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Thursday 3 April 2025 01:03:47 PM
नई दिल्ली। भारत में तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति करने वालों और देश विरोधियों के मंसूबों पर करारा प्रहार करने वाले ऐतिहासिक वक्फ संशोधन विधेयक-2025 और मुस्लिम वक्फ निरसन विधेयक-2024 लोकसभा में पारित हो चुके हैं। अब किसीकी भी जमीन सिर्फ घोषणा मात्र से वक्फ की संपत्ति नहीं हो जाएगी। वक्फ बोर्ड केलिए नियुक्त होने वाले चैरिटी कमिश्नर का काम केवल यह देखना होगाकि चैरिटी कानून के अनुसार चले, यह धार्मिक नहीं, बल्कि एडमिनिस्ट्रेटिव कार्य है, इससे वक्फ के नाम पर दान की गई संपत्तियों को बेचने वालों को पकड़ने का कार्य अब वक्फ बोर्ड करेगा। केंद्रीय संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक कार्यमंत्री किरण रिजिजू ने इन विधेयकों को विचार और पारित करने केलिए लोकसभा में पेश किया था, जिसपर पक्ष-विपक्ष के सदस्यों की वृहद चर्चा केबाद यह बिल पास कर दिया गया, वक्फ बिल के पक्ष में 288 सदस्यों ने और विपक्ष में 232 सदस्यों ने मतदान किया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने वक्फ बिल पर कहाकि वक्फ संशोधन विधेयक-2025 का उद्देश्य वक्फ अधिनियम-1995 में संशोधन कर वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियंत्रण से जुड़ी समस्याओं का समाधान करना है। उन्होंने कहाकि वक्फ और वक्फ बोर्ड, दोनों अलग-अलग हैं, गैर-मुस्लिम सदस्य वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड में होंगे, वक्फ में नहीं, उनका काम धार्मिक कार्यों में दखल देना नहीं, बल्कि यह देखना होगाकि संपत्तियां जिन उद्देश्यों केलिए दान दी गईं हैं, उनका उपयोग सही ढंग से हो रहा है या नहीं।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि विपक्षी राजनीतिक दल और उनके सहयोगी दलों ने मुसलमान भाइयों को डरा-डराकर सिर्फ अपना वोटबैंक खड़ा करने का काम किया है, धारा 370, सीएए, ट्रिपल तलाक, श्रीराम मंदिर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर विपक्ष ने अल्पसंख्यकों को डराने की कोशिश की, लेकिन आजतक कुछ भी नहीं हुआ। गृहमंत्री ने आक्रोशित होकर कहाकि कोई भूखा है तो क्या उसे खाना देकर उसका धर्म बदलवा दोगे? लोभ, लालच या भय के आधार पर धर्म परिवर्तन नहीं हो सकता, मोदी सरकार का यह संकल्प हैकि भारत के किसीभी नागरिक पर चाहे वह किसीभी धर्म का हो, कोई आंच नहीं आएगी। उन्होंने कहाकि वक्फ पर संसद में जो कानून बन रहा है, वह भारत सरकार का कानून है, इसे सभीको स्वीकार करना ही पड़ेगा। अमित शाह ने इस मौके पर उल्लेख कियाकि वक्फ एक अरबी शब्द है, जिसका इतिहास हदीसों से जुड़ा हुआ है, आजकल जिस अर्थमें इसका प्रयोग किया जाता है, उसका मतलब है अल्लाह के नामपर संपत्ति का दान या पवित्र धार्मिक उद्देश्यों केलिए संपत्ति का दान करना। उन्होंने कहाकि वक्फ का समकालीन अर्थ इस्लाम के दूसरे खलीफा ओमर के समय में अस्तित्व में आया, आजकी भाषा में वक्फ एक प्रकार का धर्मार्थ बंदोबस्ती है, जहां कोई व्यक्ति धार्मिक या सामाजिक भलाई केलिए संपत्ति दान करता है, इसमें दान निजी चीज का ही किया जा सकता है, सरकारी संपत्ति या किसी और की संपत्ति का दान नहीं कर सकते।
गृहमंत्री अमित शाह ने बल देकर कहाकि वक्फ बोर्ड में धार्मिक दान से जुड़े कार्यों में किसी गैर इस्लामिक सदस्य को जगह नहीं मिलेगी। उन्होंने कहाकि धार्मिक संस्थाओं के संचालन में गैर मुस्लिम व्यक्ति रखने का प्रावधान नहीं है और हम ऐसे प्रावधान करना भी नहीं चाहते। अमित शाह ने कहाकि विपक्ष भ्रांति फैला रहा हैकि यह विधेयक मुस्लिमों के धार्मिक क्रियाकलापों और उनके द्वारा दान की गई संपत्ति में दखल केलिए लाया जा रहा। उन्होंने कहाकि विपक्ष अल्पसंख्यक समुदाय को डराकर अपना वोट बैंक खड़ा करने की कोशिश कर रहा है। गृहमंत्री ने कहाकि वक्फ बोर्ड या इसके परिसरों में जिन गैर मुस्लिम सदस्यों को रखा जाएगा, उनका काम धार्मिक क्रियाकलापों से संबंधित नहीं होगा, वे सिर्फ यह सुनिश्चित करेंगेकि दान से संबंधित मामलों का प्रशासन नियम के अनुरूप हो रहा है या नहीं। उन्होंने कहाकि वक्फ भारत में ट्रस्ट की तरह है, ट्रस्ट में ट्रस्टी व एक मैनेजिंग ट्रस्टी होते हैं, वक्फ में वाकिफ और मुतवली होते हैं, जो इस्लाम के अनुयायी होते हैं। अमित शाह ने कहाकि वक्फ शब्द ही इस्लाम से आया है, इसलिए वक्फ वही कर सकता है, जो इस्लाम का अनुयायी हो। उन्होंने कहाकि वक्फ धार्मिक चीज है, लेकिन वक्फ बोर्ड या वक्फ परिसर धार्मिक नहीं हैं, कानून के मुताबिक चैरिटी कमिश्नर किसीभी धर्म का व्यक्ति बन सकता है, क्योंकि उसे ट्रस्ट नहीं चलाना, उसे यह सुनिश्चित करना हैकि चैरिटी कानून के हिसाब से बोर्ड का संचालन हो। अमित शाह ने कहाकि यह धर्म का नहीं, प्रशासन का काम है।
अमित शाह ने कहाकि वक्फ बोर्ड का काम वक्फ की संपत्तियां बेच खाने वालों को पकड़कर बाहर निकालने का होना चाहिए, उसे ऐसे लोगों को पकड़ना चाहिए, जिन्होंने वक्फ के नामपर औने-पौने दाम में संपत्तियों को सौ-सौ साल तक किराए पर दे रखा है। उन्होंने कहाकि वक्फ की आय कम होती जा रही है, जबकि वक्फ के पैसे से अल्पसंख्यक समुदाय का विकास होना चाहिए और इस्लाम धर्म की संस्थाओं को पुख्ता किया जाना चाहिए, इस पैसे की चोरी पर रोक लगाना ही अब वक्फ बोर्ड और उसके परिसर का काम होगा। उन्होंने कहाकि विपक्ष चाहता हैकि उनके राज में चलने वाली मिलीभगत चलती ही रहे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। गृहमंत्री ने कहाकि अगर 2013 में वक्फ कानून में संशोधन नहीं किया गया होता तो इस विधेयक को लाने की नौबत ही नहीं आती, लेकिन 2014 में चुनाव से पहले 2013 में रातों-रात तुष्टीकरण की खातिर वक्फ कानून को चरम बना दिया गया, जिसके कारण दिल्ली में लुटियन्स ज़ोन की 123 वीवीआईपी संपत्ति वक्फ को दे दी गई, दिल्ली वक्फ बोर्ड ने उत्तरी रेलवे की भूमि वक्फ के नाम कर दी, वहीं हिमाचल प्रदेश में वक्फ की संपत्ति बताकर उस जमीन पर अवैध मस्जिद बनाने का काम किया गया। उन्होंने कहाकि तमिलनाडु के 1500 साल पुराने तिरुचेंदूर मंदिर की 400 एकड़ भूमि को वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया गया।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि कर्नाटक की एक समिति की रिपोर्ट के अनुसार 29000 एकड़ वक्फ भूमि व्यावसायिक उपयोग केलिए किराए पर दे दी गई, वर्ष 2001 से 2012 केबीच 2 लाख करोड़ रुपए मूल्य की वक्फ संपत्ति निजी संस्थानों को 100 साल की लीज पर सौंप दी गई। उन्होंने कहाकि बेंगलुरु में उच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ा, जिसके बाद 602 एकड़ भूमि के अधिग्रहण को रोका गया, इसी तरह विजयपुर कर्नाटक के होनवाड़ गांव की 1500 एकड़ भूमि को विवादित बनाकर 500 करोड़ रुपए मूल्य की इस जमीन को फाइव स्टार होटल को मात्र 12000 रुपए प्रतिमाह के किराए पर दे दिया गया। अमित शाह ने कहाकि यह सारा पैसा ग़रीब मुसलमानों के कल्याण केलिए है न कि धनकुबेरों की लूट केलिए। उन्होंने कहाकि कर्नाटक में दत्तापीठ मंदिर पर दावा किया गया, तालीपरंबा में 75 साल पुराने एक दावे के आधार पर 600 एकड़ भूमि पर कब्जे की कोशिश की गई, ईसाई समुदाय की संपत्तियों पर भी कब्जा किया गया। अमित शाह ने कहाकि देश के कई चर्चों ने वक्फ बिल का विरोध किया है, क्योंकि वे इसे मुस्लिम समुदाय की सहानुभूति जीतने का जरिया मानते हैं, लेकिन चार साल में मुस्लिम समुदाय को भी पता चल जाएगाकि यह विधेयक तो उनके फायदे का है।
गृहमंत्री ने कहाकि तेलंगाना में 66 हजार करोड़ रुपए की 1700 एकड़ जमीन पर दावा कर दिया, वहीं असम में मोरीगांव जिले की 134 एकड़ भूमि पर दावा किया गया। गुरुद्वारे से संबंधित हरियाणा की चौदह मरला भूमि को वक्फ को सौंप दिया और प्रयागराज में चंद्रशेखर आजाद पार्क को भी वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया। महाराष्ट्र के वडांगे गांव में महादेव के मंदिर पर दावा किया और बीड में कंकलेश्वर की 12 एकड़ जमीन वक्फ बोर्ड ने जबरन ले ली। अमित शाह ने दोहरायाकि मुस्लिमों के धार्मिक क्रियाकलाप और उनके बनाए हुए दान से जुड़े ट्रस्ट यानि वक्फ में सरकार कोई दखल नहीं करना चाहती, मुतवली, वाकिफ, वक्फ सब उनके ही होंगे, परंतु यह जरूर देखा जाएगाकि वक्फ की संपत्ति का रखरखाव ठीक से हो रहा है या नहीं, वक्फ का संचालन कानून के हिसाब से हो रहा है या निजी उपयोग के हिसाब से हो रहा है। अमित शाह ने सवाल कियाकि सैकड़ों साल पहले किसी बादशाह की दान की गई संपत्ति को 12 हजार रुपए के मासिक किराये पर पांच सितारा होटल बनाने केलिए देना कहांतक उचित है? उन्होंने कहाकि वह पैसा ग़रीब मुसलमानों, तलाकशुदा महिलाओं, अनाथ बच्चों, बेरोज़गार मुसलमानों की भलाई और उन्हें हुनरमंद बनाने केलिए किया जाना चाहिए।
अमित शाह ने कहाकि वक्फ के पास लाखों करोड़ों रुपए की भूमि है, लेकिन आय सिर्फ 126 करोड़ रुपए है। गृहमंत्री ने कहाकि जब 2013 का संशोधन विधेयक पेश किया था, उस समय सरकार में रहे वरिष्ठ नेताओं ने वक्फ की संपत्ति की लूट-खसोट रोकने केलिए कड़े कानून बनाने और दोषियों को सलाखों के पीछे भेजने की वकालत की थी। अमित शाह ने कहाकि मौजूदा विधेयक से पारदर्शी ऑडिट हो सकेगा। उन्होंने कहाकि विपक्ष ने अपने संशोधन में लिखा थाकि वक्फ बोर्ड के ऑडर को कोर्ट में चैलेंज नहीं कर सकते, लेकिन सच यह हैकि इसे अदालत में चुनौती देने का प्रावधान है। उन्होंने कहाकि यह विधेयक पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू नहीं होगा, लेकिन विपक्ष मुस्लिमों को डरा रहा है। अमित शाह ने वक्फ विधेयक में जिला कलेक्टर की भूमिका पर कहाकि देश में जब किसी मंदिर केलिए जमीन खरीदनी होती है तो कलेक्टर ही यह तय करता हैकि जमीन का मालिकाना हक किसके पास है। उन्होंने सवाल कियाकि फिर वक्फ की भूमि की जांच कलेक्टर के किए जाने पर आपत्ति क्यों है? गृहमंत्री ने कहाकि वक्फ की भूमि सरकारी है या नहीं, इसे कलेक्टर ही सत्यापित कर सकता है। उन्होंने कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार का स्पष्ट सिद्धांत हैकि वोट बैंक केलिए हम कोई कानून नहीं लाएंगे, क्योंकि कानून न्याय और लोगों के कल्याण केलिए होता है। उन्होंने उल्लेख कियाकि इसी सदन में मोदी सरकार महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का कानून लाई और पिछड़ों को संवैधानिक अधिकार दिया गया। उन्होंने कहाकि सबको अपने धर्म का अनुसरण करने का अधिकार है, लेकिन लोभ, लालच और भय से धर्म परिवर्तन नहीं कराया जा सकता।
अमित शाह ने कहाकि वक्फ बिल पर हमने संयुक्त समिति बनाई, 38 बैठकें हुईं, 113 घंटे चर्चा हुई और 284 हितधारक बनाए गए, इन सबसे देशभर से लगभग एक करोड़ ऑनलाइन सुझाव आए, जिनकी मीमांसा कर यह कानून बनाया गया और इसे खारिज नहीं कर सकते। उन्होंने कहाकि सदन में हर सदस्य बोलने केलिए स्वतंत्र है, यहां किसी एक परिवार की नहीं चलती है, सांसद जनता के नुमाइंदे हैं, किसीकी कृपा से नहीं आए हैं और वे जनता की आवाज़ को रखेंगे। गृहमंत्री ने कहाकि यह भारत सरकार का कानून है, जो सबपर बाध्य है और सभीको इसे स्वीकारना होगा। उन्होंने कहाकि 1913 से 2013 तक वक्फ बोर्ड की कुल भूमि 18 लाख एकड़ थी, जिसमें 2013 से 2025 केबीच 21 लाख एकड़ भूमि और बढ़ गई, इस 39 लाख एकड़ भूमि में 21 लाख एकड़ भूमि 2013 केबाद की है। अमित शाह ने कहाकि लीज़ पर दी गई संपत्तियां 20 हज़ार थीं, लेकिन रिकॉर्ड के हिसाब से 2025 में ये संपत्तियां शून्य हो गईं, ये संपत्तियां बेच दी गईं। गृहमंत्री ने कहाकि पारदर्शिता लाने केलिए वक़्फ अधिनियम में सूचना देने की प्रक्रिया को शामिल किया गया है, वक़्फ की संपत्ति घोषित करने के अधिकार को समाप्त कर दिया गया है, अब इसे कलेक्टर से सत्यापित करवाना होगा, इसके साथही नए वक़्फ का पारदर्शी तरीक़े से पंजीकरण भी करवाना होगा। उन्होंने कहाकि अब मुस्लिम भी वक़्फ ट्रस्ट एक्ट के अंतर्गत अपना ट्रस्ट रजिस्टर करवा सकते हैं, इसके लिए वक़्फ क़ानून जरूरी नहीं है।