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Friday 15 February 2019 05:51:29 PM
लखनऊ। जामियातुज-ज़हरा विश्वविद्यालय ईरान के कुलाधिपति मौलाना सैय्यद महमूद मदनी के नेतृत्व में भारत यात्रा पर आए ईरानी प्रतिनिधिमंडल ने आज राज्यपाल राम नाईक से राजभवन लखनऊ में शिष्टाचारिक भेंट की। इस अवसर पर मौलाना सैय्यद मोहम्मद हादी, मौलाना हुसैन अली, सैय्यद अफरोज मुज्तबा, पूर्व मंत्री डॉ अम्मार रिज़वी, ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू अरबी-फारसी विश्वविद्यालय लखनऊ के कुलपति माहरुख़ मिर्जा और विशिष्टजन उपस्थित थे। गौरतलब है कि महिला विश्वविद्यालय जामियातुज-ज़हरा ईरान में देश-विदेश की लगभग 1,800 छात्राएं शिक्षा ग्रहण करती हैं। राज्यपाल ने भेंट के दौरान प्रतिनिधिमंडल को बताया कि उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा प्रदेश है, जनसंख्या की दृष्टि से केवल तीन देश अमेरिका, चीन एवं इंडोनेशिया ही उत्तर प्रदेश से बड़े हैं, यहां 30 राज्य विश्वविद्यालय हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में इस वर्ष के दीक्षांत समारोह में कुल 12,78,985 विद्यार्थिंयों को विभिन्न पाठयक्रमों की उपाधियां वितरित की गईं, जिनमें से 7,14,764 अर्थात 56 प्रतिशत उपाधियां छात्राओं ने प्राप्त की। उन्होंने कहा कि इन कुछ सालों में छात्राओं का प्रदर्शन बहुत ही सराहनीय रहा है।
राज्यपाल राम नाईक ने ईरानी प्रतिनिधिमंडल को बताया कि उन्होंने मराठी दैनिक सकाल में प्रकाशित अपने संस्मरणों का संकलन किया है, जिसे पुस्तक चरेवैति!चरेवैति!! का रूप दिया गया है, पुस्तक का अबतक मराठी सहित 10 भाषाओं हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी, गुजराती, संस्कृत, सिंधि, अरबी, फारसी तथा जर्मन में अनुवाद हो चुका है और 22 फरवरी 2019 को दिल्ली के इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में पुस्तक का अरबी और फारसी भाषा में लोकार्पण होगा। उन्होंने कहा कि यह पहला अवसर होगा कि 2 साल की अवधि में 10 भाषाओं में किसी पुस्तक का अनुवाद हुआ हो। ईरान से आए मौलाना मदनी ने कहा कि यह उनके लिए विशेष प्रसन्नता की बात है कि पुस्तक का अनुवाद फारसी में हुआ है। उन्होंने राज्यपाल को पुस्तक के फारसी भाषा के संस्करण का विमोचन ईरान में भी करने को आमंत्रित किया।
मौलाना सैय्यद महमूद मदनी ने कहा कि ईरान के लोगों को भारतीय राजनेता के संस्मरण फारसी में पढ़कर अच्छा लगेगा और लोग जनसेवा के लिए प्रेरित भी होंगे। उन्होंने कहा कि भारत आकर उन्हें बहुत अपनेपन का एहसास हुआ है, यह बिल्कुल अपना सा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में दोनों देश अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि दृष्टिकोण अलग हो सकते हैं पर पूरे विश्व के लोगों को अमन के साथ एक साथ रहना चाहिए, यही इंसानियत है। राज्यपाल को मौलाना मदनी ने ईरान से लाए कुछ तोहफे भी दिए और राज्यपाल ने उन्हें पुस्तक चरेवैति!चरेवैति!! की उर्दू प्रति भेंट करते हुए कहा कि फारसी पुस्तक के लोकार्पण के बाद वे उन्हें एक प्रति अवश्य भेजेंगे।