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कांग्रेस की एजेएल पर अब नई राजनीति

हेराल्ड, नवजीवन, कौमी आवाज़ को जीवनदान

लखनऊ में मीडिया का गैंग भी सक्रिय हुआ

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 22 January 2016 06:21:51 AM

national herald

लखनऊ। नेशनल हेराल्ड मामले में भ्रष्टाचार के आरोपों के साथ नई सुर्खियों में आए कांग्रेस परिवार के शीर्ष सदस्यों सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा आदि ने अपने बचाव की नई रणनीति पेश करते हुए घोषणा की है कि द एसोसिएट्स जर्नल्‍स लिमिटेड (एजेएल) के ऐतिहासिक अख़बार नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज़ जल्द ही फिर से शुरू किए जाएंगे, फर्क इतना होगा कि इनकी प्रकाशन कंपनी का नाम बदल जाएगा। उन्होंने बताया कि अब यह कंपनी गैरलाभकारी कंपनी में परिवर्तित हो जाएगी, सभी शेयरधारकों ने इस फैसले पर अपनी मोहर लगा दी है। लखनऊ में कैसरबाग़ में एजेएल के प्रबंध निदेशक मोतीलाल वोरा की अध्यक्षता में कंपनी के शेयरधारकों और ओहदेदारान की कल बैठक हुई, जिसमें यह बड़ा फैसला हुआ।
कांग्रेस के कोषाध्यक्ष और कंपनी के प्रबंध निदेशक मोतीलाल वोरा का मीडिया से कहना है कि कंपनी 2010 से ही इन समाचार पत्रों के प्रकाशन का प्रयास कर रही थी, इस पर हम गंभीरता से विचार करते रहे हैं, किंतु इसका फैसला अब हुआ है, इसलिए जल्द ही ये अखबार शुरू होंगे। उन्होंने बताया कि इनके लखनऊ प्रकाशन स्‍थल को प्राथमिकता पर रखा गया है, वैसे भी इन अखबारों की कंपनी का मुख्यालय लखनऊ है। उन्होंने कहा कि इस मामले का अदालत में चल रहे केस से कोई मतलब नहीं है, तथापि इन अखबारों का प्रकाशन होगा, जो दूसरी कंपनी करेगी। लखनऊ में हुई बैठक में कंपनी के शेयरधारक गुलाम नबी आज़ाद, शीला दीक्षित, सैय्यद सिब्ते रज़ी, संदीप दीक्षित, राजकुमारी रत्ना सिंह, जतिन प्रसाद, ऑस्कर फर्नांडिस प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
लखनऊ में एजेएल कंपनी की बैठक करने के लिए बैठक स्‍थल पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे, क्योंकि इन अखबारों से संबद्ध रहे कुछ लोग और अपने अंतिम हिसाब के रूप में कंपनी से अच्छी-खासी रकम हासिल करने के बावजूद कई दिन से कैसरबाग़ मुख्यालय के बाहर उत्पात मचाए हुए थे। इनमें अधिकांश वही लोग माने जाते हैं, जिन्होंने इस प्रकाशन समूह को डुबोने में कोई कसर नहीं छोड़ी, जिसके परिणामस्वरूप ये अखबार बंद करने पड़े थे। यहां यह तथ्य प्रकट करने में कोई संकोच नहीं है कि कांग्रेस नियंत्रित इस प्रकाशन कंपनी ने इन अखबारों को चलाए रखने के लगातार गंभीर प्रयास किए, हर प्रकार से आर्थिक नुकसान झेला, लेकिन फर्जी नियुक्तियों, फर्जी बिलों और बेशुमार खर्चों, हड़तालों से प्रकाशन प्रबंधन बुरी तरह टूट गया और लगातार घाटे और असहनीय देनदारियों के कारण अंततः ये प्रकाशन बंद कर दिए गए। एजेएल कंपनी की संपत्तियों के मालिकाना विवाद में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके पुत्र एवं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी कानूनी लड़ाई का सामना कर रहे हैं और इन समाचार पत्रों के प्रकाशनों को फिर से शुरू करने के ‌पीछे यही कहा जा रहा है कि इस विवाद का सामना करने से बेहतर है कि ये प्रकाशन ही क्यों न शुरू किए जाएं और जिनसे मीडिया के जरिए राजनीतिक उद्देश्य भी पूरे किए जाएं।
एजेएल कंपनी का यह फैसला बहुत लोगों को रोज़गार तो देगा और सिर पर आ पड़े विवादों से भी कांग्रेस सोनिया और राहुल आदि को कुछ राहत पहुंचाएगा, किंतु इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि पहले जैसा कुप्रबंधन फिर नहीं होगा और इसमें लिए गए लोग प्रकाशन समूह के साथ पहले की तरह चोर, लुटेरे और डाकूओं जैसा व्यवहार नहीं करेंगे। मीडिया से जुड़े अनेक लोगों का अभिमत है कि इन समाचार पत्रों के प्रकाशन के अंतिम दौर में प्रकाशन से ही जुड़े अनेक लोगों ने इस समूह को भारी नुकसान पहुंचाया है। तब इसमें काम कर रहे लोगों ने प्रकाशन समूह पर वेतन और मुआवजे के मुकद्मे ठोंके, पूरी रकम वसूली और दूसरी जगह भी नौकरियां कीं। इनमें अधिकांश लोग मीडिया के हैं और जब यह चर्चा चली है कि इन अखबारों का फिर से प्रकाशन होने जा रहा है तो मीडिया का पुराना गैंग इसमें फिर से घुसपैठ को सक्रिय हो गया है और दबाव बनाने के लिए आंदोलन और धरनेबाज़ी शुरू हो गई है। एजेएल की बैठक में इसके सभी मामले से जुड़ी कानूनी औपचारिकताओं को पूरा किया गया है। एजेएल के प्रबंध निदेशक मोतीलाल वोरा ने मीडिया के कुरेदने पर कहा कि कोर्ट केस से इसका कोई संबंध नहीं है। मोतीलाल वोरा ने बताया कि कंपनी की आम सभा में एजेएल का नाम बदलने और प्रकाशनों को फिर शुरू करने का फैसला लिया गया।
मोतीलाल वोरा ने कहा कि हम 2010 से ही प्रकाशन को शुरू करने के बारे में गंभीरता से विचार करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि नेशनल हेराल्‍ड की प्रकाशक कंपनी एजेएल की आम सभा कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के तहत गैर व्‍यावसायिक स्‍वरूप देने के लिए 762 शेयरधारकों की रजामंदी लेने के लिए आयोजित की गई थी। शेयरधारकों ने कंपनी का नया नाम रखने की अपनी मंजूरी भी दे दी है। ज्ञातव्य है कि धारा 8 के तहत वाणिज्‍य, कला, विज्ञान, खेल, शिक्षा, शोध, समाज कल्‍याण, धर्म, दान तथा पर्यावरण संरक्षण अथवा किसी अन्‍य कल्‍याणकारी उद्देश्‍य के लिए स्‍थापित उपक्रम आते हैं। इन कंपनियों की गतिविधियों से प्राप्‍त लाभ को सिर्फ कंपनी के उद्देश्‍यों की पूर्ति के लिए ही इस्‍तेमाल किया जा सकता है। एजेएल की स्‍थापना वर्ष 1937 में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने की थी। कंपनी के दैनिक समाचार पत्रों नेशनल हेराल्‍ड और नवजीवन ने स्‍वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया था। मोतीलाल वोरा ने बताया कि कंपनी का नाम एसोसिएटेड जर्नल्‍स लिमिटेड की जगह एसोसिएटेड जर्नल रखने का फैसला किया गया है।

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