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Thursday 21 July 2016 06:34:17 AM
शंघाई/ नई दिल्ली। ब्रिक्स न्यू डेवलपमेंट बैंक के संचालक मंडल की प्रथम वार्षिक बैठक कल चीन के शंघाई शहर में आयोजित की गई। न्यू डेवलपमेंट बैंक ने वर्ष 2015 में अपनी स्थापना का एक साल पूरा कर लिया है। एनडीबी की स्थापना के बाद से ही इसके परिचालन की नीतियों पर अमल किया जा रहा है, सभी पांचों सदस्य देशों के लिए परियोजनाओं को मंजूरी दे दी गई है और बैंक ने ग्रीन बांडों के एक निर्गम को पूरा कर लिया है। एनडीबी के संचालक मंडल की बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि भारत इस बैंक के संचालक मंडल का अध्यक्ष होगा और एनडीबी की दूसरी वार्षिक बैठक भारत में वर्ष 2017 में आयोजित की जाएगी।
भारत सरकार के आर्थिक कार्य विभाग में संयुक्त सचिव राजकुमार ने बैठक में भारत के वित्तमंत्री का प्रतिनिधित्व किया और उनकी ओर से गवर्नर का वक्तव्य पेश किया। संयुक्त सचिव राज कुमार ने वक्तव्य में कहा कि न्यू डेवलपमेंट बैंक के इस ऐतिहासिक अवसर पर हम हमारे भव्य स्वागत और हमारी मेजबानी के लिए उत्कृष्ट व्यवस्था करने हेतु चीनी जनवादी गणराज्य की सरकार का धन्यवाद करते हैं। उन्होंने कहा कि एनडीबी की प्रथम वार्षिक बैठक इस बैंक की स्थापना के विजन को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण अवसर है, यह बैंक की स्थापना एवं इसके परिचालन के पिछले एक वर्ष में हासिल की गई उल्लेखनीय प्रगति एवं उपलब्धियों को दर्शाता है, इस दौरान नीतियों पर अमल किया गया है और अक्षय ऊर्जा से जुड़ी परियोजनाओं के वित्त पोषण को मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि हम तेज़ गति, कौशल एवं रणनीति के साथ बैंक के कामकाज को आगे बढ़ाने के लिए अध्यक्ष कामथ एवं प्रबंधन टीम का धन्यवाद करते हैं।
संयुक्त सचिव राजकुमार ने कहा कि प्रथम वार्षिक बैठक संस्थापक सदस्यों और अन्य उभरती एवं विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को टिकाऊ बुनियादी ढांचे के लिए अत्यंत उपयोगी संसाधन मुहैया कराने संबंधी एनडीबी के विजन को साकार करने हेतु आवश्यक महत्वपूर्ण कार्यों के दौर के शुभारंभ को भी दर्शाती है। उन्होंने कहा कि हमारे सामने मौजूद चुनौतियां अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, वर्तमान वैश्विक आर्थिक परिदृश्य उतना अच्छा नहीं है, जितनी अपेक्षा हम करते रहे हैं, इस दौरान कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं के विकास में थोड़ी बेहतरी देखने को मिल रही है, उभरते बाजारों एवं विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के विकास की गति घट गई है, वित्तीय क्षेत्र में उतार-चढ़ाव बढ़ गया है और आम तौर पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष ने वैश्विक विकास के अनुमानों को घटा दिया है, ‘ब्रेक्जिट’ से अनिश्चितता एवं बाजार में उतार-चढ़ाव के साथ-साथ जोखिम से बचने की प्रवृत्ति भी और ज्यादा बढ़ गई है।
राजकुमार ने कहा कि उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की ढांचागत समस्याओं की वजह से भारत के विकास पर अब भी असर पड़ रहा है। वैश्विक व्यापार में छाई सुस्ती और विभिन्न जिंसों के निम्न मूल्यों से भी जिंसों का निर्यात करने वाले उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर बेहद प्रतिकूल असर पड़ा है, जिससे उनकी कॉरपोरेट एवं अन्य आर्थिक कमजोरियां और ज्यादा गंभीर हो गई हैं। आर्थिक कार्य विभाग में संयुक्त सचिव ने कहा कि सरकारों, केंद्रीय बैंकों और नियामकों को विवेकपूर्ण राजकोषीय, मौद्रिक एवं ढांचागत नीतियों के जरिए इस तरह की कमजोरियों के दबाव को कम करना है। उन्होंने कहा कि भारत में हम दूरगामी असर वाले ढांचागत सुधारों के जरिए ‘बदलाव के लिए सुधार’ की अवधारणा का अनुसरण कर रहे हैं, हमने निवेश माहौल को बेहतर करने एवं कारोबार में और ज्यादा सुगमता सुनिश्चित करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा निवेश कोष बनाया गया है, इसी तरह कंपनियों, विभिन्न व्यक्तियों, साझेदारियों एवं अन्य निकायों के दिवालिएपन से निपटने के लिए दिवाला और दिवालियापन संहिता 2016 को संसद में पारित किया गया है।
उन्होंने कहा कि नवाचार, उद्यमिता और रोज़गार सृजन को बढावा देने के लिए मेक इन इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया और कौशल भारत जैसे कदमों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने एक व्यापक वित्तीय समावेश कार्यक्रम शुरू किया है, बैंकिंग सुविधाओं से वंचित लोगों के लिए 200 मिलियन से भी ज्यादा बैंक खाते खोले गए हैं। उन्होंने कहा कि हम केवल लक्षित व्यक्तियों को ही वित्तीय एवं अन्य सब्सिडी, लाभों और सेवाओं को मुहैया कराने के लिए वैधानिक समर्थन वाली अनूठी पहचान प्रणाली ‘आधार’ का इस्तेमाल एक नींव के रूप में कर रहे हैं। राजकुमार ने कहा कि इस तरह के परिदृश्य में टिकाऊ बुनियादी ढांचे में होने वाला निवेश विभिन्न देशों में आर्थिक माहौल को और ज्यादा बेहतर बनाने, संभावित विकास की गति को तेज करने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाता है, यह न्यू डेवलपमेंट बैंक के फोकस का अहम क्षेत्र भी है।