पं. शिवम् तिवारी
एक ज्योतिषी अपने पुत्र को ज्योतिषीय ज्ञान से प्रवीण कर उसे राजा के दरबार में लाया। हे राजन! आप मेरे पुत्र के ज्योतिषीय ज्ञान की परीक्षा ले सकते हैं। राजा ने दरबार में चतुराई से सोने की अंगूठी अपनी मुठ्ठी में बंद करके ज्योतिषी पुत्र से प्रश्न किया-‘तो बताइए कि मेरी मुठ्ठी में क्या है?’ ज्योतिष पुत्र ने ज्योतिष विद्या से गणना करते हुए बताया कि उनकी मुठ्ठी में पीले रंग की कोई वस्तु है। राजा ने पूछा-‘बताइये वह वस्तु क्या है?’ ज्योतिषी पुत्र बोला कि, वह गोल है, एक धातु है। राजा ने पूछा-और? ज्योतिष पुत्र बोला ‘और अंदर से खाली है।’ तो बताइये कि वह है क्या? राजा के जोर देकर कहने पर ज्योतिषी पुत्र ने हड़बड़ाहट में ज्योतिषीय गणना छोड़ दी और तपाक से बोल पड़ा कि ‘आपकी मुठ्ठी में चक्की का पाट है।’ ज्योतिषी पुत्र की यह वाणी सुनते ही राज दरबार में हंसी का फव्वारा फूट पड़ा। राजा ने उसे नसीहत देते हुए पूछा कि मूर्ख मुठ्ठी में कभी चक्की का पाट आ सकता है? राजा ने उसके सामने अपनी मुठ्ठी खोली और राजदरबार में दिखाया की उनकी मुठ्ठी में सोने की अंगूठी थी।
दरअसल जब तक ज्योतिषी पुत्र ने मुठ्ठी के भीतर मौजूद रहस्य के बारे में ज्योतिषीय गणना की तब तक वह सही बताता गया और जैसे ही उसने ज्योतिषीय गणना छोड़कर अपनी बुद्घि से अनुमान लगाया उसका ज्योतिषीय ज्ञान गड़बड़ा गया और वह एक गलत जवाब दे बैठा। यह प्रसंग उन ज्योतिषियों के लिए बहुत ही नसीहत भरा और शिक्षाप्रद हो सकता है जो ज्योतिषीय गणना को छोड़कर तुक्के से भविष्यवाणियां करने की दुकान चला रहे हैं और तुक्के से भविष्यवाणियां करके ज्योतिष विद्या को बदनाम कर रहे हैं। वास्तव में ज्योतिष एक गूढ़ विज्ञान है और ब्रह्माण्ड के जटिल रहस्यों को उजागर करने की क्षमता रखता है। इसमें कोई दो राय नहीं हो सकतीं कि उपग्रह तो अब आए हैं ज्योतिष शास्त्र यह काम सदियों से करता आ रहा है। दिक्कत यह आ रही है कि इसके अच्छे जानकार अब नहीं रहे और उनकी जगह तुक्केबाजों ने ले ली है। आज के ज्योतिषी अपने दिमाग और मन से भविष्यवाणियां कर रहे हैं और सामने वाले व्यक्ति को उसकी भावनाओं को भांपकर बोल रहे हैं या सलाह दे रहे हैं।
दुर्वासा ऋषि ने अयोध्या के चक्रवर्ती राजा महाराज दशरथ को अपने ज्योतिषीय ज्ञान से बता दिया था कि उनके घर में पैदा होने वाला एक बालक पृथ्वी पर अवतार कहलायेगा जो राम के नाम से जाना जाएगा और वह ब्रह्मांड का सर्वाधिक रहस्यात्मक और प्रचंड युद्घ लड़ेगा, जिसमें त्रिलोकी की महान शक्ति के रूप में प्रसिद्घ लंका नरेश महाराज रावण का समूल अंत होगा। यह ज्योतिषीय गणना थी। राजा महाराजा राजनीतिक लोग ज्योतिष पर भारी यकीन करते आए हैं। मगर कई महत्वपूर्ण मौकों पर आज के ज्योतिषी कुछ भी पूर्वानुमान नहीं लगा सके। जर्मन के तानाशाह शासक हिटलर ने तो अपने यहां ज्योतिषियों का एक विभाग ही खोल दिया था। वे कहा करते थे कि ‘मुझे बहादुर जनरल नहीं बल्कि भाग्यशाली जनरल चाहिएं।’ हिटलर अपनी समस्त प्रकार की गतिविधियों का संचालन भी ज्योतिषीय आधार पर करते थे। पर विडंबना देखिए कि वे भी अपने निजी जीवन की भविष्य की एक महत्वपूर्ण घटना से अनभिज्ञ रहे। उन्हें कोई ज्योतिषी नहीं बता पाया कि एक दिन वे अपनी प्रेमिका जो बाद में उनकी पत्नी बनी, के साथ शादी के अगले ही दिन एक बंकर में उसके सहित आत्महत्या कर लेंगे। हिटलर जब ज्योतिषी से अपना भविष्य पूछा करते थे तो ज्योतिषी उन्हें एक ही वाक्य से खुश कर देते थे-‘बंकर जैसा सुरक्षित और अग्नि जैसा प्रचंड।’ मगर हिटलर के जीवन के दुखद अंत की घटना किसी भी ज्योतिषी विद्वान के गणित ने कभी नही पकड़ी। इसका कारण चाहे हिटलर के सामने सच बोलने पर ज्योतिषी को जान जाने का भय रहा हो या वह यह बात कभी पकड़ ही नहीं पाये हों।
ऐसा ही भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ हुआ और ऐसा ही संजय गांधी और बाद में राजीव गांधी के साथ हुआ। इस राज घराने में बड़े-बड़े नामधारी ज्योतिषियों का दखल रहा है लेकिन वे इंदिरा गांधी परिवार की इस भयानक त्रासदी को पकड़ नहीं सके। नेपाल नरेश महाराज वीरेंद्र अपने ही पुत्र के हाथों सपरिवार मारे जाएंगे इसका भी कोई भविष्यवक्ता अनुमान तक नहीं लगा पाया। इसका कोई ज्योतिषीय संकेत तक नहीं सामने आया। यह तब है जब नेपाल के राज परिवार में ज्योतिषियों का जमावड़ा रहता आया है। इसका एक बड़ा कारण यह समझा जा सकता है कि ज्योतिषी अपने सामने वाले के नकारात्मक पक्ष को प्रकट करने में या तो संकोच कर जाते हैं या वे वही कहते हैं जो सामने वाला सुनना पसंद करता है और इसी से ज्योतिषी को भारी धन प्राप्त होता है। यही पक्ष इस विधा को अविश्वास की ओर धकेलता है।
ज्योतिषीय ज्ञान के सागर कहे जाने वाले महर्षि भृगु ने भी कहा है कि ‘ज्योतिष एक ऐसी गणितीय साधना है जो किसी प्रचंड तप से भी बड़ी है जिसके द्वारा वर्तमान, भूत और भविष्य के बारे में सही अनुमान लगाया जा सकता है लेकिन अंतिम सच तो त्रिलोकी की महान शक्ति को ही पता है जिसके मार्ग दर्शन में ब्रह्मांड की समस्त रहस्यमयी अलौकिक गतिविधियां संचालित होती हैं।’ जर्मन के महान और विश्व विख्यात ज्योतिष शास्त्री नास्तेदमस की भविष्यवाणियां काफी प्रसिद्घ हैं। उन्होंने विश्व के कुछ देशों के शासकों और वहां के शासन के बारे में भविष्यवाणियां की हैं। लेकिन कहीं-कहीं वह भी सटीक भविष्यवाणियों से थोड़ा दूर रहे। एक समय तो ऐसा आया कि तत्कालीन शासक उनकी भविष्यवाणियों पर निर्भर रहकर अपना राजपाट चलाने लगे थे। नास्तेदमस के घर में भी एक घटना घटित हुई। उनका पुत्र एक शासनकाल में विद्रोह के संबंध में झूंठी भविष्यवाणी करने पर नाराज भीड़ के हमले में मारा गया।
यहां इन बातों का संज्ञान इसीलिए लिया गया है कि जब उस समय बड़े-बड़े भविष्य वक्ता ज्योतिषीय गणना में उतने सम्पूर्ण नहीं हो पाए तो आज जो भविष्यवक्ता घर-घर और शहर-शहर में भविष्यवाणियों की दुकान चला रहे हैं तो वह कितने विश्वसनीय होंगे। यह तब है जब आज गणित का कार्य कम्प्यूटर से होता है और कम्प्यूटर से घंटा मिनट और पल के भी पल का हिसाब-किताब पलक झपकते ही सामने होता है। आज तो भविष्यवाणियां पहले से ज्यादा सटीक होनी चाहिए थीं लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। ज्योतिषियों में कमी है या जन्म मृत्यु और घटनाओं के सटीक समय में भारी अंतर। आज आदमी अपनी निजी और व्यवसायिक समस्याओं का समाधान ज्योतिष में ज्यादा ही तलाश रहा है। उसके पास एक नहीं दो नहीं अपनी तीन-तीन कुंडलियां हैं। उसके किस समय और तिथि पर यकीन किया जाए? पहले इतने ज्योतिषी नहीं थे जितने आज पैदा हो गए हैं। ज्योतिष विधा को अब लोग व्यवसाय के रूप में चुनने लगे हैं। उनकी फीस सुनकर छक्के छूट जाते हैं। लेकिन ऐसे बहुत हैं जो ज्योतिषियों और तांत्रिकों को मुंह मांगा धन देते हैं।
देश और विदेश की पत्र-पत्रिकाओं, विभिन्न इलेक्ट्रानिक चैनलों पर कम्प्यूटर ज्योतिषियों का साम्राज्य चल रहा है। अगर किसी चैनल के पास कोई नामधारी ज्योतिषी नहीं है तो दर्शक उस चैनल को शायद ही खोलें। प्रत्येक रविवार को बहुत से लोग केवल इसलिए समाचार पत्र खरीदते हैं कि उन्हें अपना साप्ताहिक भविष्यफल देखना होता है। सड़कों के फुटपाथ पर जगह-जगह इनके तंबू मिलेंगे जिनमें लोग लाइन लगाकर अपनी किस्मत का हाल एवं कष्टों का सामाधान पूछते हैं। ज्योतिषी अभी तक तो केवल साप्ताहिक और दैनिक भविष्य तक ही सीमित थे अब उन्होंने ज्योतिषीय आधार पर मकान दुकान की खरीददारी, विवाह संयोग और नौकरी राजनीति के बारे में डाक्टर की तरह सलाह देनी शुरू कर दी है। ऐसे भी समाचार सुनने को मिलते हैं कि कई ज्योतिषियों और तांत्रिक महानुभावों ने लोगों के शानदार बंगले मिट्टी के मोल बिकवा दिए। कारखाने, फैक्ट्रियां बिकवा दीं और राजघरानों से लेकर औद्योगिक घरानों तक में विभाजन करा दिया। ऐसा भी हुआ कि बहू को घर से बाहर निकलवा दिया।
यह एक ऐसा विषय है जिसमें आदमी का अपना विवेक ज्योतिष के हाथों गिरवी सा हो जाता है। तब फिर सब कुछ ज्योतिषी पर निर्भर करता है कि वह क्या और कैसे गुल खिलाए। परिवारों और राजघरानों में ऐसे लालची ज्योतिषियों के खिलाए हुए गुल बहुत फल फूल रहे हैं। आज हर एक नौकरशाह के पास, हर एक राजनेता के पास, हर एक औद्योगिक घराने में या विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले बड़े लोगों के पास एक ज्योतिषी है और एक गुरुजी हैं। यह महानुभाव अपने हिसाब से इन विशिष्ट जनों के परिवारों और औद्योगिक घरानों को चला रहे हैं। अगर कोई विशिष्ट व्यक्ति शासन में मौजूद है तो उसके फैसलों को भी प्रभावित कर रहे हैं। इस विषय पर लिखने को बहुत कुछ है। पर इतना जरूर है कि ज्योतिष आपका बहुत अच्छा मार्गदर्शक हो सकता है, वह आपको भविष्य की अनहोनियों से सचेत कर सकता है, मगर इस आधार पर अपनी योजनाएं बनाने में अपने विवेक का इस्तेमाल जरूर करें और झूठे और पाखंडी ज्यातिषियों के चक्कर में न पड़कर उन लोगों पर उपकार करें जो आपमें अपने सुनहरे सपने देखते हैं।