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अफगान के लिए भारत एक चट्टान-सुषमा

भारत-अफगान मैत्री बांध बनाने वालों का अभिनंदन

कठिन परिस्थितियों में पूरा हुआ बांध का निर्माण

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 23 June 2016 07:43:04 AM

india-afghan friendship dam the successful creation of a function

नई दिल्‍ली। विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज और केंद्रीय जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने नई दिल्‍ली में बुधवार को एक समारोह में भारत-अफगान मैत्री बांध के सफल निर्माण पर वैपकोस लिमिटेड और अफगानिस्‍तान के कर्मचारियों का अभिनंदन किया। अफगानिस्‍तान के साथ भारत के सदियों पुराने रिश्तों का उल्‍लेख करते हुए केंद्रीय जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा कि अफगान भारत मैत्री बांध दोनों देशों के बीच पारस्‍परिक विश्‍वास और सहयोग का एक ज्‍वलंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि भारत-अफगान मैत्री बांध का निर्माण अत्‍यंत कठिन राजनीतिक और जलवायु परिस्थितियों में किया गया। परियोजना का सफलतापूर्वक समापन 1500 भारतीय और अफगान अभियंताओं एवं पेशेवरों के द्वारा बेहद कठिन परिस्थितियों में की गई वर्षों की कड़ी मेहनत का परिणाम है।
उमा भारती ने वैपकोस के कर्मचारियों और अफगान तकनीकीकर्मियों की निष्‍ठा की प्रशंसा करते हुए कहा कि इन बहादुर लोगों ने एक असंभव काम को संभव बनाया है। उन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि इस परियोजना को पिछले दो वर्ष के दौरान विशेष बल मिला। समारोह की मुख्‍य अतिथि विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज ने अफगानिस्‍तान को भारत के निरंतर सहयोग का आश्‍वासन देते हुए कहा कि भारत, अफगानिस्‍तान के साथ हमेशा एक चट्टान की तरह खड़ा रहेगा। उन्‍होंने कहा कि हम अफगानिस्‍तान के ऊर्जा और जलमंत्री इंजीनियर अली अहमद उस्‍मानी के जरिए अफगानिस्‍तान के लोगों को यह संदेश देना चाहेंगे कि भारत उनके साथ हमेशा एक चट्टान की तरह खड़ा रहेगा, आपकी आर्थिक समृद्धि और सुरक्षा को लेकर हमारी प्रतिबद्धता कायम है। सुषमा स्वराज ने कहा कि जल संसाधन मंत्रालय के उपक्रम वैपकोस लिमिटेड ने अत्‍यंत ही कठिन परिस्थितियों में इस काम को संपन्‍न किया है, जबकि इस दौरान भारतीय नागरिकों पर कई हमले भी हुए।
वैपकोस की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए अफगानिस्‍तान के ऊर्जा और जलमंत्री इंजीनियर अली अहमद उस्‍मानी ने कहा कि यह बांध भारत के साथ मैत्री की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण कदम है। उन्‍होंने अन्‍य देशों से अनुरोध किया कि वे भारत के सहयोग के इस मॉडल को अपनाएं। इंजीनियर अली अहमद उस्‍मानी ने कहा कि भारत, बांध और ऊर्जा परियोजनाओं के क्षेत्र में अफगानिस्‍तान को मदद करने वाला पहला देश था। उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि दोनों देशों के बीच सहयोग का यह रिश्‍ता हमेशा कायम रहेगा। उन्होंने कहा कि हमारी दोस्‍ती यह साबित करती है कि आतंकवाद विकास के पथ में बांधा नहीं बन सकता। उल्‍लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अफगानिस्‍तान के राष्‍ट्रपति डॉ अशरफ गनी ने पश्चिमी अफगानिस्‍तान के हेरात प्रांत के चिश्‍त-ए-शरीफ में 4 जून 2016 को संयुक्‍त रूप से अफगान-भारत मित्रता सलमा बांध का उद्घाटन किया था।
अफगान-भारत मैत्री बांध 42 मेगावॉट बिजली उत्‍पन्‍न करने की क्षमता, 75 हजार हेक्‍टेयर भूमि की सिंचाई, जलापूर्ति और अफगानिस्‍तान के लोगों के लिए अन्‍य लाभों हेतु बनाई गई एक बहुउद्देश्‍यीय परियोजना है। अफगानिस्‍तान के हेरात प्रांत में हरीरुद नदी पर बनी इस परियोजना का निष्‍पादन और कार्यांवयन जल संसाधन, नदी विकास, गंगा सरंक्षण मंत्रालय के अंतर्गत भारत सरकार के एक उपक्रम वेपकॉस लिमिटेड ने किया। यह परियोजना हेरात कस्‍बे से 165 किलोमीटर पूर्व में है। ज्ञातव्य है कि सुरक्षा कारणों से इस परियोजना में शामिल भारतीय अभियंताओं और तकनीशियनों को परियोजना स्‍थल पर ले जाने के लिए महीने में एक बार अफगानिस्‍तान सरकार द्वारा हेलीकॉप्‍टर सेवा प्रदान की गई।
अफगान-भारत मैत्री बांध परियोजना के लिए सभी उपकरणों और सामग्री को समुद्र के माध्‍यम से भारत से ईरान के बंदर-ए-अब्‍बास बंदरगाह पर भेजा गया और वहां से सड़क मार्ग से 1200 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए ईरान-अफगानिस्‍तान की सीमा पर स्थित किला सीमा चौकी पहुंचाया गया और इसके पश्‍चात सड़क मार्ग से 300 किलोमीटर की दूरी तय करके परियोजना स्‍थल की सीमा चौकी पर भेजा गया। सीमेंट, इस्‍पात सुदृढ़ीकरण, विस्‍फोटक आदि को अफगानिस्‍तान में पड़ोसी देशों से आयात किया गया। बांध की कुल क्षमता 633 मिलियन घनमीटर है। बांध की ऊंचाई 104.3 मीटर, लंबाई 540 मीटर है और तल की चौड़ाई 450 मीटर है। करीब 1775 करोड़ पचास रुपये की लागत से बनी इस परियोजना को पूरा करने में 10 वर्ष से अधिक का समय लगा।

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