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Friday 26 February 2016 05:01:04 AM
लखनऊ। राष्ट्रीय सेवा योजना लखनऊ विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस विभाग नई दिल्ली की डिज़िटल इंडिया कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रोफेसर यूएन द्विवेदी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए और कहा कि डिज़िटल इंडिया का मुख्य उद्देश्य देश के युवाओं को सरकारी योजनाओं के प्रति जागरुक करना है। प्रोफेसर यूएन द्विवेदी ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों के माध्यम से देश को जागरुक और सशक्त करने का प्रयास कर रही है, जिससे विभिन्न विभागों में दी जाने वाली सुविधाएं देश के नागरिकों को घर बैठे उपलब्ध हो सकें। उन्होंने कहा कि आज इंटरनेट वरदान के समान हमारे सामने आया है, जिससे मिलने वाली सुविधाएं हमारी कल्पना से परे हैं। उन्होंने बताया कि सर्वप्रथम 1990 में रेलवे को ई-गवर्नेंस से जोड़ा गया, डिज़िटल इंडिया की अवधारणा 2014 में आई, जिसको 2015 में समस्त नागरिकों के सामने लाया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य डिज़िटल रूपांतरण से समाज को ज्ञान और आर्थिक रूप से सशक्त करना है।
एसईएमटी उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यक्ष विश्वदीप श्रीवास्तव ने कहा कि डिजिटलाइजेशन के कारण ही डाकघरों को बहुउद्देश्यीय सेवा केंद्र के रूप में परिवर्तित किया जा रहा है और सरकार की विभिन्न सुविधाओं जैसे-एफआईआर, राशन कार्ड, छात्रवृत्ति आदि को सुविधाएं सरल प्रक्रियाओं के माध्यम से जन-जन तक ई-सुविधाओं के माध्यम से पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है, इन समस्त सुविधाओं का लाभ आम आदमी तक पहुंचाने के लिए सरकार आधारभूत शिक्षा की आवश्यकता को महत्व दे रही है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में ई-जिला की शुरूआत 2008 से हुई और 2012 तक यह सभी 75 जिलों में उपलब्ध है। राष्ट्रीय सेवा योजना लखनऊ विश्वविद्यालय के कार्यक्रम समन्वयक डॉ राकेश द्विवेदी ने कहा कि डिज़िटल इंडिया के माध्यम से देश तथा नागरिकों को पूरी तरह से सक्षम व सशक्त करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश के विकास में आज युवाशक्ति अपनी अहम भूमिका अदा कर रही है और इस प्रक्रिया में राष्ट्रीय सेवा योजना की युवाशक्ति डिज़िटल इंडिया अभियान, ई-गवर्नेंस, डिज़िटल साक्षरता के माध्यम से नागरिकों को जागरूक करने का कार्य कर रही है, जिससे देश सशक्त रूप से विश्व पटल पर अपनी विशेष पहचान बना सके।
क्षेत्रीय केंद्र राष्ट्रीय सेवा योजना और युवा एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार के क्षेत्रीय निदेशक डॉ अशोक श्रोती ने बताया कि राष्ट्रीय सेवा योजना का प्रारंभ 1969 में 40 हजार स्वयंसेवकों के साथ किया गया था, जो आज 34 लाख संख्या के साथ सबसे बड़े युवा संगठन के रूप में कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि करीब 350 विश्वविद्यालयों में डिज़िटल इंडिया अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें से लखनऊ विश्वविद्यालय भी एक है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना की विभिन्न इकाइयों को अब सीधे ई-सुविधाओं से जोड़ा जाएगा, जिससे सूचनाएं सभी इकाइयों को सीधे प्राप्त होंगी। डॉ अशोक श्रोती ने कहा कि आज हमारे हाथों में स्मार्ट फोन होने के बाद भी हम उसका सही उपयोग कर पाने में असमर्थ हैं, इसके प्रति जागरूकता की आवश्यकता है। कार्यशाला में डिज़िटल इंडिया के तीन विजन एवं नौ स्तम्भों पर विस्तार से चर्चा की गई।
एनईजीडी भारत सरकार नई दिल्ली के सीनियर कंसल्टेंट मोहित मिश्रा ने कहा कि डिज़िटल इंडिया के तीन मुख्य अंगभूत हैं-ढांचा विकास, सेवा प्रदाता एवं डिज़िटल शिक्षा। उन्होंने कहा कि इसमें डिज़िटल इंडिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए उनको प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का क्लाउड सिस्टम के अंतर्गत आना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, यह एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है, जिसमें युवाओं का महत्वपूर्ण योगदान है और राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक, सेविकाओं के माध्यम से डिज़िटल इंडिया के प्रति नागरिकों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। मोहित मिश्रा ने बताया कि युवा नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल से किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, भारत सरकार राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित करने की योजना पर काफी गंभीरता से कार्य कर रही है। उन्होंने डिज़िटल लॉकर, नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल, विश्वेसरैया पीएचडी कार्यक्रम की सुविधाओं के बारे में राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक और सेविकाओं को फिल्म के माध्यम से जागरूक किया।
लखनऊ विश्वविद्यालय के कार्यक्रम अधिकारी डॉ पुनीत मिश्रा ने कहा कि डिज़िटल इंडिया युवा की काल्पनिक शक्ति को स्थिरता प्रदान कर रहा है, इससे राष्ट्रीय सेवा योजना स्वयंसेवक, सेविकाओं को प्रशिक्षित कर सरकारी योजनाओं पर आसानी से समझ बनाई जा सकती है तथा इनकी सहभागिता से देश की वास्तविक प्रगति को संभव बनाने का प्रयास किया जा सकता है। कार्यशाला के दूसरे सत्र में डॉ पुनीत मिश्रा एवं प्रीती सिंह ने बताया कि डिज़िटल इंडिया की पहुंच देश के जन-जन तक पहुंचाने के लिए लोकवाणी केंद्र, ई-सुविधा केंद्र बनाए गए हैं, साथ ही डिज़िटल इंडिया के प्रति जागरूक करने के लिए नागरिकों का क्षमतावर्धन भी किया जा रहा है। एनईजीडी के प्रतिनिधि प्रद्युम्न ने ई-वेस्ट, डिज़िटल सशक्तिकरण एवं ई-सुरक्षा के बारे में बताया और कहा कि नेशनल डिज़िटल लिटरेसी मिशन के माध्यम से देश के जन-जन को शिक्षित कर डिज़िटल इंडिया के प्रति सशक्त करने का प्रयास किया जा रहा है, यह कार्य देश में व्यापक रूप से किया जा रहा है।
सीएससी ई-गवर्नेंस सेवा के स्टेट एंकर ओमप्रकाश भारती ने बताया कि सर्व सेवा केंद्र के माध्यम से किस प्रकार समस्त सुविधाएं एक ही स्थान पर प्राप्त कर सकते हैं, साथ ही इसके प्रति जागरूक और ई-गवर्नेंस की सुविधाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। कार्यशाला के द्वितीय सत्र में विभिन्न महाविद्यालयों ने डिज़िटल इंडिया, ई-वेस्ट, स्किल डेवलपमेंट शीर्षकों पर नुक्कड़ नाटकों का आयोजन किया। प्रस्तुत नाटकों में महावीर प्रसाद डिग्री कालेज को प्रथम पुरस्कार के रूप में डिज़िटल इंडिया ट्रॉफी प्रदान की गई। इसके साथ ही प्रत्येक टीम से उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले स्वयंसेवक, सेविका को पुरस्कृत किया गया। कार्यशाला में राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक, सेविका, कार्यक्रम अधिकारी और गणमान्य नागरिक, डिज़िटल इंडिया की सेवाओं के प्रति जागरूक एवं प्रशिक्षित हुए।