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Friday 17 June 2016 04:58:08 AM
नई दिल्ली। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने केंद्र शासित प्रदेशों के गृहमंत्रियों, मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों की बैठक में भारत के 7,516 किलोमीटर लंबी समुद्र तटीय सुरक्षा के सभी पहलुओं की समीक्षा की। गृहमंत्री ने समुद्री मार्गों से संभावित बाहरी खतरों से औद्योगिक, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और सामरिक प्रतिष्ठानों और पूरे समुद्र तट की रक्षा करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि 26 नवंबर को हुए मुंबई आतंकवादी हमले के बाद अनेक कदम उठाए गए हैं, जिनके तहत भारतीय तट रक्षक को समुद्री सीमा में तटीय सुरक्षा के लिए जिम्मेदार प्राधिकरण के रूप में नामित किया गया है, जिसमें तटीय पुलिस के गश्त लगाए जाने वाले क्षेत्र भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना तटीय सुरक्षा और अपतटीय सुरक्षा सहित समुद्री सुरक्षा के लिए समग्र रूप से जिम्मेदार है, भारतीय तटों की सुरक्षा राज्य समुद्री पुलिस, भारतीय तट रक्षक और भारतीय नौसेना की त्रिस्तरीय प्रणाली से सुनिश्चित की जाती है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय तटरक्षक तटीय पुलिस थानों के कामकाज के लिए गृह मंत्रालय की मानक संचालन प्रक्रिया को मान्यता देने के लिए साल में दो बार तटीय सुरक्षा अभ्यास का आयोजन करती है, जिसमें सभी तटीय राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के सभी हितधारक शामिल होते हैं और भारतीय तट रक्षक इसके साथ ही तटीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय के लिए इन एसओपी की घोषणा भी करता है। गृहमंत्री ने कहा कि समुद्र तट की सुरक्षा भारतीय तट के आसपास लगाए गए स्थिर सेंसरों एवं स्वचालित पहचान प्रणाली रिसीवर की श्रृंखला और 45 स्थानों पर भारतीय तट रक्षक द्वारा संचालित रडार के जरिए सुनिश्चित की जाती है, जबकि बगैर किसी चूक के समुद्र तट की निगरानी सुनिश्चित करने के लिए 38 और रडार लगाने की योजना बनाई गई है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने गैर-प्रमुख बंदरगाहों की सुरक्षा के संबंध में तटीय राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
राजनाथ सिंह ने बताया कि तटीय पुलिस के प्रशिक्षण के लिए गुजरात में राष्ट्रीय समुद्री पुलिस प्रशिक्षण संस्थान और राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस प्रशिक्षण अकादमियों में राज्य समुद्री पुलिस प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है, अवैध आवाजाही पर नज़र रखने के लिए मछली पकड़ने की नौकाओं के पंजीकरण को अनिवार्य बना दिया गया है। उन्होंने बताया कि सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर मछुआरों को संवेदनशील बनाने के लिए भारतीय तट रक्षक द्वारा समुदायों से बातचीत के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। गृहमंत्री ने कहा कि इन कदमों को उठाए जाने से हमारे तटीय क्षेत्र अब ज्यादा सुरक्षित होंगे, तटीय सुरक्षा के सभी पहलुओं को ध्यान रखते हुए उनकी निगरानी और समन्वय तंत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए सरकार ने राज्य और जिला स्तर पर एक संस्थागत तंत्र तैयार किया है और साथ ही तटीय सुरक्षा की समीक्षा हेतु गृह मंत्रालय की संचालन समिति को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती प्रदान की है। राजनाथ सिंह ने समुद्री आतंकवाद और उसके आर्थिक निहितार्थ के मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने अगले पांच वर्ष में लागू होने वाली तटीय सुरक्षा योजना के तीसरे चरण के लिए तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से सुझाव भी मांगे।
गृहमंत्री ने कहा कि सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों और गृह मंत्रालय एवं अन्य मंत्रालयों तथा भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल और तटीय पुलिस के सक्रिय सहयोग से तटीय सुरक्षा में सुधार जारी रहेगा और हमारा समुद्र तटीय क्षेत्र पूरी तरह से किसी भी खतरे से सुरक्षित हो जाएगा। बैठक के दौरान सरकार की तटीय सुरक्षा योजना पर भी विचार किया गया, जिसका उद्देश्य तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के तटीय क्षेत्रों में गश्त लगाने और निगरानी से संबंधित बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाना है। इस योजना के तहत सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तटीय पुलिस स्टेशनों, चेक पोस्ट, चौकियों और पुलिस की नावों को बांधने के लिए घाटों के निर्माण हेतु सहायता प्रदान की जाती है। वर्तमान में इस योजना के द्वितीय चरण का कार्य प्रगति पर है। बैठक के दौरान तटीय सुरक्षा योजनाओं के शीघ्र कार्यान्वयन, तटीय सुरक्षा की समीक्षा हेतु राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों में संस्था की स्थापना, राज्य समुद्री बोर्डों का गठन, गैर प्रमुख बंदरगाहों और एकल बिंदु घाट, तटीय मानचित्रण, द्वीपों की सुरक्षा, बॉयोमीट्रिक पहचान पत्र और कार्ड रीडर के वितरण, नावों के रंग की कोडिंग, मछलियों के उतरने की जगह और मछुआरों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा पार करने की निगरानी संबंधित सभी विषयों पर चर्चा की गई।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस ने समुद्र, तट, बंदरगाह, महत्वपूर्ण संस्थानों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय समुद्री सुरक्षा पुलिस बल के गठन का सुझाव दिया, क्योंकि समुद्री पुलिस का कार्य विशेषज्ञता का कार्य होता है। उन्होंने सुझाव दिया कि अवतरण ठिकानों तथा गैर प्रमुख बंदरगाहों को ई-निगरानी के तहत लाया जाना चाहिए। इन दोनों सुझावों का कुछ अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने समर्थन किया। राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के रूप में केंद्र सरकार तटीय पुलिस बल के गठन पर गंभीरता से विचार करेगी। इसके गठन में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की राय को ध्यान में रखा जाएगा। यह निर्णय लिया गया कि मछुआरों के समुद्र में जाने और वापस आने पर निगरानी रखने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक एकीकृत कंप्यूटरीकृत प्रणाली या टेक्नोलॉजी आधारित ई-निगरानी व्यवस्था लागू की जाएगी। केंद्र सरकार इस दिशा में मदद देगी। भारतीय तटरक्षक बल और तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इस मौके पर तटीय सुरक्षा और उनकी जरूरतों के साथ ही सुरक्षा को और अधिक मजबूती प्रदान करने के सुझाव और इस दिशा में किए गए प्रयासों के संदर्भ में जानकारी दी।
समुद्र तटीय सुरक्षा समीक्षा में इस बात पर गंभीर विचार हुआ कि आतंकवादियों और अपराधिक तत्वों की समुद्री मार्ग से घुसपैठ एक बड़ी समस्या है और इस पर यथाशीघ्र नियंत्रण आवश्यक है। सीमा प्रबंधन, गृह मंत्रालय के विभाग की बैठक में गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एके सिंह, पुड्डुचेरी के राजस्व मंत्री एमओएचएफ शाहजहां, कर्नाटक के गृहमंत्री डॉ जी परमेश्वर, गुजरात के गृह राज्यमंत्री रजनीभाई पटेल, केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि, आईएससीएस की सचिव नैनी जयसीलम, बीएम के सचिव सुशील कुमार, महाराष्ट्र, गोवा और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के मुख्य सचिव, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, और गुजरात के पुलिस महानिदेशक, गृह मंत्रालय, भाग लेने वाले मंत्रालयों तथा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारी शामिल हुए।