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द्रौपदी मुर्मु को अल्जीरिया में डॉक्टरेट उपाधि

भारत अनादिकाल से शांति और शिक्षा का प्रबल समर्थक-राष्ट्रपति

'अल्जीरिया के युवा भारत सरकार की विभिन्न पहलों का लाभ उठाएं'

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Wednesday 16 October 2024 04:20:47 PM

draupadi murmu awarded doctorate degree in algeria

अल्जीयर्स/ नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को शहीद इहादादेन अब्देलहाफिद विश्वविद्यालय अल्जीरिया के वैज्ञानिक एवं तकनीकी केंद्र ने सिदी अब्दुल्ला में समारोहपूर्वक मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को भारत में सभी सामाजिक समूहों केलिए विज्ञान और ज्ञान की बातों को बढ़ावा देने केलिए राजनीति विज्ञान में यह मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई है। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहाकि यह उनके लिए व्यक्तिगत रूपमें नहीं, बल्कि भारत केलिए सम्मान की बात है और यह सम्मान देश, सभ्यता और संस्कृति का है, जो अनादिकाल से शांति और शिक्षा का प्रबल और निरंतर समर्थक है। उन्होंने सम्मान केलिए वैज्ञानिक एवं तकनीकी केंद्र को धन्यवाद दिया और कहाकि शिक्षा निस्संदेह मानव विकास, सामाजिक उत्थान और आर्थिक विकास केलिए सबसे प्रभावशाली तंत्र है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि शिक्षा समानता लाती है और सामाजिक असमानताओं को बेअसर करती है, यह सुनिश्चित करती हैकि विकास का लाभ सबसे हाशिए पर पड़े लोगों तकभी पहुंचे, शिक्षा न केवल व्यक्तिगत सशक्तिकरण केलिए, बल्कि राष्ट्रीय विकास केलिए एक प्रमुख साधन है। उन्होंने उल्लेख कियाकि छात्रों को प्रबुद्ध नागरिक के रूपमें विकसित करने और भारत को ज्ञान अर्थव्यवस्था की ओर लेजाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने शिक्षा क्षेत्रमें कई उल्लेखनीय सुधार किए हैं। उन्होंने कहाकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का लक्ष्य सभी स्तरोंपर शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाना है, यह नीति विदेशी शिक्षण संस्थानों केसाथ सहयोग के रास्ते भी खोलती है। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत, पश्चिमी संस्थानों की तुलना में बहुत कम लागत पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता है और अफ्रीकी छात्रों को कई छात्रवृत्तियां और फेलोशिप भी प्रदान करता है। उन्होंने शिक्षण संस्थानों, सरकारी विभागों और अल्जीरिया के युवाओं को भारत सरकार की विभिन्न पहलों का लाभ उठाने केलिए आमंत्रित किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि भारत-अल्जीरिया संबंध उपनिवेशवाद के विरुद्ध अल्जीरियाई मुक्ति संघर्ष के दिनों से हैं, जब भारत ने संयुक्तराष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अल्जीरियाई स्वतंत्रता की वकालत की थी, जुलाई 1962 में अल्जीरियाई स्वतंत्रता और राजनयिक संबंधों की स्थापना केबाद इस नीतिगत अभिविन्यास ने भारत और अल्जीरिया को करीब ला दिया और हमारे मैत्रीपूर्ण संबंध आजभी जारी हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि भारत और अल्जीरिया के युवा हमारे लोगों के मजबूत आपसी संबंधों को और समृद्ध करने वाले सेतु बनेंगे। उन्होंने कहाकि भारत की तीव्र आर्थिक रिकवरी का एक प्रमुख स्तंभ प्रौद्योगिकी आधारित और महिला आधारित विकास है, भारत में हो रहे बड़े पैमाने पर डिजिटल परिवर्तन ने कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित किया है, जो दुनिया के किसीभी अन्य स्थान पर पहले कभी नहीं देखा गया। राष्ट्रपति ने आदिवासी वंचित और दूरदराज के गांव से देश का राष्ट्राध्यक्ष बनने तककी अपनी यात्रा को भी साझा किया।
द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि ‘उनका जन्म भारत के आदिवासी क्षेत्र ओडिशा के उपरबेड़ा गांव में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका बचपन चुनौतियों और बाधाओं से भरा था, उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एक स्थानीय प्राथमिक विद्यालय में की और फिर उच्च अध्ययन केलिए भुवनेश्वर के रमा देवी महिला कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और विश्वविद्यालय से स्नातक करने वाली अपने गांव की पहली महिला बनी। राजनीति में प्रवेश करने से पहले उन्होंने एक क्लर्क और शिक्षिका के रूपमें काम किया, शिक्षा और सशक्तिकरण केलिए जुनून उनके निजी जीवन में एक प्रेरक शक्ति रहा है, एक शिक्षक के रूपमें उन्होंने अपने छात्रों विशेष रूपसे महिला छात्रों के जीवन को आगे बढ़ाने में अपनी विनम्र भूमिका निभाने की कोशिश की, उनमें ज्ञान लचीलापन और करुणा के मूल्यों को स्थापित करने की कोशिश की। इसके बाद उन्होंने खुदको अपने देश की सेवा केलिए समर्पित कर दिया, अब वे एक आदिवासी समुदाय से पहली व्यक्ति हैं और भारतीय गणराज्य के सर्वोच्च पद पर आसीन होनेवाली सबसे कम उम्र की व्यक्ति भी हैं।’

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