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Monday 18 January 2016 10:01:07 PM
लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक ने इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में 'तेल एवं गैस संरक्षण पखवाड़ा-2016' का उद्घाटन किया। राज्यपाल ने उपस्थित लोगों को तेल एवं प्राकृतिक गैस की बचत के लिए शपथ दिलाई और कहा कि देश के विकास में तेल एवं गैस बचाने के साथ-साथ पर्यावरण को भी बचाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस बात पर विशेष ध्यान होना चाहिए कि देश में तेल एवं गैस की बहुत उपयोगिता है, हम विदेशों से तेल आयात कम करके अपने संसाधनों का कैसे उपयोग करें, क्योंकि आयात बढ़ने से विदेशी मुद्रा भंडार पर प्रतिकूल असर पड़ता है और व्यापार संतुलन भी बिगड़ जाता है। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और रसोई गैस का प्रयोग सावधानी से किया जाए तो देश हित में इस ऊर्जा की बचत की जा सकती है।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि जब वे पेट्रोलियम मंत्री थे तो आयात कम करने के लिए उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे, जिसमें ईथेनॉल को पेट्रोल में 5 प्रतिशत के अनुपात में मिश्रित करने का निर्णय लिया गया, इस निर्णय के पश्चात बीएस-3 पेट्रोल में 10 प्रतिशत एवं बीएस-4 पेट्रोल में 5 प्रतिशत तक ईथेनॉल मिश्रित कर विक्रय किया जाता है। वर्तमान में बीएस-3 की भांति बीएस-4 में ईथेनॉल की मात्रा 10 प्रतिशत कर दी गई है, जिसका विक्रय उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और गोवा में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है, जहां गन्ने का उत्पादन भी बडे़ पैमाने पर होता है, पेट्रोल में ईथेनॉल मिलाने से गन्ना किसानों एवं चीनी मिलों को फायदा मिलेगा।
राम नाईक ने सब्सिडी छोड़ने के अभियान की सराहना करते हुए कहा कि धनवान लोग सब्सिडी छोड़ेंगे तो गरीबों को उसका लाभ मिलेगा। उन्होंने यह भी बताया कि जब वे पेट्रोलियम मंत्री थे तो रसोई गैस कनेक्शन हेतु एक करोड़ से अधिक की वेटिंग थी, वेटिंग खत्म करने के साथ-साथ देश में चार करोड़ नए कनेक्शन दिए गए, धुंआ रहित रसोई के लिए रसोई गैस के उपयोग को बढ़ावा मिलना चाहिए, लकड़ी एवं कोयले के उपयोग से स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों पर प्रतिकूल असर पड़ता है। उन्होंने पेट्रोलियम मंत्रालय के तेल एवं गैस के संरक्षण हेतु चलाए जा रहे अभियान की सराहना की। कार्यक्रम में राज्यपाल ने स्कूली बच्चों की रैली एवं प्रचार वाहनों को झंडा दिखाकर रवाना किया।