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Monday 27 January 2025 05:41:29 PM
देहरादून। उत्तराखंड से आज आखिर यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता लागू हो ही गई। अनुच्छेद 342 में वर्णित अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर यह कानून सभी पर लागू होगा। यूसीसी का देश का मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मुसलमान कड़ा विरोध करते आए हैं, लेकिन इस कानून का सबसे ज्यादा लाभ भी मुस्लिम महिलाओं लड़कियों और बालिकाओं को मिलेगा, जिनपर बहुविवाह, तीन तलाक, हलाला, बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियां और उनसे जुड़े फतवे न मानने पर अत्याचार होते आ रहे हैं। उत्तराखंड में यूसीसी की अवहेलना करने वालों को अपने खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई और बंदिशों केलिए तैयार रहना होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सेवक सदन देहरादून में आयोजित एक कार्यक्रम में संपूर्ण कायदे कानून के साथ यूसीसी पोर्टल लांच करके सबसे पहले उसपर अपने विवाह का पंजीकरण कराया, जिसका प्रमाणपत्र भी मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने उन्हें सौंपा। पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर कहाकि यह उनके लिए एक ऐतिहासिक क्षण है और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को इसका श्रेय दिया। उत्तराखंड समान नागरिक संहिता कानून लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन चुका है।
पुष्कर सिंह धामी ने कहाकि जनता जनार्दन ने भाजपा को बहुमत दिया और हमने अपना वादा निभाया। उन्होंने कहाकि माँ गंगा की उद्गम स्थली देवभूमि उत्तराखंड से देश में समानता की अविरल धारा प्रवाहित हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहाकि समान नागरिक संहिता लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले युवक युवतियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, यूसीसी लागू होने केबाद अब किसी भी बहन बेटी केसाथ अन्याय नहीं होगा। पुष्कर सिंह धामी ने कहाकि यूसीसी में सबके अधिकार अब समान हैं, यह कानून कानूनी भेदभाव को समाप्त करेगा, समानता से समरसता स्थापित करेगा। संपत्ति में बेटियों को भी मिलेंगे समान अधिकार। पुष्कर सिंह धामी ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का मार्गदर्शन बताया। उन्होंने कहाकि आज का दिन उत्तराखंडवासियों केसाथ ही समस्त देशवासियों केलिए भी विशेष है। उन्होंने कहाकि मुझे विश्वास है कि उत्तराखंड से निकली समानता की यह धारा निकट भविष्य में संपूर्ण देश को अभिसिंचित करेगी। उन्होंने कहाकि अब हरवर्ष 27 जनवरी को समान नागरिक संहिता दिवस मनाया जाएगा। इसीके साथ यूसीसी पर मुसलमानों का प्रतिरोध भी शुरू हो गया है। दिल्ली विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं, इसलिए देखना होगाकि वहां उत्तराखंड में यूसीसी लागू कर देने के क्या परिणाम होते हैं।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहाकि हमने 12 फरवरी 2022 को देवतुल्य जनता के समक्ष वादा किया थाकि हम उत्तराखंड के नागरिकों को समान अधिकार देंगे, जिससे जनता ने हमपर विश्वास किया और हमें सरकार बनाने केलिए पूर्ण बहुमत दिया, आज प्रदेश में यूसीसी लागू किया जाना जनता के समक्ष लिएगए उस संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाने में हमारी प्रतिबद्धता को परिलक्षित करता है। पुष्कर सिंह धामी ने कहाकि शादी, तलाक, संपत्ति, गोद लेने, लिव इन रिलेशनशिप केलिए नियम, शादी का पंजीकरण अनिवार्य, लिव इन का रजिस्ट्रेशन भी होगा। पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी पोर्टल केसाथ उसकी एक पुस्तिका भी लॉंच की। जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी ने उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता को अदालत में चुनौती देने का फैसला किया है। मौलाना अरशद मदनी ने कहाकि मुसलमान केवल शरिया कानून का पालन करेंगे। उन्होंने यूसीसी को उनके धर्म के विपरीत और उनके धार्मिक अधिकारों पर हमला बताया है। मुस्लिम सेवा संगठन ने भी जिला मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपकर अपनी आपत्ति जताई है।
उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने पर राजनीतिक दलों की भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने का समर्थन किया है। शिवसेना यूबीटी के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा हैकि यूसीसी किसी के खिलाफ नहीं है, इसमें सभी के समान अधिकार हैं, यह धर्मों में भेदभाव नहीं करता है और यह संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर के बनाए संविधान के अनुरूप है। उनका कहना हैकि महाराष्ट्र में हमारी सरकार आई तो हम इसे लागू करेंगे। गौरतलब हैकि यूसीसी में लिवइन रिलेशनशिप और उससे पैदा संतान को भी समान अधिकार दिए गए हैं। लिवइन रिलेशनशिप केलिए पंजीकरण अनिवार्य है, जिसकी सूचना रजिस्ट्रार के सम्मुख जोड़ों को अपने माता-पिता को देनी होगी। बहुविवाह पर प्रतिबंध है और शादी सिर्फ उन दो पक्षों केबीच हो सकती है, जिसका कोई जीवन साथी न हो और दोनों मानसिक रूपसे स्वस्थ भी हों। ज्यादा जानकारी केलिए पोर्टल ucc.uk.gov.in पर जाया जा सकता है।