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Wednesday 20 January 2016 11:53:07 PM
सुआ (फ़िजी)। हिंदी भाषा को आत्मसात करने वाले फ़िजी में हिंदी का विकास अपने चरम पर है। भारतीय मूल के लोगों में हिंदी के लिए जुनून सवार है। रविवार 16 जनवरी 2016 को आर्य प्रतिनिधि सभा के मुख्यालय पर एक अत्यंत महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें राष्ट्रीय स्तर की संस्था हिंदी परिषद फ़िजी का औपचारिक रूप से गठन किया गया। फ़िजी में आर्यसमाज के वरिष्ठ नेता और फ़िजी सरकार में भारतीय मामलों के सचिव रहे भुवन दत्त हिंदी परिषद फ़िजी के अध्यक्ष एवं भारतीय मूल के लोगों की बड़ी धार्मिक संस्था सनातन धर्म के सचिव और रेडियो एनाउंसर वीरेंद्र इसके सचिव चुने गए। वरिष्ठ हिंदी सेवी आनंदी भाई, फ़िजी सेवाश्रम संघ के संयोजक अखिलेश, मीडिया के प्रसिद्ध टेलिविजन एंकर एवं ई-ताईकेई समाज के सम्माननीय नेमानी इसके उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए। हिंदी परिषद ने फरवरी में विश्व हिंदी दिवस पर लेखकों की कार्यशाला, प्रस्तुति और भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन करने के बारे में भी दो समितियों का गठन किया है।
हिंदी परिषद फ़िजी के बाकी पदाधिकारियों के रूप में सह सचिव पद पर हिंदी लेखक संघ फ़िजी के जैनेन प्रसाद, शिक्षा मंत्रालय की श्यामला, फ़िजी नेशनल यूनिवर्सिटी में प्रवक्ता सुभाषिनी निर्वाचित हुईं। गुजराती समाज की जानीमानी हस्ती मनहर नारसी और विरखू भाई कोषाध्यक्ष एवं सह–कोषाध्यक्ष निर्वाचित हुए। लाइब्रेरियन के पद पर शिक्षा मंत्रालय की रोहिणी का निर्वाचन हुआ। यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ पैसिफिक की इंदु चंद्रा, संगम के सदाशिव नायकर, शिक्षा मंत्रालय के रमेश चंद, फ़िजी नेशनल यूनिवर्सिटी की विद्या सिंह व मास्टर नरेश यूनिवर्सिटी ऑफ फ़िजी की सुकेश बली, रीगेंद्र लाल, वरिष्ठ हिंदी सेवी भिंडी, मनीषा रामरखा, हिंदी सेवी किरण माला सिंह, अजय सिंह, सरिता चंद, पंडित विज्ञान शर्मा बा के प्रसिद्द कवि युसुफ, लंबासा की हिंदी लेखिका प्रवीणा को सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया। पहली बार किसी हिंदी संस्था में ई-ताईकेई समाज और मुस्लिम समाज का भी प्रतिनिधित्व है। शिक्षा मंत्रालय में रमेश चंद चुनाव अधिकारी थे।
हिंदी परिषद को भारतीय उच्चायोग का सहयोग प्राप्त है। वर्ष 2008 व 2011 में क्रमश: फ़िजी में हिंदी की राष्ट्रीय संस्था खड़ी करने के जो प्रयास भारतीय उच्चायुक्त रहे प्रभाकर झा और विनोद कुमार ने किए थे, उसी कड़ी को आगे बढ़ाया गया है। हिंदी परिषद की अब तक कई तैयारी बैठक भी हो चुकी हैं और 18 दिसंबर 2015 को परिषद ने ‘फ़िजी में हिंदी की स्थिति’ विषय पर विचार गोष्ठी भी आयोजित की थी। फ़िजी में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों की प्रमुख संस्थाओं में इसकी भागीदारी तो है ही साथ उनके प्रतिनिधियों को भी हिंदी परिषद की बैठक में विशेष आमंत्रित के रूप में बुलाया जाना प्रस्तावित है। हिंदी परिषद में फ़िजी के सभी प्रमुख नगरों, सुवा, लाटुका, बा, नांदी, लंबासा से हिंदी प्रेमी शामिल हैं। आर्य समाज, सनातन सभा, गुजराती समाज, फ़िजी सेवाश्रम संघ, शिक्षा मंत्रालय, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ पैसिफिक, फ़िजी नेशनल यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ फ़िजी का प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित किया गया है।
फ़िजी हिंदी फ़िजी में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। इसे फ़िजियन हिन्दी या फ़िजियन हिंदुस्तानी भी कहते हैं। यह फ़िजी की आधिकारिक भाषाओं मे से एक है। यह अधिकांशतः भारतीय मूल के फ़िजी लोगों मे बोली जाती है। फ़िजी हिंदी देवनागरी और रोमन लिपि दोनों रूप में लिखी जाती है। यह मुख्य रूप से अवधि, भोजपुरी और हिंदी भाषा की अन्य बोलियों से व्युत्पन्न है, जिसमें अन्य भारतीय भाषाओं का भी समावेश है। यह भी है कि इसमें फ़िजी और अंग्रेज़ी से बड़ी संख्या में शब्द उधार लिए गए हैं। फ़िजी हिन्दी में बड़ी संख्या में ऐसे अनूठे शब्द भी हैं, जो फ़िजी में रह रहे भारतीयों के नए माहौल में ढलने के लिए जरूरी थे। फ़िजी में भारतीयों की पहली पीढ़ी ने जिस भाषा को बोलचाल के रूप में अपनाया उसे 'फिजी बात' कहते थे। हिंदी भाषाविज्ञानियों के हाल के अध्ययन में इस बात की पुष्टि हुई है कि फ़िजी हिन्दी भारत में बोली जाने वाली हिंदी भाषा पर आधारित एक विशिष्ट भाषा है, जिसमें फ़िजी के अनुकूल विशेष व्याकरण और शब्दावली है।
फ़िजी में हिंदी के इतिहास और विकास की बड़ी अनूठी कहानी है। अंग्रेज़ लोग भारत के उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों तथा बिहार से फ़िजी में श्रमिक लाए थे। जाहिर है कि वे अपने मूल निवास स्थान की हिंदी बोली बोलते थे। ध्यान रखने योग्य है कि भोजपुरी जिसे लगभग 35.4 प्रतिशत उत्तर भारतीय प्रवासी बोलते थे, को यहां बिहारी कहा गया है, इसी तरह अवधि जिसे लगभग 32.9 प्रतिशत लोग बोलते थे को पूर्वी हिन्दी कहा गया है। उसके बाद फ़िजी में एक ऐसी भाषा का जन्म हुआ जो इन सभी बोलियों की मेल थी। आज यह फ़िजी में हिंदी का संसार बन गई है। हिंदी परिषद को फ़िजी में हिंदी की सक्रिय संस्थाओं का अभाव दूर करने की बड़ी पहल के रूप में देखा जा रहा है। भारतीय उच्चायोग के समन्वय से भारतीय मूल के लोगों की सभी संस्थाओं, फ़िजी के तीनों विश्वविद्यालयों और शिक्षा मंत्रालय का यह प्रमुख प्रयास माना गया है।
संक्षिप्त में फ़िजी आधिकारिक रूप से फ़िजी द्वीप समूह गणराज्य के नाम से जाना जाता है। यह दक्षिण प्रशांत महासागर के मेलानेशिया मे एक द्वीप देश है। यह न्यू ज़ीलैण्ड के नॉर्थ आईलैण्ड से करीब दो हज़ार किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है। सुवा फ़िजी की राजधानी और सबसे बड़ा नगर है। यह शहर विती लेवु द्वीप के दक्षिण पूर्व में स्थित है। यह सुवा जिला और केंद्रीय प्रभाग का प्रशासनिक केंद्र भी है। सन् 1882 में फिजी की राजधानी रहे लौतोका को बदलकर सुवा कर दिया गया, तब से सुआ फ़िजी की राजधानी है। फ़िजी के विकास में भारतीय मूल के लोगों और भारत सरकार का सहयोग अनुकरणीय माना जाता है। फ़िजी में भारतीय मूल के करीब सैंतीस प्रतिशत लोग हैं। हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ़िजी आए थे और इनसे पहले सन् 1981 में प्रधानमंत्री के रूप मे इंदिरा गांधी भी यहां आ चुकी हैं।