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Tuesday 14 June 2016 09:11:03 AM
वाशिंगटन। अमरीका का सैन्य खुफियातंत्र मीडिया में चल रही इन ख़बरों के सच की छानबीन में लगा है कि दुनिया में मुस्लिम आतंकवाद के शीर्ष चरमपंथी ओसामा बिन लादेन के खात्मे के बाद पैदा हुए एक और दहशतगर्द आइसिस चीफ अबू बकर अल बगदादी सीरिया के रक्का शहर में अमरीकी हवाई हमलों में मारा गया है कि नहीं। अरब मीडिया का तो कहना है कि अपने विरोधियों को तेजाब में डुबोकर मारने वाला, आग की भटि्टयों से घेरकर निर्दोशों को मारने वाला, लड़कियों का अपहरण कर उन्हें जन्नत की हूरों की तरह अपने आतंकवादी लड़ाकों के हवाले कराने वाला और मासूम बच्चों को मानव बम बनाकर या उन्हें सशस्त्र प्रशिक्षण देकर विभिन्न देशों में श्रंखलाबद्ध भयानक आतंकवादी हमलों को अंजाम देने वाला इस्लामिक स्टेट का प्रमुख अतिवादी अबू बकर अल बगदादी सीरिया में अमेरिकी हवाई हमलों में मारा जा चुका है। इस सोमवार को आईं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अल बगदादी सीरिया की रक्का शहर में अमरीकी हवाई हमलों में मौत हो गई है। ईरानी स्टेट मीडिया और तुर्की के अखबार येनिस सफाक ने अरबी न्यूज़ एजेंसी अल अमाक के हवाले से उसके मरने की गारंटीशुदा ख़बर जारी की है, लेकिन जबतक अमरीका इस ख़बर की पुष्टि नहीं करता है, तबतक अबू बकर अल बगदादी के खात्मे पर संशय बना रहेगा।
अरबी न्यूज़ एजेंसी अल अमाक का दावा है कि बगदादी रविवार को ही मारा गया है। अमाक के अनुसार अबू बकर अल बगदादी रमजान के पांचवे दिन रक्का शहर में अमरीकी हवाई हमलों में मारा गया, मगर अमेरिका या उसके सैन्य अभियान के सहयोगी देशों की ओर से बगदादी के मारे जाने की ख़बर पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं है। सोमवार को इराकी टीवी चैनल अल सुमारिया ने भी कहा था कि अबू बकर अल बगदादी रविवार को मोसुल से करीब 65 किलोमीटर दूर एक स्थान पर अमरीकी हवाई हमले में घायल हो गया है और उसके बाद आज यह ख़बर दुनियाभर के मीडिया में चल रही है कि वह मारा जा चुका है। सोशल मीडिया पर अनेक जगह पर उसकी हू-ब-हू शक्ल के मृत शरीर को पोस्ट किया गया है। सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर उसके मारे जाने की ख़बर जोर-शोर से चल रही है, मगर अमरीका ने बगदादी के मारे जाने की अभी तक पुष्टि नहीं की है। दरअसल सीरिया में अमरीकी सैन्य अभियान के अनेक अवसरों पर यह ख़बर आई कि बगदादी मारा गया है, घायल हो गया है और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई है, मगर यह ख़बरें बाद में गलत साबित हुईं, क्योंकि उसे आईसिस के वीडियो टेप में अपने लड़ाकों में उत्साह भरते देखा गया।
आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में इन दिनों अबू बकर अल बगदादी का इस कदर खौफ है कि कोई भी व्यक्ति उसके नाम से भी कांप उठता है, उसने जासूस होने के शकभर में अपने दर्जनों लड़ाकों को भी मौत के घाट उतार दिया है। कहा जा रहा है कि ट्यूनीशिया का रहने वाला आईसिस का एक कमांडर अबू हयजा अल तुनसी किसी वाहन से उत्तरी सीरिया जा रहा था, उसी दौरान उस पर अमेरिका का सटीक ड्रोन हमला हुआ, जिसमें वह मारा गया, तब यह शक हुआ कि आईसिस में अमरीकी सेना के कुछ मुखबिर हैं। इसके बाद आईसिस के आला कमांडर ने अमरीकी सेनाओं की मुखबिरी करने वालों की पहचान करने के आदेश दिए। कुर्दिश कमांडर्स, इराकी खुफिया अधिकारियों और आईएस पर काम करने वाले इराकी सरकार के एक गुप्तचर ने बताया कि मुखबिरी के शक में तीन दर्जन से भी ज्यादा आईसिस आतंकवादी लड़ाकों को मार दिया गया है। कहते हैं कि कुछ को तो तेजाब की टंकियों में डालकर मार डाला गया है और कई आईसिस लड़ाके जेल में डाल दिए गए हैं, कई मुखबिर होने के शक में मार दिए जाने के डर से भाग निकले हैं। इस समय बगदादी के लड़ाके अमरीकी हवाई हमलों से भारी दहशत में हैं। आईसिस में मोबाइल फोन या इंटरनेट कनेक्शन तकपर पहरा है।
अमेरिकी सैन्य अभियान के अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में आईएस के कई टॉप कमांडर्स मारे जा चुके हैं, इनमें उनका युद्ध मंत्री ओमार अल शिशनी, कुख्यात इराकी आतंकवादी शकीर बुहायेव, वित्तीय अधिकारी हाजी इमान, अबु अला अल अफारी जैसे आतंकवादी शामिल हैं। अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन ने सोमवार को अमेरिकी रक्षा अधिकारियों के हवाले से बताया कि उन्हें विश्वसनीय खुफिया जानकारी मिली थी कि कहते हैं कि कुछ को तो तेजाब की टंकियों में डालकर मार डाला गया है। कहते हैं कि कुछ को तो तेजाब की टंकियों में डालकर मार डाला गया है। अल बगदादी पिछले छह महीने से मोसुल से बाहर भी जा रहा है। बगदादी की इस हमले में मौत हो चुकी है या नहीं इस पर अभी तक संशय है, इतना तक सही बताया जा रहा है कि अमरीका सैन्य अभियान का रक्का में ड्रोन हमला हुआ था, मगर यह दावे से नहीं कहा जा सकता कि उसमें अल बगदादी शिकार हुआ कि नहीं। ड्रोन हमले के बाद यह ख़बर तेजी से उड़ी कि इस हमले में बगदादी गंभीर रूप से घायल हो गया है और उसके बाद अरब मीडिया में ख़बर चली कि उसकी मौत हो गई है। बगदादी की मौत के संबंध में अमरीका की ओर से स्थिति साफ नहीं हो रही है। अमरीका ऐसी ख़बरों की पुष्टि करने में न तो जल्दबाजी दिखाता है और न ही मीडिया रिपोर्ट्स का सहारा लेता है। बताया जाता है कि अमरीका में अभी हुए नरसंहार पर अमरीकी प्रशासन का ध्यान है, बगदादी की मौत के बारे में वह समय आने पर संबंधित जानकारियां जारी करेगा।
भारत के संदर्भ में मुस्लिम आतंकवाद का सरगना अल बगदादी काफी महत्वपूर्ण हो गया है और कई मायनों में उसकी मौत की ख़बर अफवाह भी हो सकती है, ताकि अमरीका और उसके मित्र देशों की सेनाएं भ्रमित हो जाएं। रमज़ान का महीना चल रहा है और आईसिस चीफ आतंकवादी हमलों की नई बड़ी घटनाओं को अंजाम देने की रणनीति में भी लगा हो सकता है। हाल के महीनों में सीरिया और यूरोपीय देशों के बाद आईसिस ने एशिया में भारत की ओर भी रुख किया है, भारत में उसके हमदर्दों का भी पता चल रहा है, वह पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों की मदद से भारत में आत्मघाती हमलों को अंजाम दे सकता है। भारत में भाजपा की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सरकार से पाकिस्तान में बड़ी अफरा-तफरी है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यूरोपीय देशों और कुछ मुस्लिम देशों का जबरदस्त समर्थन मिलने से पाकिस्तान और भी बौखलाया हुआ है, वह आईसिस आतंकवादियों को एशिया में और खासतौर से भारत में बड़ी दहशतगर्दी के लिए मुकम्मल पनाह दे रहा है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान में तालिबान का जोर है, लेकिन पाकिस्तान को तालिबान से भारत के भीतर किसी हमले की उम्मीद नहीं है और वह चाहता है कि आईसिस ही भारत में कुछ बड़ी वारदातों को अंजाम दे, इसीलिए आईसिस को जम्मू-कश्मीर में सक्रिय पाकिस्तानी आतंकवादियों की मदद मिलती देखी गई है। भारत के लिए यह एक नया और खतरा माना जाता है, इसलिए इस संभावना में कोई शक नहीं माना जाता है कि भारत में आईसिस स्थानीय विघटनकारियों की मदद से आतंकवादी हिंसा को अंजाम दे सकता है। अल बगदादी मारा गया है अथवा नहीं यह एक ऐसी ख़बर है, जिसकी अमरीका पहले हर स्तर पर पुष्टि करेगा, तभी उससे संबंधित जानकारियां जारी करेगा। अमरीका भारत को आगाह कर चुका है कि आईसिस की आतंकवादी हिंसा भारत में भी हो सकती है।