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शहरी बाढ़ को रोकने के लिए रोडमैप

शहरी बाढ़ शमन और भावी रोडमैप पर कार्यशाला

शहरी आपदा प्रबंधन पर हुआ गंभीर विचार-विमर्श

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 13 February 2016 01:09:24 AM

workshop on urban flood mitigation and future roadmap

नई दिल्ली। केंद्रीय सचिवालय के सचिव (समन्वय) एसके श्रीवास्तव ने 'शहरी बाढ़ शमन-सबक और भावी रोडमैप' पर दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय आपदा मोचन प्राधिकरण ने किया है। कार्यशाला का उद्देश्य देश में शहरी बाढ़ को प्रभावशाली तरीके से रोकने और उसके प्रबंधन के लिए रोडमैप तैयार करना है। कार्यशाला के दौरान शहरों में आने वाली बाढ़ से संबंधित मुख्य विषयों पर चर्चा की गई। इसके तहत शहरी जमीन के उपयोग की योजना, पूर्व चेतावनी प्रणाली, टिकाऊ जल निकासी प्रणाली तथा जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर चर्चा हुई।
एसके श्रीवास्तव ने एनडीएमए का आधिकारिक ट्वीटर हैंडल भी जारी किया, जिससे आपदा के दौरान उसका बेहतर तरीके से मुकाबला करने के लिए प्रयास किए जा सकेंगे। एसके श्रीवास्तव ने कहा कि शहरी बाढ़ मानव निर्मित होती है और उसे टाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में शहर से आने वाली बाढ़ से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई और कार्ययोजना के लिए एक ठोस रोडमैप भी बनाया गया। उन्होंने कहा कि शहरी बाढ़ एक वैश्विक घटना है और विकसित देशों में भी यह पाई जाती है। उन्होंने कहा कि शहरी बाढ़ जलवायु परिवर्तन से जुड़ी है। उन्होंने बताया कि शहरी बाढ़ को आम बाढ़ से अलग रखकर विचार किया जा रहा है। उन्होंने शहरी जमीन, जमीन पर अनाधिकृत कब्जों, बांधों से समय पर पानी छोड़ने आदि से संबंधित दिशा निर्देशों पर विशेष जोर दिया और कहा कि इन दिशा निर्देशों को लागू किए जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि मुबंई में आने वाली बाढ़ का अध्ययन करने के बाद भावी रोडमैप तैयार करने में बहुत सहायता होगी। उन्होंने एनडीएमए के ट्वीटर हैंडल के विषय में कहा कि इससे आम नागरिकों को सूचना देने में सहयोग मिलेगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ एमएन राजीवन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण अधिक वर्षा होने लगी है। उन्होंने कहा कि वर्षा के दिनों में कमी तो आ रही है, लेकिन जब भी पानी बरसता है तो बहुत अधिक बरसता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि कार्यशाला की सिफारिशों को लागू करने के लिए पूरा सहयोग दिया जाएगा। एनडीएमए के सदस्य आरके जैन ने कहा कि मुंबई, सूरत, श्रीनगर और अभी हाल में चेन्नई में शहरी बाढ़ की चुनौती सामने आई थी, इस तरह की घटनाएं बढ़ने की आशंका है। उन्होंने कहा कि भूकंप की भविष्यवाणी तो संभव नहीं है, लेकिन शहरी बाढ़ की आपदा को कम किया जा सकता है।
कार्यशाला में गृह मंत्रालय के अपर सचिव बीके प्रसाद, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के महानिदेशक ओपी सिंह, एनडीएमए के सदस्य एवं पूर्व सदस्य, राष्ट्रीय विशेषज्ञ, नोडल मंत्रालय, राज्य आपदा मोचन प्राधिकरणों के प्रतिनिधि, अधिक बाढ़ आने वाले राज्यों के शहरी विकास विभागों के सचिव, तकनीकी ऐजंसियां, नगर निगम आयुक्त, जिलाधिकारी, अकादमिक जगत की हस्तियां और गैर-सरकारी संगठनों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला में प्रधानमंत्री के अपर प्रमुख सचिव डॉ पीके मिश्र ने समापन भाषण दिया। दो दिवसीय कार्यशाला के दौरान भारत में शहरी बाढ़, शहरी जमीन के उपयोग, शहरी बाढ़ को कम करने, पूर्व चेतावनी, तूफान की निगरानी, बड़े शहरों में बाढ़ चेतावनी, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, जलाशय प्रबंधन आदि विषयों पर चर्चा की गई।

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