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Friday 30 June 2017 04:36:38 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण को जेल में क़ैद बंदियों को कानूनी सहायता प्रदान करने की जिम्मेदारी दी गई है। भारतीय विधि संस्थान में एक सम्मेलन में एनएएलएसए ने जेल बंदियों को निःशुल्क कानूनी सेवाएं देने के लिए एक वेब एप्लीकेशन और एनआईसी के माध्यम से विकसित कानूनी सेवा प्रबंधन प्रणाली लांच की है, जिसके माध्यम से राज्य कानूनी सेवा प्राधिकार और जिला कानूनी सेवा प्राधिकार अपने-अपने क्षेत्राधिकार की जेलों में प्रत्येक बंदी के लिए डाटा भरेंगे, ताकि अदालत में वकील के जरिए उनका प्रतिनिधित्व किया जा सके। यह साफ्टवेयर अपनी रिपोर्ट में कैदियों की कुल संख्या, बिना वकील वाले कैदियों की कुल संख्या, कानूनी सेवा अधिवक्ताओं के प्रतिनिधित्व किए गए बंदियों की संख्या और अपने निजी वकीलों के प्रतिनिधित्व कैदियों की संख्या का पता लगाएगा।
वेब एप्लीकेशन पर सभी सूचनाएं राज्यवार, जिलेवार और प्रत्येक जेल के संबंध में उपलब्ध होंगी। रिपोर्ट में कैदी के बंद रहने की अवधि की जानकारी मिलेगी और इससे यह सूचना भी प्राप्त होगी कि अपराध प्रक्रिया संहिता के सेक्शन 436 (ए) के तहत बंदी जमानत का पात्र है या नहीं। यह वेब एप्लीकेशन कानूनी सेवा प्रणाली को और पारदर्शी बनाएगी और सभी सक्षम पदाधिकारी कहीं से भी कैदियों को दी जाने वाली कानूनी सहायता की अनुमति पर नज़र रख सकेंगे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अदालत में पेशी के पहले दिन से सभी बंदियों का प्रतिनिधित्व प्राप्त है। यह वेब एप्लीकेशन उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश और एनएएलएसए के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने लांच की। इस अवसर पर 18 राज्यों के कानूनी सेवा प्राधिकार के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सदस्य सचिव शामिल हुए। वेब एप्लीकेशन लांच होने के बाद एनआईसीपीटी ने ओरिएंटेशन सत्र का भी आयोजन किया।