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हे राम! आप प्रकट क्यों नहीं होते?

सतीश कुमार

आध्यात्मिक चेतना और आस्था के प्रतीक। चरित्र, धर्म, नीति और मर्यादा के चरम आदर्श-पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम आपको सादर वंदन! आपके प्रेरणादायक विलक्षण चरित्र और प्रसंगों को दुनिया भर में हर साल रामलीलाओं के माध्यम से स्मरण किया जाता है। आपने त्रेता युग में मृत्यु लोक में भगवान विष्णु का अवतार लेकर पृथ्वी को आसुरी शक्तियों से मुक्त किया था ना? इससे आपकी कीर्ति युग युगांतर से आपके पुण्य, न्याय, मर्यादा चरित्र वीरता और आदर्श के रूप में समस्त लोकों में विख्यात और रोम-रोम में अमर है। उपनिषद में आपकी महिमा का यहां तक बखान है कि राम की संपूर्ण कथा ‘ऊँ’ की ही अभिव्यक्ति है। मान्यता है कि अंत समय में आपका नाम लेने से पापी भी अपने पापों से मुक्त हो जाता है और उसे स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है।
हे जगदीश्वर! आपका स्मरण करते ही रामराज्य की कल्पना होने लगती है। आखिर कैसा रहा होगा आपका शासन। ‘ना कोऊ दरिद्र ना लच्छन हीना।’ लेकिन प्रभु संक्षेप में कहूं तो आपने दुनिया को जो संस्कार दिये थे, आज उनकी अर्थी निकल रही है अर्थी। आपकी प्रजा भयभीत है। धर्म, व्यापार बन गया है
, और कर्म, कुकर्म में बदलता जा रहा है। अब तो यहां तक कहा जाने लगा है कि आपका कोई वजूद ही नहीं है। आप केवल कपोल काल्पनिक हैं। आपने मृत्यु लोक को जिन आसुरी शक्तियों से आजाद कराया था, वे फिर से जन्म लेकर सर उठा रही हैं।
हे मर्यादा पुरुषोत्तम! आपके भक्त आपका नाम नहीं ले सकते। वे आपके आदर्शों का प्रचार-प्रसार और अनुसरण नहीं कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश में आपके खिलाफ सच्ची रामायण बंटवाई और बिकवाई जा रही हैं। अयोध्या में आपके जन्मस्थान का दर्शन करने जाते हुए भी लोग डरते हैं, कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाए। हमें नहीं मालूम था कि ऐसा समय भी आएगा, जब आपका नाम इतना अछूत हो जाएगा कि आपका नाम लेते ही पुलिस की लाठियां पड़नी शुरू हो जाएंगी। राजनेता या राजनीतिक पार्टियां अपने को आपसे जोड़ने में परहेज करने लगेंगी और आपका नाम लेने वाले को सांप्रदायिक तत्व कहा जाने लगेगा।
हे रघुवीर! यहां राजनीति की बिसात पर आप एक ऐसे मोहरे हैं, जिन्हें हम अनीति से जीत हासिल करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। ये लोग सत्ता पाते ही आपको भूल गए थे।
जब दांव पर आप लगे हों तो फिर तो कुछ भी नहीं बचा। आपको क्या बताएं कि आपके नाम पर क्या-क्या हो रहा है? एक भारतीय जनता पार्टी है और एक विश्व हिंदु परिषद। इनके नेता आपके नाम से देश की राजगद्दी पर पहुंच गए। पहले वे दूसरों को लड़ा रहे थे और ऐसा करते-करते आपस में ही लड़ मरे। आपकी प्रजा ने उन्हें बड़ी उम्मीदों से देश की सत्ता सौंपी थी, कि रामराज्य फिर से आएगा। मगर उनकी सत्ता का अंत ऐसे हुआ कि जैसे आपने असुरों को खदेड़ा था। इनके कारण आपकी प्रजा पर गोलियां चली हैं। सांप्रदायिक दंगे हुए हैं। अब ये फिर सत्ता पर कब्जा करने के लिए आपका नाम लेकर बेमेल गठजोड़ करते फिर रहे हैं।
क्षमा करें, हे जगत के स्वामी! हम आपकी सर्व-धर्म समभाव की विरासत को न तो समझ पाए और ना ही उसे अक्षुण ही रख पाए। बल्कि आपको दुनिया में हंसी का पात्र बनाकर रख दिया गया। आप मृत्यु लोक को छोड़कर क्या चले गए, आपकी प्रजा पर संकट आ गया। आप मेरे मन की व्यथा सुन रहे हो ना? क्या बताऊं?
 हे,  उपकारी!  लगता है कि या तो आपने अपनी प्रजा से मुंह मोड़ लिया है या फिर आप उसी प्रकार अपने अवतार का उद्देश्य भूल गए हैं, जिस प्रकार आपको मृत्यु लोक में आते ही अपने जीवन में घटित पूर्व घटनाओं का ज्ञान और भान नहीं रहा था। मृत्यु लोक तो है ही ऐसा।
हे प्रभु! ये हम इसलिए कह रहे हैं कि तीनों लोकों में दो लोकों का तो हमें पता ही नहीं है। क्योंकि हम अंर्तयामी नहीं हैं, किंतु, मृत्युलोक के बारे में आप शायद उतना ज्यादा नहीं जानते हैं। मालूम है? अयोध्या में जहां आपका जन्म हुआ था, वहां अब बड़े-बड़े बम फटते रहते हैं। वहां भारी संख्या में सुरक्षाबलों का पहरा है। आपका महल तो पुलिस छावनी बना है। आप जहां पैदा हुए थे, वहां गहरे-गहरे गढ्ढे खोदकर देखा गया था कि आप वहां पैदा भी हुए थे कि नहीं। यह प्रमाणित करने के लिए कि शायद सरकार को आपके पोतड़े मिल जाएं। कई साक्ष्यों के बावजूद भी आपके जन्म पर प्रश्न चिन्ह लगे हैं। संदेह की इंतेहा देखिए कि उस समय कौन दाई थी, यह सवाल भी उठ चुका है। लेकिन बुजुर्गों की नसीहतों के बाद आपके पीछे पड़े कलियुगी राजनेताओं को चुप होना पड़ा। आप तो ब्रह्मांड में कण-कण में बसते हैं। किंतु आपको इतिहासकारों के ग्रंथों में भी ढूंढा जा रहा है।
हे अयोध्या नरेश! आपकी नगरी का वास्तु भी बदल चुका है। अब वहां बड़े-बड़े मोटे पेटवाले महंतों से आपका मुकाबला है। पूरी नगरी रेंट कंट्रोल के तहत किसी न किसी को आवंटित हो चुकी है। आज वे ही आपकी संपत्ति के वारिस बन बैठे हैं। हो सकता है कि आपके प्रकट होने पर वे आपके अस्तित्व से ही इंकार कर दें। नई बात पता है आपको? सेतुसमुंद्रम जैसी आपकी ऐतिहासिक धरोहरें बड़े-बड़े ठेकेदारों के हवाले की जा रही हैं। तमिलनाडु में सत्तारुढ़ करुणा निधि ने एक निर्माण परियोजना के ठेकेदारों से आपके नाम पर सुपारी ले ली है। वे इस समय दुनिया के सामने कह रहे हैं कि राम तो कोई थे ही नहीं, इसलिए कैसा राम सेतु? इस पर खूब बवंडर हो रहा है। लगता है कि आप ही के कोप से इनकी सरकार जाते-जाते बची है। अगर वे महाशय अपनी भूख हड़ताल तोड़ कर सचिवालय पहुंचने में थोड़ी भी देर कर देते तो सुप्रीम कोर्ट ने उनके सरकारी कार्यालय पर ताला लगवा दिया था। अब उनकी हिम्मत आपके बारे में कुछ बोलने की नहीं होगी। वैसे भी धरती पर आपके बाद हमारा भगवान केवल न्यायपालिका ही है, जिसके दम पर हम जैसे खड़े हैं।
हे प्रभु हम आपसे एक प्रश्न करने की धृष्टता कर रहे हैं कि आप इस समय कहां हैं? आप ही प्रकट होकर अपने जन्म के मुद्दे को हमेशा के लिए खत्म क्यों नहीं कर देते? क्योंकि अयोध्या में आपके जन्म-स्थान के विवाद का समाधान न किसी अदालत के पास है, ना ही इन आधुनिक इतिहासकारों और राजनीतिज्ञों और उनके दलों के पास है। इसका समाधान मान्यता और आस्था के रूप में खोजने की कुछ मनीषियों ने कोशिश की थी, किंतु कुछ ‘कालनेमी’ बीच में आ गए और आप तो जानते ही हैं कि ये कलियुग है, और वह भी मृत्यु लोक। यहां कालनेमियों से कौन जीत सकता है? इसलिए हम आपको
ढूंढ रहे हैं। अब आप ही आइए और अपनी प्रजा का संताप हरिये। रक्षा करो, प्रभु रक्षा करो!

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