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Wednesday 9 November 2016 12:35:14 AM
वॉशिंगटन/ नई दिल्ली। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और अमरीकी राष्ट्रपति के चुनाव में मुस्लिम आतंकवाद के खिलाफ खुलकर बोलने और राष्ट्रपति चुने जाने पर आतंकवादियों पर सख्त कार्रवाई करने और भारत सहित सब तरफ अमरीकियों के सभी हित सुरक्षित करने के बयानों की झड़ी लगाने से दुनियाभर में चर्चा में छाए डोनॉल्ड ट्रंप अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव लगभग जीत गए हैं। डोनाल्ड ट्रंप अमरीका के राष्ट्रपति बनने से चंद कदम ही दूर हैं और जल्द ही उनकी विजय का ऐलान होने वाला है। दुनियाभर के मीडिया के सारे अनुमानों और उनकी प्रतिद्वंदी हिलेरी क्लिंटन एवं उनके चुनाव संचालकों के डोनॉल्ड ट्रंप विरोधी अभियानों को अमरीकावासियों ने पूरी तरह ध्वस्त कर दिया और यही नहीं उन्होंने हिलेरी क्लिंटन को अनुमानों के विपरीत शिकस्त दी है। इस चुनाव ने मीडिया की साख को संदेह के घेरे में खड़ा कर दिया है। इसी मीडिया ने भारत में भी लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी और भाजपा की जीत पर बड़े-बड़े प्रश्न खड़े किए थे, मगर नरेंद्र मोदी ने न केवल भाजपा को स्पष्ट बहुमत दिलाया, अपितु एनडीए प्रत्याशियों को भी भारी सफलता दिलाई। मीडिया अपनी विश्वसनीयता खोता जा रहा है। अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में यह फिर से सिद्ध हुआ।
डोनॉल्ड ट्रंप की विजय में भारतमूल के मतदाताओं की निर्णायक भूमिका रही। अमरीका में भारतीयमूल के निवासी बहुल्य राज्यों में डोनॉल्ड ट्रंप ने भारी सफलता अर्जित की है। यहां हिलेरी क्लिंटन को मुंह की खानी पड़ी है। सच पूछिए तो दुनिया पर मंडराते मुस्लिम आतंकवाद के गंभीर खतरों से गुस्साए अमरीकीवासियों को हिलेरी क्लिंटन के मुस्लिमपरस्त बयान पसंद नहीं आए और दूसरी तरफ डोनॉल्ड ट्रंप अमरीका में भारतीयमूल के लोगों के बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना आदर्श प्रचार करके भारतीयमूल के करीब चौबीस लाख मतदाताओं का समर्थन पाने में सफल हो गए। डोनॉल्ड ट्रंप के लिए यह बहुत बड़ा समर्थन है, जिसमें हिलेरी क्लिंटन निपट गईं। उन्हें यह अंदाजा नहीं था कि डोनॉल्ड ट्रंप उन्हें पराजित कर देंगे। हिलेरी क्लिंटन को भावी अमरीकी राष्ट्रपति के रूप में देखा जा रहा था। अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी उनका चुनाव लड़ा रहे थे, लेकिन अमरीकी जनता कोई और ही फैसला कर चुकी थी, जिसका अंदाजा चुनावी विश्लेषक दिग्गज़ नहीं लगा पाए। सर्वेक्षण एजंसियों के अनुमान धराशाई हो गए हैं और उनपर भविष्य में उनकी सर्वेक्षण सेवाओं की उपेक्षा का खतरा पैदा हो गया है। डोनॉल्ड ट्रंप एक ऐसे अमरीकी राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं, जिनपर चुनाव में गंभीर आरोप लगाए गए, उन्हें महिलाओं का विरोधी घोषित किया गया, उनपर अनेक महिलाओं के यौनशोषण के आरोप लगाए गए, अनेक ऐसी महिलाओं ने उनके खिलाफ और हिलेरी क्लिंटन के समर्थन में प्रचार भी किया, तथापि अमरीकी जनता ने किसी की नहीं सुनी और डोनॉल्ड ट्रंप को अमरीका के राष्ट्रपति के रूप में अवसर दिया है।
अमरीकी राष्ट्रपति के चुनाव पर पूरी दुनिया की नज़र थी और जिस देश की इस चुनाव में सर्वाधिक दिलचस्पी थी, वह है रशिया। रशिया का समर्थन डोनॉल्ड ट्रंप को था और भारत भी डोनॉल्ड ट्रंप के ही पक्ष में था। भारत में डोनॉल्ड ट्रंप की विजय के लिए पूजापाठ और यज्ञ भी हुए। भारत की जनता डोनॉल्ड ट्रंप के मुस्लिम आतंकवाद विरोधी बयान से बहुत प्रभावित रही और डोनॉल्ड ट्रंप ने भी भारतीय जनता की यह बयान देकर सहानुभूति हांसिल की कि वह पाकिस्तान के आतंकवाद के खिलाफ हैं और भारत के साथ हैं। डोनॉल्ड ट्रंप के ऐसे बयानों से उन्हें मुसलमानों में आलोचना का सामना करना पड़ा, लेकिन वे विचलित नहीं हुए और अपने बयान और नीति पर कायम रहे। हालाकि अमरीका की विश्व समुदाय के बारे में एक नीति है, राष्ट्रपति के पद पर लोग आते हैं और जाते हैं, लेकिन अमरीका की दीर्घकालिक नीतियां नहीं बदलतीं, लेकिन दुनिया के बदलते हुए सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और क्षेत्रीय वातावरण में समय के हिसाब से बहुतकुछ बदल रहा है, जिससे अब यह कहना उचित प्रतीत नहीं होता कि अमरीका पुरानी नीतियों पर चलता रहेगा। अमरीका के राष्ट्रपति के चुनाव में इस बार सारे दंदफंद देखने को मिले हैं। अमरीका की वह विदेश नीति टूटी है, जिसमें जब अमरीकी राष्ट्रपति या उनके मंत्री भारत की यात्रा किया करते थे तो वहां से उनकी अगली यात्रा पाकिस्तान की हुआ करती थी। अब ऐसा नहीं हो रहा है, इसका भारत और विश्व समुदाय में भी बदलाव देखा जा रहा है।
अमरीकी राष्ट्रपति के चुनाव में जीत के लिए 270 इलेक्टोरल वोट चाहिएं और डोनॉल्ड ट्रंप यह आकड़ा हांसिल करने के बहुत करीब हैं, जबकि हिलेरी क्लिंटन काफी पिछड़ गई हैं, उन्होंने लगभग हार मान ली है। शुरुआती रुझानों में हिलेरी क्लिंटन ने बढ़त बनाई थी, लेकिन इसके बाद डोनाल्ड ट्रंप ने शानदार वापसी की। कुछ समय के लिए ही वे पिछड़े थे, लेकिन फ्लोरिडा राज्य में जीत के साथ वे मजबूत होते चले गए और हिलेरी क्लिंटन को बड़ा झटका देते हुए उन्होंने स्विंग स्टेट्स में भी जीत दर्ज की। उन्हें ओहियो और फ्लोरिडा जैसे राज्यों में भी जीत मिली। सीएनएन उनके बहुत खिलाफ था और न्यूयॉर्क टाइम्स ने तो उन्हें अमरीकी राष्ट्रपति पद की दौड़ से ही बाहर कर दिया था, लेकिन उनका डोनॉल्ड ट्रंप के बारे में अनुमान बकवास और बेहद बकवास रहा। डेलावेयर, इलिनॉयस, मैरीलैन्ड, मैशासुचेटस, न्यू जर्सी, रोड आईजलैंड और कोलंबिया में हिलेरी का समर्थन दिखा, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप टेक्सास, लुइसियाना, नेब्रास्का, कंसास, व्योमिंग, उत्तरी और दक्षिणी डकोटा, केंटुकी, ओकोहामा, इंडियाना, नॉर्थ व साउथ कैरोलिना, इंडियाना और केंटकी राज्य में छा गए। राष्ट्रपति, सीनेट और कांग्रेस चुनाव के लिए भारी संख्या में लोगों ने मतदान में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। पचास राज्यों में चुनाव में लगभग 20 करोड़ मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। अमेरिका के अगले राष्ट्रपति की अब 6 जनवरी 2017 को विधिवत घोषणा की जाएगी और 20 जनवरी 2017 से डोनॉल्ड ट्रंप अमेरिका के अगले राष्ट्रपति के रूप में व्हाइट हाउस में पधारेंगे।