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Wednesday 5 March 2025 01:11:45 PM
नई दिल्ली। पंचायती राज मंत्रालय ने नई दिल्ली में पंचायती राज संस्थानों की महिला निर्वाचित प्रतिनिधियों की ऐतिहासिक राष्ट्रीय कार्यशाला में ‘सशक्त पंचायत नेत्री अभियान’ शुरू किया है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च 2025 से पहले इस कार्यशाला में देशभर से 1200 से अधिक महिला पंचायत नेता एक मंच पर आईं। सशक्त पंचायत नेत्री अभियान एक व्यापक और लक्ष्यआधारित क्षमता निर्माण पहल है, जिसका उद्देश्य देशमें पंचायती राज संस्थानों की महिला निर्वाचित प्रतिनिधियों को सशक्त बनाना है, यह उनके नेतृत्व कौशल को तेज करने, उनकी निर्णय लेने की क्षमताओं को बढ़ाने और जमीनीस्तर के शासन में उनकी भूमिका को मजबूत करने पर केंद्रित है। ग्रामीण स्थानीय शासन में महिला निर्वाचित प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए पंचायती राज मंत्रालय ने इस पहल के जरिए उनके नेतृत्व कौशल को बढ़ाने और निर्णय लेने में महिला प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने केलिए एक रणनीतिक रोडमैप तैयार किया है।
सशक्त पंचायत नेत्री अभियान के शुभारंभ कार्यक्रम में पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी, पंचायती राज राज्यमंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल और युवा मामले एवं खेल राज्यमंत्री रक्षा निखिल खडसे, वरिष्ठ अधिकारियों में विवेक भारद्वाज सचिव पंचायती राज मंत्रालय, अशोक केके मीणा सचिव पेयजल और स्वच्छता विभाग और सुशील कुमार लोहानी अपर सचिव पंचायती राज मंत्रालय, विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, एसआईआरडी एंड पीआर, टीआरआईएफ और यूएनएफपीए सहित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। राजीव रंजन सिंह ने ग्रामीण प्रशासन में महिला नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर कहाकि सशक्त पंचायत नेत्री अभियान समावेशी विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार देशमें विशेष रूपसे ग्राम पंचायतों में महिला नेतृत्व को और मजबूत करने केलिए क्षमता व आत्मविश्वास निर्माण उपायों को करने केलिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। राजीव रंजन सिंह ने कहाकि सशक्त महिलाएं जमीनीस्तर से लेकर राष्ट्रीयस्तर तक लोकतंत्र को मजबूत करती हैं।
पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह ने 73वें संविधान संशोधन के प्रभाव की सराहना की, जिसके परिणामस्वरूप पंचायती राज संस्थाओं में 14 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं। उन्होंने कहाकि बिहार सहित कई राज्यों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व आरक्षण से भी आगे है, जहां अनारक्षित सीटों पर भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। केंद्रीय मंत्री ने घरों को संभालने से लेकर समुदायों को चलाने और सरकारों को चलाने तक बहुआयामी भूमिकाएं निभाने केलिए महिलाओं की प्रशंसा की। उन्होंने कहाकि महिलाएं साबित कर रही हैंकि उचित समर्थन और अवसर मिलने पर वे अपनी पसंद के किसीभी क्षेत्रमें उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं। उन्होंने कहाकि क्षमता निर्माण सशक्तिकरण की कुंजी है, यह महिलाओं को वह सबकुछ हासिल करने में सक्षम बनाता है, जिसकी वे आकांक्षा रखती हैं। उन्होंने कहाकि लोकतंत्र में यह क्रांति न्याय आधारित समतामूलक समाज बनाने केलिए आवश्यक है। महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहाकि महिला नेतृत्व वाला शासन स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता और आर्थिक स्थिरता में निवेश को बढ़ाता है, इससे टिकाऊ सामुदायिक और राष्ट्रीय विकास सुनिश्चित होता है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने महिला प्रतिनिधियों से अपनी शक्ति का स्वतंत्र रूपसे उपयोग करने और निर्णय लेने में पुरुषों के हस्तक्षेप के प्रभाव को समाप्त करने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि महिला सशक्तिकरण में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक समानता शामिल है। उन्होंने कहाकि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी पहलें पिछले दस वर्ष में बदलाव की उत्प्रेरक रही हैं, जिससे समाज की मानसिकता को बदलने में मदद मिली है। अन्नपूर्णा देवी ने कहाकि स्वयं सहायता समूहों के जरिए लखपति दीदियां और ड्रोन दीदियां अपने और अपने परिवारों केलिए एक सशक्त जीवन उकेर रही हैं एवं उज्ज्वला, पीएम आवास योजना, मुद्रा योजना जैसी योजनाओं ने भारत में महिला सशक्तिकरण में बड़ा योगदान दिया है। पंचायती राज राज्यमंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ने मुखिया पति, प्रधान पति और सरपंच पति संस्कृति को चिंताजनक बताया, जहां पुरुष रिश्तेदार वास्तविक नेता के रूपमें कार्य करते हैं और निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की नेतृत्व स्थिति कमजोर होती है। उन्होंने महिला नेताओं से अपने आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करते हुए विशेष रूपसे वित्तीय मामलों में सावधानी बरतने का आग्रह किया।
प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम का उल्लेख किया और भारत में पोषण भेदभाव, कन्या भ्रूण हत्या, घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों को संबोधित करने केलिए ठोस प्रयासों का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि विकसित भारत महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के बिना संभव नहीं है। उन्होंने महिला पंचायत प्रतिनिधियों से अपनी स्वयं की नेतृत्व भूमिकाओं को परिभाषित करने और महिलाओं के अनुकूल ग्राम पंचायतों के निर्माण की दिशामें काम करने का आग्रह किया। युवा मामले एवं खेल राज्यमंत्री रक्षा निखिल खडसे, जिन्होंने महाराष्ट्र में ग्राम पंचायत के सरपंच के रूपमें अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था, ने अपना व्यक्तिगत अनुभव साझा किया और प्रॉक्सी सरपंचों के मुद्दे पर प्रकाश डाला। उन्होंने महिला प्रतिनिधियों पर स्वयं अपनी शक्ति का दावा करने की जिम्मेदारी डाली। उन्होंने कहाकि पंचायत से संसद तककी उनकी यात्रा समावेशी शासन केलिए संभव और आवश्यक दोनों है। पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहाकि निर्वाचित महिला प्रतिनिधि प्रॉक्सी प्रतिनिधि नहीं होनी चाहिएं, बल्कि जमीनी स्तरपर बदलाव लाने वाली वास्तविक नेता होनी चाहिएं। उन्होंने कहाकि महिला नेतृत्व वाले विकास का दृष्टिकोण हमारे पंचायती राज संस्थानों के माध्यम से साकार हो रहा है, जहां आज 43 प्रतिशत महिला निर्वाचित प्रतिनिधि हैं। उन्होंने कहाकि यह उल्लेखनीय हैकि राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करनेवाली ग्राम पंचायतें तेजीसे महिला नेतृत्व वाली हो रही हैं। विवेक भारद्वाज ने कहाकि सशक्त पंचायत नेत्री अभियान से महिलाओं केलिए समर्पित क्षमता निर्माण कार्यक्रम भारतभर में कार्यांवित किया जा रहा है।
पंचायती राज संस्थानों की महिला निर्वाचित प्रतिनिधियों की क्षमता निर्माण केलिए खासतौर पर डिजाइन किए गए विशेष प्रशिक्षण मॉड्यूल का कार्यशाला में शुभारंभ किया गया। निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों केलिए ‘लैंगिक आधारित हिंसा और हानिकारक प्रथाओं को संबोधित करने वाले कानून पर एक व्यापक प्राइमर’ भी पेश किया गया। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की पंचायतों की मेधावी महिला नेताओं को सम्मानित किया गया, जिन्होंने ग्रामीण स्थानीय स्वशासन में अनुकरणीय कार्य का प्रदर्शन किया है। राष्ट्रीय कार्यशाला में पंचायती राज संस्थानों में महिला भागीदारी और नेतृत्व व स्थानीय स्वशासन में गतिशीलता को बदलना पर विचारोत्तेजक पैनल चर्चाएं हुईं, जिसमें यह जांच की गईकि कैसे बढ़ा हुआ महिला प्रतिनिधित्व ग्रामीण शासन संरचनाओं को फिरसे आकार दे रहा है और महिला नेतृत्व वाला स्थानीय शासन: डब्लूईआर द्वारा क्षेत्रीय हस्तक्षेप, जिसमें स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, महिलाओं व बालिकाओं की सुरक्षा, आर्थिक अवसर और डिजिटल परिवर्तन सहित महत्वपूर्ण क्षेत्रों को शामिल किया गया। लैंगिक हिंसा और रूढ़ीवादी प्रथाओं से जुड़े कानून पर प्राथमिक जानकारियां भी साझा की गईं।