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Friday 6 July 2018 04:10:11 PM
लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय में अराजक राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अराजकता की भेंट चढ़ाने की एक शर्मनाक कोशिश की गई है। समझा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के कुछ ग़ुंडों ने लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति एसपी सिंह और शिक्षकों पर हमला करके विश्वविद्यालय में हिंसा को अंजाम देना चाहा है। देखने में आ रहा है कि वे राज्य के विश्वविद्यालयों की छात्र राजनीति में सपा समर्थित युवाओं और गुंडों को उकसाकर ऐसा माहौल खड़ा करना चाहते हैं, जिससे विश्वविद्यालयों में हिंसक हालात पैदा हों और फिर उनको लोकसभा चुनाव में मुद्दा बनाया जाए। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ विश्वविद्यालय के इस हिंसक मामले में दांए-बांए बयानबाज़ी भी शुरू कर दी है। गौरतलब है कि राज्य में समाजवादी पार्टी पर पहले भी ऐसे गंभीर आरोप लगते आए हैं, जिनमें उनके कार्यकर्ता संलिप्त पाए गए हैं। बनारस विश्वविद्यालय में हुई छात्र हिंसा में भी सपा के कुछ नेताओं और गुंडों की संलिप्तता सामने आई थी।
लखनऊ विश्वविद्यालय में कुलपति और शिक्षकों पर हिंसक हमले में जो गिरफ्तारियां हुई हैं, उनमें सपा के कार्यकर्ता ही बताए जा रहे हैं, जिनका लखनऊ विश्वविद्यालय से कोई मतलब नहीं है, जिनका अक्सर सपा मुख्यालय पर जमावड़ा रहता है और जो ऐसे मामलों में भाड़े के रूपमें भी इस्तेमाल किए जाते हैं। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का जिस प्रकार का अराजक व्यवहार देखा जा रहा है, वह ऐसी ही घटनाओं को प्रेरित करता है। अखिलेश यादव के सरकारी आवास का ही मामला लीजिएगा, जिसे उन्हें और मुख्यमंत्रियों की तरह कोर्ट के आदेश से खाली करना पड़ा है, लेकिन उन्होंने सरकारी आवास खाली करते समय राज्य सरकार की आवासीय सम्पत्ति को जिस अराजक तरीके से क्षतिग्रस्त किया, वह इनकी हिंसक मानसिकता को समझने के लिए काफी है। अखिलेश यादव राज्य में युवाओं को ढाल बनाकर जो चाहते हैं, उसका एक हिंसक दृश्य दो दिन पूर्व लखनऊ विश्वविद्यालय में देखने को मिला है।
एलयू पुलिस चौकी और क्षेत्र के पुलिस क्षेत्राधिकारी महानगर की इस हिंसा को रोकने में विफलता कितनी है और कितनी नहीं, यह तो जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा, लेकिन यह बात सामने आ रही है कि लखनऊ विश्वविद्यालय में ही नहीं, बल्कि राज्य के और भी विश्वविद्यालयों में ऐसा ही हिंसक माहौल बनाने की तैयारियां की जा रही हैं। इस घटना के विरोध में एलयू में इस समय ताला लगा है और लुआक्टा सहित लखनऊ के सभी सम्बद्ध कॉलेज हड़ताल पर चले गए हैं, एलयू की घटना को छात्रों का समर्थन भी नहीं मिला है, यही कारण है कि एलयू में एक छात्रा के धरने के बहाने खुदकी बयानबाज़ी के अलावा सपा नेता अखिलेश यादव खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं, क्योंकि उन्हें लग गया है कि उनका यह दांव उल्टा पड़ गया है। उधर उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने इस हिंसक घटना पर अपर पुलिस अधीक्षक ट्रांसगोमती लखनऊ, क्षेत्राधिकारी महानगर, प्रभारी निरीक्षक हसनगंज को मुख्यालय तलब कर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। पुलिस महानिदेशक ने विश्वविद्यालय परिसर में बाहरी लड़कों और अराजकता फैलाने वाले तत्वों पर प्रभावी अंकुश लगाने के कड़े निर्देश दिए हैं।
पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति एवं एलयूटीए से दूरभाष पर वार्ताकर उनके प्रतिनिधिमंडल को वार्ता के लिए मुख्यालय आमंत्रित भी किया था। प्रतिनिधिमंडल में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति एसपी सिंह, प्राक्टर प्रोफेसर विनोद सिंह, डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रोफेसर आरके सिंह, डायरेक्टर प्लानिंग एवं डेवलपमेंट प्रोफेसर डीएस सिंह, एलयूटीए के अध्यक्ष प्रोफेसर दिनेश कुमार एवं जनरल सेक्रेट्री डॉ दुर्गेश श्रीवास्तव शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल से वार्ता के दौरान पुलिस महानिदेशक ने विश्वविद्यालय परिसर में शांति व्यवस्था एवं सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए आश्वस्त किया। उन्होंने कुलपति एसपी सिंह से विश्वविद्यालय में पठन-पाठन का माहौल बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में शांति व्यवस्था बनाए रखने हेतु सख्त कार्रवाई की जाएगी, लेकिन लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन और शिक्षक इस घटना से असहज हैं और वे तत्काल बड़ी सुरक्षा और बड़ी कार्रवाई चाहते हैं। घटना की जांच पुलिस महानिरीक्षक लखनऊ परिक्षेत्र लखनऊ कर रहे हैं। क्षेत्राधिकारी महानगर को गैर जनपद स्थानांतरण कर चौकी प्रभारी को निलम्बित कर दिया गया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लखनऊ घटना में सम्मिलित अभियुक्तों के विरुद्ध कड़ी वैधानिक कार्रवाई करने एवं विश्वविद्यालय परिसर में शांति व्यवस्था बनाए रखने में लगे हैं।