2015 से 2020 तक के लिए ग्राम पंचायतों के लिए दो लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, जिसके अनुसार ग्रामीण बुनियादी ढांचा, सीवरेज, सफाई और पेयजल की आपूर्ति को प्राथमिकता देकर जोर दिया जाएगा।
राज्‍यमंत्री निहाल चंद ने कहा कि वित्‍त आयोग ने राज्‍य और स्‍थानीय इकाइयों के बीच 2011 की जनसंख्‍या के आकड़ों के आधार पर 90 प्रतिशत और 10 प्रतिशत वेटेज देकर अनुदानों का वितरण करने की सिफारिश की है। देशभर में 2.6 लाख पंचायतें हैं। उन्होंने बताया कि आयोग ने पंचायतों और नगरपालिकाओं को दो भागों में अनुदान देने की सिफारिश की है, पहले भाग में गठित आधारभूत अनुदान और दूसरे भाग में प्रदर्शन पर आधारित अनुदान। कार्यशाला में क्रियाशील राज्‍य वित्‍त आयोगों के अध्‍यक्ष, सदस्‍य पंचायतीराज सचिव, राज्‍यों के वित्‍त विभाग और राष्‍ट्रीय व अंतर्राष्‍ट्रीय विशेषज्ञों ने स्‍थानीय इकाइयों को वित्‍तीय विकेंद्रीकरण के हस्‍तांतरण पर विचार व्‍यक्‍त किया और 14 वित्‍त आयोग की सिफारिशों को प्रभावी ढंग से लागू किए जाने पर अपनी चिंताओं पर प्रकाश डाला।
संविधान के 73वें और 74वें संशोधनों के जरिये पंचायतों और नगरपालिकाओं को स्‍वशासन संस्‍थानों के रूप में काम करने के लिए संवैधानिक हैसियत प्रदान की गई है। राज्‍यों को कानून के जरिये संविधान की ग्‍यारहवीं और बारहवीं अनुसूची में दर्शाए नियमों के तहत शहरी और ग्रामीण स्‍थानीय स्‍वशासन इकाई के रूप में काम करने का अधिकार प्रदान है। हालांकि राज्‍य अधिकांश कार्य तो इन संस्‍थानों को दे देते हैं, लेकिन कोष और कर्मचरियों के हस्‍तांतरण के मामले में स्थिति गंभीर है। इन स्‍थानीय इकाइयों को अपना राजस्व सृजन करने का संसाधन बहुत सीमित होता है। ये संस्‍थाएं अधिकांश कोष के लिए वित्‍त आयोग, राज्‍य और केंद्र पर ही निर्भर करती हैं।

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