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Friday 23 September 2016 06:43:24 AM
नई दिल्ली। भारत-फ्रांस में आज अत्याधुनिक लड़ाकू विमान राफेल का सौदा हो गया। राफेल के सौदे से पाकिस्तान थर्राया हुआ है, जबकि अभी तो राफेल विमान आने बाकी हैं। भारत के रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर और फ्रांसीसी रक्षामंत्री ज्यां यीव्स ली द्रियान ने नई दिल्ली में भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमान बेचने के सौदे पर दस्तखत कर राफेल अनुबंध समझौते का आदान-प्रदान किया। करीब उनसठ हजार करोड़ रुपए के इस सौदे की भारतीय वायुसेना को बहुत प्रतीक्षा थी। इससे भारत को इसी साल अब 36 राफेल लड़ाकू विमान मिल जाएंगे। लड़ाकू विमान राफेल की विशेषता है कि यह एक मिनट में 60 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है, यह 2200 से 2500 किलीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ता है और इसमें उड़ान के दौरान छह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ले जाने की क्षमता है। इसकी मारक क्षमता करीब 3700 किलोमीटर की है, यह हवा में ही 4700 किलो ईंधन भरने के बाद करीब 10 घंटे तक लगातार युद्ध अभियान पर रह सकता है। पाकिस्तान के लिए यह एक बड़ी चिंताजनक स्थिति बन गई है कि वह भारत की सैन्यशक्ति के सामने वैसी ही अपनी सैन्यशक्ति किन साधनों से और किनके भरोसे बढ़ाए, क्योंकि भारत पर परमाणु हमला करना उतना आसान नहीं है।
भारत को अब लड़ाकू विमानों के 45 स्क्वैड्रन की भी जरूरत होगी, भारत ने इसकी भी तैयारी कर ली है। इस पर तेजी से काम चल रहा है। एक स्क्वैड्रन में 16-18 लड़ाकू विमान होते हैं। भारतीय सेना के पास फिलहाल 34 स्क्वैड्रन हैं। राफेल विमान मिलने से भारतीय वायुसेना की अभूतपूर्व ताकत बढ़ जाएगी। वायुसेना की वर्तमान क्षमता के अनुसार भारतीय वायुसेना के लड़ाकू हवाई जहाजों में से अब तीन मिग-21 एम स्क्वैड्रन और दो मिग-27 यूपीजी स्क्वैड्रन 2018 में प्रयोग से बाहर हो जाएंगे। छह मिग-21 बाइसन स्क्वैड्रन 2022 में प्रयोग से बाहर हो जाएंगे, बस छह जगुआर स्क्वैड्रन, तीन मिराज-2000 स्क्वैड्रन और तीन मिग-2030 स्क्वैड्रन तक वायुसेना में रहेंगे। भारत के पास ऐसे विमान की कमी थी, जो पाकिस्तान के साथ चीन को भी करारा जवाब दे सके। भारत को राफेल लड़ाकू की जरूरत इसलिए भी हो गई थी, क्योंकि पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है और वह चीन के उकसावे में आकर भारत पर युद्ध थोपने की कोशिश कर रहा है, वैसे भी पाकिस्तान विश्व समुदाय की नज़रों में एक संदिग्ध देश बन चुका है, जिसपर कभी भी भरोसा नहीं किया जा सकता, यह अलग बात है कि भारत पर परमाणु हमला करके पाकिस्तान कितना बचेगा?
पाकिस्तान को चीन ने बड़ा भरोसा दिया हुआ है कि भारत से उसका युद्ध होने की स्थिति में वह उसकी सहायता करेगा। चीन का यह भरोसा इसलिए है कि उसे पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले प्रांत बलूचिस्तान में अरबों रुपए के फंसे प्रोजेक्ट को पूरा करना है, जो बदली हुई स्थितियों में पाकिस्तान की सेना के सहयोग के बिना संभव नहीं हो रहा है। पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में मारकाट मचा रखी है, जिसको भारत ने विश्व समुदाय के सामने रख दिया है, चीन के लिए अब इतना आसान नहीं होगा कि वह पाकिस्तान की सैन्य सहायता कर सके, वह बलूचिस्तान से ही नहीं निपट पा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में पाकिस्तान और चीन भी बेनकाब होते जा रहे हैं। पाकिस्तान की चिंता है कि उसकी वायुसेना के पास ऐसे युद्धक विमान नहीं हैं, जो राफेल लड़ाकू का मुकाबला कर सकें। भारत ने अभी-अभी बराक-8 मिसाइल का परीक्षण किया है, जिसका पाकिस्तान को एक और सदमा पहुंचा है, क्योंकि बराक मिसाइल परमाणु हमले का तोड़ है और यह परमाणु हमले का पता लगाकर उसके प्रहार को आकाश में ही नष्ट कर सकती है। पाकिस्तान को अब यह भय भी सता रहा है कि भारत की बढ़ती सैन्य शक्ति के सामने आखिर कोई देश उसकी कितनी सहायता करेगा? पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था ही इतनी कमजोर हो चुकी है कि कोई भी उसकी सहायता करने से पहले दस बार सोचेगा, क्योंकि पाकिस्तान पर आतंकवाद को शरण देने का गंभीरतम आरोप है, जिसे विश्व समुदाय के सभी देश मानते हैं।
बहरहाल भारत अपनी सुरक्षा रणनीतियों पर पहले से काम कर रहा है। वह अपने लड़ाकू विमानों की कमी को पूरा करने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को 40 हल्के लड़ाकू विमान तेजस बनाने की इजाजत दे चुका है। इनमें से 20 तेजस विमान 2018 के मध्य तक वायु सेना को मिल जाएंगे, बाकी 20 तेजस विमान 2020 के मध्य तक तैयार हो जाएंगे, हालांकि इनके इस समय से भी पहले ही तैयार करने की योजना पर काम चल रहा है। इस समय भारत की वायुसेना की असल ताकत फिलहाल रूसी सुखोई एमकेआई विमान हैं। एचएएल के नासिक संयंत्र में हर साल 12 सुखोई विमान तैयार किए जा रहे हैं। वायुसेना को उम्मीद है कि 2020 से पहले ही उसके पास 272 सुखोई विमान हो जाएंगे। रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर ने संसद को हाल ही में बताया था कि भारत के पास मौजूद सुखोई विमानों में 53 प्रतिशत ही प्रयोग लायक हैं। राफेल आने से भारतीय वायुसेना की ताकत काफी अधिक बढ़ जाएगी, जो पाकिस्तान के लिए बेहद निराशाजनक स्थिति मानी जाती है।
राफेल समझौते के अनुसार राफेल लड़ाकू विमानों का निर्माण करने वाली फ्रांसीसी कंपनी डसाल्ट राफेल हवा में ही दुश्मन पर अचूक प्रहार कर देने वाली हथियार प्रणाली भी भारतीय वायुसेना को मुहैया कराएगी। राफेल लड़ाकू विमान मीटीआर मिसाइल और माइका मिसाइल प्रणाली से लैस होगा। यह मिसाइल सिस्टम पाकिस्तान के पास मौजूद मिसाइल सिस्टम से ज्यादा घातक और संहारक है। राफेल भारतीय वायुसेना और उसके पायलटों को प्रशिक्षण भी देगी। समझौते में यह प्रावधान है कि विमानों के साथ मिलने वाले हथियारों और मिसाइलों के रखरखाव का डिपो तैयार नहीं होने की स्थिति में फ्रांस छह माह तक अपने यहां युद्धक सामान को रखेगा, जिसका कोई अतिरिक्त शुल्क भी नहीं लेगा। डसाल्ट राफेल कंपनी सात साल तक शुरुआती मूल्य पर ही विमान के कलपुर्जे देती रहेगी।