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Saturday 30 June 2018 04:32:46 PM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक से राजभवन में 70वें आरआर 2017 बैच के 9 भारतीय पुलिस सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों और 8 विदेश पुलिस सेवा के अधिकारियों ने भेंट की। राज्यपाल से भेंटवार्ता का कार्यक्रम सरदार बल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी हैदराबाद ने आयोजित किया था। सभी प्रशिक्षु अधिकारी नेशनल एकेडमी आफ पुलिस हैदराबाद के प्रशिक्षण प्रशिक्षाधीन अधिकारी स्टडी कम कल्चरल टूर प्रोग्राम के अंतर्गत लखनऊ भ्रमण पर आए थे।इस अवसर पर राज्यपाल के प्रमुख सचिव हेमंत राव और पुलिस अकादमी की ओर से सहायक निदेशक पवन कुमार आईपीएस भी उपस्थित थे।
राज्यपाल राम नाईक ने प्रशिक्षु पुलिस अधिकारियों से कहा है कि वे जनता की समस्याओं के समाधान के लिए संवेदनशील और व्यावहारिक रवैया अपनाएं। उन्होंने कहा कि कानून एवं व्यवस्था सुदृढ़ करने में इस बात की सतही जानकारी अवश्य करें कि घटना और अपराध का कारण क्या है। राज्यपाल ने कहा कि वे अपराध के कारण पर रोक लगाने के लिए अपने स्तर से कार्य संस्कृति बनाएं, आप कानून व्यवस्था पर कैसे नियंत्रण करते हैं, इसकेलिए ज़मीनी हकीकत को जानकर अपने विवेक से काम लें। राज्यपाल ने कहा कि दायित्व का निर्वहन कार्य की अपेक्षा के अनुसार करें, समाज में सुधार लाने के लिये बहुत कुछ व्यक्तित्व और व्यवहार में निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था बनाने में पुलिस अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
राम नाईक ने अपनी प्रेरणाओं में कहा कि पुलिस अधिकारी अपनी जिम्मेदारी को महसूस करते हुए समर्पित भाव से कार्य करें, नियम का पालन करते हुये योग्य निर्णय लें, कार्यालय छोड़ने से पहले आने वाले कल की तैयारी एक दिन पूर्व करें, प्राथमिकता तय करने के लिए नोट करने की आदत डालें, अपने कार्य को समय पर निस्तारित करें और उसकी निरंतर समीक्षा करते रहें। राज्यपाल ने कहा कि ऐसी कार्य संस्कृति विकसित करें कि फरियादी को लगे कि उसकी बात सुनी गई है या सुनी जा रही है, आने वाला आपसे कई अपेक्षाएं रखता है, इसलिए उसके लिए सहजता से सुलभ रहें, अपने वरिष्ठों का सम्मान करें, उनके अनुभव से सीखें तथा अधीनस्थों को उचित मान सम्मान दें। उन्होंने जोर देकर कहा कि अधिकारी अपने किए कार्य का आत्मनिरीक्षण करें और उसे बेहतर बनाने का प्रयास करें।
राज्यपाल ने प्रशिक्षु अधिकारियों से परिचय प्राप्त करते हुए इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि सभी अधिकारी उच्चशिक्षा में अलग-अलग विषयों में पारांगत हैं, विशेषकर इंजीनियरिंग के क्षेत्र में। अपने-अपने विषय के ज्ञान का उपयोग व्यवहारिकता में लाएं। उन्होंने कहा कि जीवन में हार न मानें, हार भी जाएं तो पूरी हिम्मत से दोबारा जीतने का प्रयास करें। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वे न्यायप्रियता और संवदेनशीलता से अपने दायित्वों का निर्वहन करेंगे। राज्यपाल ने प्रशिक्षु अधिकारियों को व्यक्तित्व विकास एवं सफलता के मंत्र बताते हुए कहा कि वे सदैव प्रसन्नचित रहें, दूसरों के अच्छे काम की प्रशंसा करें, किसी की अवमानना न करें तथा हर काम को बेहतर ढंग से करने का प्रयास करें।
राज्यपाल राम नाईक से प्रशिक्षु अधिकारियों ने जिज्ञासापूर्ण प्रश्न भी किए। एक सवाल के जवाब में राज्यपाल ने बताया कि बीकाम की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात उन्होंने महालेखाकार कार्यालय में नौकरी करना प्रारम्भ की। उन्होंने कहा कि राजनीति सेवा का पर्याय है, इसलिए नौकरी छोड़कर राजनीति में आए, जबकि राजनीति को जीवन यात्रा बनाने का कोई इरादा नहीं था। उन्होंने राजनीति में आने के बाद पहले समाजसेवक फिर विधायक, सांसद, विभिन्न विभागों में राज्यमंत्री एवं मंत्री और अब राज्यपाल बनने तक का सफर प्रशिक्षु अधिकारियों से साझा किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश की विशेषता तथा उसकी सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक स्थित पर भी अपने विचार व्यक्त किए।
राज्यपाल राम नाईक ने उल्लेख किया कि गत फरवरी में लखनऊ में हुई इन्वेस्टर्स समिट-2018 में 4.28 लाख करोड़ रुपये के निवेश उत्तर प्रदेश को मिले, जो इस बात के सूचक हैं कि उत्तर प्रदेश में बिजली एवं कानून व्यवस्था में सुधार हुआ है। राज्यपाल से मिलने वाले प्रशिक्षु अधिकारियों में महाराष्ट्र के स्वपनिल महाजन एवं तारे अनुज, केरल के अंकित अशोकण एवं विशवेष शास्त्री, पंजाब के वरूण शर्मा, तेलंगाना के श्रवण दत्त, तमिलनाडु के जे ज्यापाण्डयान एवं सुंदरावथनम्, पश्चिम बंगाल के पलाश चंद्र एवं मालद्वीव के अमीन अब्दुल कय्यूम, इब्राहीम इमरान, मोहम्मद शुजा एवं फतेह मोहम्मद, भूटान से टी पेंजोर, टी लहाम, टी नारजाम एवं नेपाल से कृष्ण खड़के उपस्थित थे।