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न्यायिक प्रणाली की प्रभावी प्रबंधन सुविधाएं!

सुप्रीम कोर्ट में डिज़िटल न्यायालय एप्लीकेशंस का शुभारंभ

अधिवक्ता और वादकारियों के लिए न्यायिक सेवाएं सरल

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Friday 24 August 2018 12:40:33 PM

supreme court

नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में एक कार्यक्रम में वादकारियों और अधिवक्ताओं के लाभ के लिए विभिन्न एप्लीकेशंस का शुभारंभ किया। इस अवसर पर केंद्रीय विधि एवं न्यायमंत्री रविशंकर प्रसाद ने एप्लीकेशंस के मैनुअल और ई-कोर्ट परियोजना के तहत उपलब्ध सेवाओं के संबंध में जागरुकता बढ़ाने के लिए पुस्तिकाएं जारी कीं, ताकि ई-कोर्ट परियोजना के तहत किए जाने वाले कामों का प्रचार हो और वादकारियों, अधिवक्ताओं एवं अन्य हितधारकों को इन सेवाओं का लाभ उठाने में मदद मिले। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति के प्रभारी न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमबी लोकुर के नेतृत्व में ई-कोर्ट परियोजना ने डिज़िटल न्यायालय सेवाएं प्रदान करने में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। उन्होंने इन एप्लीकेशंस की विशेषताओं और लाभों का ब्यौरा प्रस्तुत किया।
सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति के प्रभारी न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमबी लोकुर के नेतृत्व में विकसित नागरिक आधारित एप्लीकेशंस की भी शुरूआत हुई। ई-कोर्ट परियोजना के प्रमुख घटक विशेषतौर से महत्वपूर्ण पैन-इंडियन वाइड एरिया नेटवर्क संपर्कता कार्यक्रम की रूपरेखा न्यायविभाग के सचिव डॉ आलोक श्रीवास्तव ने तैयार की है। ई-कोर्ट परियोजना के तहत ई-फाइलिंग, ई-पे और एनएसटीईपी यानी नेशनल सर्विस एंड ट्रैकिंग ऑफ इलेक्ट्रानिक प्रोसेस नामक तीन एप्लीकेशंस जारी की गईं। ई-कोर्ट परियोजना के दूसरे चरण को 2015-19 के दौरान न्यायविभाग ने कार्यांवित किया। यह देश के सभी जिलों और अधीनस्थ अदालतों के आईसीटी क्षमता के लिए सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति के निर्देशन में पूरा हुआ।
ई-फाइलिंग एप्लीकेशन efiling.ecourts.gov.in लिंक पर उपलब्ध है, जहां अधिवक्ता और वादकारी ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं। इस एप्लीकेशन के जरिए देश के किसी भी हिस्से से किसी भी अदालत में मुकद्मा दायर किया जा सकता है। इस पोर्टल पर वादकारियों और अधिवक्ताओं के मामलों का प्रबंधन संभव है और व्यक्ति को दायर मुकद्मे के बारे में समय-समय पर जानकारी मिलेगी और जो लोग डिज़िटल हस्ताक्षर के लिए टोकन खरीदने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें ई-हस्ताक्षर की सुविधा उपलब्ध होगी। ई-फाइलिंग एप्लीकेशन से न्यायप्रणाली की प्रभावी प्रशासनिक सुविधा सुदृढ़ होगी, फाइलिंग काउंटरों पर दबाव कम होगा, काम में तेजी आएगी और डाटा एंट्री और भी सटीक हो जाएगी, जिससे न्यायालय प्रशासन को डाटा आधारित निर्णय में सहायता मिलेगी।
ई-पे एप्लीकेशन pay.ecourts.gov.in लिंक पर उपलब्ध है, जहां ऑनलाइन कोर्ट फीस भरने की सुविधा होगी। ई-पेमेंट एक सुरक्षित जरिया है, शुरूआत में यह सुविधा महाराष्ट्र और हरियाणा में उपलब्ध होगी, इसके लिए ओटीपी दिया जाएगा और एसएमएस के जरिए पावती प्रदान की जाएगी। एनएसटीईपी ई-कोर्ट परियोजना का एक अन्य अनोखा एप्लीकेशन है, यह वाद सूचना सॉफ्टवेयर, वेबपोर्टल और मोबाइल एप्लीकेशन के बीच एक सहयोगी के रूपमें काम करेगा, यह एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रक्रियाओं के अंतरण के लिए एक पारदर्शी और सुरक्षित प्रणाली है। एनएसटीईपी सीआईएस के जरिए क्यूआर कोड के साथ स्वयं प्रक्रिया शुरू करेगा, पोर्टल पर प्रक्रियाओं को प्रकट करेगा और देश के अन्य अदालतों में प्रक्रियाओं का अंतरण करेगा। इस सेवा से वादकारियों को प्रक्रिया सेवा की स्थिति की जानकारी सही समय पर प्राप्त होगी, ताकि वादकारियों को तुरंत कार्रवाई करने का अवसर मिल सके।
ई-कोर्ट मिशन मोड परियोजना के प्रथम चरण को 2011-2015 के दौरान क्रियांवित किया गया था, जिसके तहत जिला और अधीनस्थ अदालतों के कंप्यूटरीकरण के लिए 639.41 करोड़ रुपये जारी किए गए थे। पहले चरण के अंततक 14,249 जिला और अधीनस्थ अदालतों के कंप्यूटरीकरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया, जिनमें से सभी को कंप्यूटरीकरण के लिए तैयार करके करीब 13,643 अदालतों में एलएएन लगाए गए, 13,436 अदालतों को हार्डवेयर उपलब्ध कराए गए और 13,672 अदालतों में सॉफ्टवेयर लगाए गए हैं। न्यायिक अधिकारियों को करीब 14,309 लेपटॉप उपलब्ध कराए गए और सभी हाईकोर्टों में परिवर्तन प्रबंधन अभ्यास पूरा कर लिया गया है। परियोजना के दूसरे चरण वर्ष 2015-19 के तहत अब तक 1078 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, जिसके तहत करीब 16,089 जिला और अधीनस्थ अदालतों का कंप्यूटरीकरण पूरा कर लिया गया है।
न्याय विभाग डब्ल्यूएएन संपर्कता परियोजना चला रहा है, जिसके तहत बीएसएनएल के जरिए सभी जिला और तालुक अदालतों को जोड़ा जाएगा। न्याय विभाग ने 3064 न्यायालय परिसरों में डब्ल्यूएएन संपर्कता बनाने के लिए मई 2018 में बीएसएनएल को जिम्मेदारी सौंपी थी, इनमें 458 ऐसे न्यायालय परिसर शामिल हैं, जहां संपर्कता शामिल नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और ई-समिति के सदस्य न्यायमूर्ति एएम खानविलकर ने कार्यक्रम में ई-समिति के मूल्यवान प्रयासों और सभी हितधारकों के योगदान की चर्चा की, जिनमें न्याय विभाग और राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केंद्र शामिल हैं। कार्यक्रम में भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, न्याय विभाग एवं इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव, राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केंद्र की निदेशक नीता वर्मा, ई-समिति के सदस्य, भारत सरकार, सुप्रीम कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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