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Sunday 10 March 2019 04:50:09 PM
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि राज्य सरकार अधिवक्ताओं के 3 प्रमुख मुद्दों का समाधान निकालने में सफल रही है। गौरतलब है कि बहुत दिन से प्रदेश के अधिवक्ताओं की मांग थी कि 60 वर्ष से कम आयु में दिवंगत होनेवाले वकीलों के परिजनों को दी जाने वाली 5 लाख रुपये की सहायता राशि की आयु सीमा बढ़ाकर 70 वर्ष कर दी जाए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद ने इस प्रस्ताव को पास कर दिया है और इसकी आयु सीमा 70 वर्ष कर दी गई है, इसके साथ ही 40 वर्ष की आयु के उपरांत पंजीकृत अधिवक्ताओं को मिलने वाली 50 हजार रुपये की सहायता राशि की आयु सीमा को 60 वर्ष से बढ़ाकर 70 वर्ष तक करने का भी निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि युवा अधिवक्ताओं के लिए शुरुआती 3 वर्ष तक पुस्तक खरीदने के लिए 5 हजार रुपये की राशि प्रतिवर्ष देने की मांग को भी मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि इस योजना के लिए नोडल एजेंसी के रूपमें बार काउंसिल लाभार्थियों की सूची प्रदान करेगी और यह धनराशि सीधे अधिवक्ता के खाते में ई-पेमेंट के माध्यम से अंतरित कर दी जाएगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लोकभवन में अधिवक्ता सम्मान समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने 5 दशक तक लगातार सेवा करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ताओं का सम्मान किया। उन्होंने बार काउंसिल के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को भी सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रदेश के विधायी विभाग की नई वेबसाइट http://www.upvidhai.gov.in को भी लांच किया। उन्होंने कहा कि नवीन वेबसाइट पर उत्तर प्रदेश सरकार के वर्ष 1975 से लेकर अबतक प्रख्यापित 1054 अधिनियमों को अपलोड करते हुए एक नई शुरुआत की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वरिष्ठजन का सम्मान करना, उन्हें आदर देना, उनके मूल्यों और आदर्शों से प्रेरणा प्राप्त करना हमारी परम्परा रही है और प्रदेश में पहलीबार 5 दशक की सेवा करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ताओं को सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इनके लम्बे अनुभव का लाभ प्रदेश को मिलता रहेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिवक्ताओं ने अपने कार्य और व्यवहार से लोगों का विश्वास अर्जित किया है। उन्होंने कहा कि पीड़ित व्यक्ति अपने वकील पर पूरा भरोसा करता है, विश्वसनीयता के संकट वाले समय में जब खून के रिश्ते में विभेद हो, अविश्वास का भाव हो, ऐसे में वकालत के पेशे को विश्वसनीयता की कसौटी पर खरा उतरता दिखाई देना अभिनंदनीय है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अधिवक्ताओं ने जागरुकता पैदा करके सम-विषम परिस्थितियों में समाज का मार्गदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन तथा स्वाधीन भारत को दिशा दिखाने में अधिवक्ताओं ने पहल की, उनकी डाली नींव पर आज हमारे देश को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूपमें गौरवांवित कर रही है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत के संविधान के तहत देश के प्रत्येक नागरिक को किसी जाति, मत-मजहब, क्षेत्र या लिंग के आधार पर नहीं, बल्कि समता के आधार पर सारे अधिकार मिले हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि प्रदेश में न्यायिक प्रक्रियाओं से जुड़े सभी विषयों का त्वरित समाधान होना चाहिए, इसलिए प्रदेश सरकार ने सम्बंधित प्रकरणों को आगे बढ़ाने का कार्य किया है, नवीन न्यायालयों की स्थापना के साथ अधिवक्ताओं के लिए चैम्बर, वादकारियों के बैठने की व्यवस्था, लाइब्रेरी की उपलब्धता पर ध्यान देने के साथ ही बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध कराने पर विशेष जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि हमें समय के अनुसार आगे बढ़ना है, इसलिए तकनीक का उपयोग करके वादकारियों को लाभ दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कानून एवं न्यायमंत्री रविशंकर प्रसाद के प्रयासों से केंद्रीय विधि और न्याय मंत्रालय ने अनेक अभिनव पहल की हैं, इनमें टेली लॉ का मोबाइल एप, ऑनलाइन मीडिएशन फॉर गवर्नमेंट लिटिगेशन, न्यायपालिका की आधारभूत सुविधाओं को सीएसएस के द्वारा मॉनीटर करना आदि शामिल है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधिवक्ताओं से न्याय मित्र यानी प्रो बोनो के माध्यम से समाज के ग़रीब एवं निर्बल व्यक्तियों के मुकद्मों की पैरवी करने का अनुरोध किया है, यह व्यवस्था एप पर भी संचालित है। गरीब, वंचित, शोषित और उपेक्षित वर्गों के लोग धन के अभाव में न्याय से वंचित न रहने पाएं, इसके दृष्टिगत मुख्यमंत्री ने अधिवक्ताओं से अधिकाधिक प्रो बोनो के माध्यम से समाज की सेवा करने का अनुरोध किया। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता एनके सेठ, रामनारायण गुप्ता, सुबोध कुमार शुक्ला, सुरेशचंद्र श्रीवास्तव, टीएन गुप्ता, बीसी अग्रवाल, आरए उपाध्याय, यूके श्रीवास्तव, बार काउंसिल के सदस्य अमरेंद्रनाथ मिश्र, प्रशांत सिंह अटल, अखिलेश अवस्थी, अजय शुक्ला, पांचूराम मौर्य, प्रदीप कुमार सिंह, जयनारायण पांडेय, देवेंद्र मिश्र नगराहा और जानकीशरण पांडेय को सम्मानित किया।
अधिवक्ता सम्मान समारोह को प्रदेश के विधायी एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक ने भी सम्बोधित किया और कहा कि अधिवक्ता समाज के पीड़ित और वंचित व्यक्तियों को अपनी जिम्मेदारी समझकर न्याय दिलाने का कार्य करते हैं। उन्होंने विधि और न्याय के क्षेत्र में प्रदेश सरकार के कार्यों की जानकारी दी। प्रदेश के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री की पहल पर राज्य में पहलीबार सरकार द्वारा अधिवक्ताओं को सम्मानित किया जा रहा है। समारोह में विधायी एवं न्याय तथा सूचना राज्यमंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी ने अधिवक्ताओं के हित में आयु सीमा की वृद्धि करने के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि पीड़ित व्यक्ति अपनी समस्या अधिवक्ता को सौंपकर निश्चिंत हो जाता है और वकील पीड़ित व्यक्ति की समस्या को अपनी समस्या समझते हुए उस व्यक्ति को न्याय दिलाता है। इस मौके पर मुख्य सचिव डॉ अनूप चंद्र पांडेय, प्रमुख सचिव न्याय डीके सिंह, प्रमुख सचिव विधायी संजय खरे, सूचना निदेशक शिशिर, बार काउंसिल एवं बार एसोसिएशनों के पदाधिकारी और अधिवक्ता उपस्थित थे।