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Wednesday 4 December 2024 03:04:53 PM
नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा हैकि भारत में दुनिया की सर्वाधिक अच्छी कराधान प्रणाली है, पारदर्शिता कानून का शासन एवं कर नीतियों में स्थिरता जिसकी विशेषता है और इन नीतियों व कानूनों की बदौलत दुनियाभर की कंपनियां और लोग भारत में निवेश करने केलिए उत्सुक हैं। उन्होंने कहाकि स्थिर कर नीति के कारण भारत वैश्विक निवेशकों केलिए पसंदीदा निवेश स्थलों में से एकके रूपमें उभरा है। कर सुधार उपायों विशेषकर माल और सेवा कर (जीएसटी) का उल्लेख करते हुए ओम बिरला ने कहाकि हाल के उपायों ने कराधान को सरल बनाकर और भारत में कारोबार करना सुगम बना दिया है। उन्होंने कहाकि जीएसटी ने देशमें एक राष्ट्र, एक कर की प्रणाली शुरू की है और दुनिया इससे सीख ग्रहण करने की उत्सुक है। ओम बिरला ने उल्लेख कियाकि संसद और सरकार ने समय-समय पर कराधान प्रणाली में सुधार किए हैं, इसी कारण आज भारत की कराधान प्रणाली दुनिया में सर्वाधिक पारदर्शी और विश्वसनीय मानी जाती है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहाकि आईआरएस अधिकारियों के उत्कृष्ट कार्यों ने भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की है, जिसके कारण दुनियाभर के निवेशक भारत में निवेश कर रहे हैं। ओम बिरला संसद भवन परिसर में आईआरएस (सीमा शुल्क और अप्रत्यक्ष कर) के 73 प्रशिक्षु अधिकारियों केलिए संसदीय प्रक्रियाओं और कार्यपद्धतियों में प्रशंसा पाठ्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे, जिनमें 74वें और 75वें बैच के अधिकारी और रॉयल भूटान कस्टम्स के 5 प्रशिक्षु अधिकारी शामिल थे। उन्होंने कहाकि राजस्व संग्रह केसाथ ही नीति निर्माण तथा वित्तीय व्यवस्था को पारदर्शी बनाने में राजस्व सेवा अधिकारी अहम भूमिका निभाते हैं। ओम बिरला ने कहाकि विगत वर्षों में भारत वित्तीय सशक्तिकरण की दिशामें तेजीसे आगे बढ़ा है, कर प्रणाली में सुधार आया, राष्ट्रीय जीडीपी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और भारत आज दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था के रूपमें स्थापित है। उन्होंने कहाकि उन्हें विश्वास है कि संसदीय प्रक्रियाओं की गहरी समझ केसाथ प्रशिक्षु आईआरएस अधिकारी अपने ज्ञान एवं कौशल में और अधिक अभिवृद्धि करेंगे तथा राष्ट्र के समग्र विकास में और अधिक भूमिका निभाएंगे।
आईआरएस प्रशिक्षु अधिकारियों केलिए संसदीय प्रक्रियाओं और कार्यपद्धतियों में प्रशंसा पाठ्यक्रम का आयोजन संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) लोकसभा सचिवालय ने किया है। गौरतलब हैकि प्राइड अखिल भारतीय, केंद्रीय सेवाओं के उम्मीदवारों और भारत सरकार के मध्यम एवं वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों केलिए संसदीय प्रशंसा पाठ्यक्रम आयोजित करता है। ओम बिरला ने आईआरएस प्रशिक्षुओं को बतायाकि 1947 में देश का बजट लगभग 170 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 40 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है, यह उनके जैसे अधिकारियों के प्रयासों और योगदान का परिणाम है। उन्होंने संविधान और साझा लोकतांत्रिक मूल्यों द्वारा भारत की प्रगति का मार्गदर्शन किए जाने की बात पर जोर देते हुए कहाकि हमारे संस्थापकों ने संसदीय लोकतंत्र का एक मॉडल स्थापित किया है, जिसने दुनिया को दिखाया हैकि विभिन्न भाषाओं, धर्मों और संस्कृतियों के लोगों वाली विविध आबादी को कैसे एकजुट किया जा सकता है। ओम बिरला ने कहाकि देश की लोकतांत्रिक यात्रा के 75 वर्ष में भारत की संसद ने न केवल संविधान में संशोधन किए हैं, बल्कि समाज के हर वर्ग केलिए कल्याणकारी योजनाएं भी बनाई हैं। इस अवसर पर ओम बिरला ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ने में अधिकारियों का नेतृत्व किया।
स्पीकर ओम बिरला ने आईआरएस अधिकारियों से अपनी सेवा को अपना मिशन बनाने का आह्वान किया, ताकि राष्ट्र का बेहतर भविष्य की दिशामें बढ़ना सुनिश्चित हो सके। ओम बिरला ने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहाकि उनको प्रदत्त जिम्मेदारियों को पारदर्शिता, ईमानदारी और दक्षता केसाथ पूरा किया जाना चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि अपनी कड़ी मेहनत, कौशल और तकनीकी ज्ञान की बदौलत वे न केवल राष्ट्र के राजस्व में वृद्धि करेंगे, बल्कि समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना भी करेंगे। उन्होंने कहाकि सेवा राजस्व को नियमित करने, राजस्व के पारदर्शी संग्रह और ईमानदारी और परिश्रम केसाथ राजस्व बढ़ाने में सबसे आगे है। उन्होंने कहाकि इस प्रशंसा पाठ्यक्रम से संसद की कार्यप्रणाली और कानून निर्माण के बारेमें उनकी समझ बढ़ेगी, जिससे वे बेहतर अधिकारी बनेंगे और राष्ट्र केप्रति उनका योगदान और भी अधिक प्रभावशाली होगा। लोकसभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह ने स्वागत भाषण दिया और लोकसभा के संयुक्त सचिव गौरव गोयल ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस दौरान एनएसीआईएन के प्रधान महानिदेशक गाइगोंगदीन पानमेई भी उपस्थित थे।