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नवकार महामंत्र एक आत्मिक प्रकाश-मोदी

पीएम ने नवकार महामंत्र पर आध्यात्मिक अनुभव साझा किए

दिल्ली में नवकार महामंत्र दिवस कार्यक्रम का उद्घाटन किया

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Wednesday 9 April 2025 05:18:49 PM

pm narendra modi at navkar mahamantra day program

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज विज्ञान भवन नई दिल्ली में नवकार महामंत्र दिवस का उद्घाटन करते हुए नवकार मंत्र के गहन आध्यात्मिक अनुभव साझा किए और मन में शांति एवं स्थिरता लाने की इसकी क्षमता पर गहन चर्चा की। प्रधानमंत्री ने कहाकि नवकार मंत्र शब्दों और विचारों से परे है, उन्होंने नवकार मंत्र के महत्व और इसके पवित्र छंदों का पाठ मंत्र की ऊर्जा का एकीकृत प्रवाह बताया। प्रधानमंत्री ने कहाकि यह स्थिरता, सम्भाव, चेतना एवं आंतरिक प्रकाश की सामंजस्यपूर्ण लय का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने बेंगलुरु में इसी तरहके कई वर्ष पहले के सामूहिक जाप कार्यक्रम की स्मृति साझा की, जिसने उनके जीवन पर एक अमिट छाप छोड़ी। प्रधानमंत्री ने देश विदेश में लाखों करोड़ों पुण्य आत्माओं के एकीकृत चेतना में एकसाथ आने के अद्वितीय अनुभव काभी उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि गुजरात की हर गली में जैन धर्म का प्रभाव स्पष्ट है और उन्हें छोटी उम्र से ही जैन आचार्यों की संगति में रहने का सौभाग्य मिला है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि अरिहंत, जिन्होंने केवल ज्ञान प्राप्त किया है, वह भव्य जीवों का मार्गदर्शन करते हैं, 12 दिव्य गुणों को धारण करते हैं, जबकि सिद्ध, जिन्होंने आठ कर्मों से मुक्त होते हुए मोक्ष प्राप्त किया है, वह आठ शुद्ध गुणों से युक्त हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आचार्य, महाव्रत का पालन करते हैं और पथ प्रदर्शक के रूपमें कार्य करते हैं, जो 36 गुणों को अपनाते हैं, जबकि उपाध्याय मोक्ष मार्ग का ज्ञान देते हैं, जो 25 गुणों से समृद्ध होता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि साधु, तपस्या से स्वयं को परिष्कृत करते हैं और मोक्ष के मार्ग की ओर अग्रसर होते हैं, जिसमें 27 महान गुण होते हैं। उन्होंने पूज्य प्राणियों से जुड़ी आध्यात्मिक गहराई और गुणों पर भी चर्चा की। प्रधानमंत्री ने कहाकि नवकार मंत्र का पाठ करते समय 108 दिव्य गुणों को नमन किया जाता है और मानव कल्याण का स्मरण किया जाता है। उन्होंने कहाकि यह मंत्र हमें याद दिलाता हैकि ज्ञान और कर्म ही जीवन की सच्ची दिशाएं हैं, गुरु मार्गदर्शक प्रकाश के रूपमें है और मार्ग अपने भीतर से ही निकलता है। उन्होंने नवकार मंत्र की शिक्षाओं पर कहाकि यह आत्मविश्वास और व्यक्ति की स्वयं की यात्रा के शुभारंभ को प्रेरित करती हैं। उन्होंने कहाकि असली शत्रु स्वयं के भीतर है, इसलिए नकारात्मक विचार, अविश्वास, शत्रुता और स्वार्थ पर विजय प्राप्त करना ही वास्तविक विजय है। उन्होंने कहाकि जैनधर्म व्यक्तियों को बाहरी दुनिया के बजाय स्वयं पर विजय प्राप्त करने केलिए प्रेरित करता है, आत्मविजय व्यक्ति को अरिहंत बनाती है, नवकार मंत्र एक ऐसा मार्ग है, जो व्यक्ति को भीतर से शुद्ध करता है और उसे सद्भाव की ओर ले जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि नवकार मंत्र मानव ध्यान, अभ्यास और आत्मशुद्धि का मंत्र है, यह पहले मौखिक रूपसे फिर शिलालेखों के माध्यम से और अंतमें प्राकृत पांडुलिपियों के रूपमें मानवता का मार्गदर्शन कर रहा है। उन्होंने कहाकि नवकार मंत्र पंच परमेष्ठी की वंदना केसाथ सही ज्ञान, धारणा और आचरण का प्रतीक है, जो मुक्ति का मार्ग है। प्रधानमंत्री ने भारतीय संस्कृति में 9 अंक के विशेष महत्व का उल्लेख किया। उन्होंने जैनधर्म में 9 अंक की प्रमुखता के बारेमें विस्तार से बताया, नवकार मंत्र 9 तत्वों और 9 गुणों का उल्लेख किया, साथही 9 कोष, 9 द्वार, 9 ग्रह, दुर्गा के 9 रूप और नवधा भक्ति में इसकी उपस्थिति का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि मंत्रों का दोहराव चाहे 9 बार हो या 9 के गुणकों में जैसे 27, 54 या 108 संख्या 9 द्वारा दर्शाई गई पूर्णता का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने समझायाकि संख्या नौ केवल गणित नहीं, बल्कि एक दर्शन है, क्योंकि यह पूर्णता का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने कहाकि पूर्णता प्राप्त करने केबाद मन और बुद्धि स्थिर हो जाती है और प्रत्येक इच्छा से मुक्त होकर ऊपर उठती है। उन्होंने कहाकि प्रगति केबाद भी व्यक्ति अपने सार में निहित रहता है और यही नवकार मंत्र का सार है। प्रधानमंत्री ने लालकिले से अपने बयान को दोहराया, जिसमें उन्होंने कहा थाकि विकसित भारत प्रगति और विरासत दोनों का प्रतीक है, एक ऐसा राष्ट्र जो न तो रुकेगा और न ही लड़खड़ाएगा, नई ऊंचाइयों को छुएगा, फिरभी अपनी परंपराओं में निहित रहेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीर्थंकरों की शिक्षाओं के संरक्षण पर बल दिया। भगवान महावीर के 2550वें निर्वाण महोत्सव के राष्ट्रव्यापी उत्सव का स्मरण करते हुए उन्होंने विदेशों से तीर्थंकरों सहित प्राचीन मूर्तियों की वापसी का उल्लेख किया और गर्व केसाथ साझा कियाकि हाल के वर्ष में विदेशों से 20 से अधिक तीर्थंकरों की मूर्तियां भारत वापस लाई गई हैं। उन्होंने भारत की पहचान को आकार देने में जैन धर्म की अद्वितीय भूमिका का उल्लेख किया। भारत के नए संसद भवन को लोकतंत्र के मंदिर की संज्ञा देते हुए उन्होंने जैन धर्म के स्पष्ट प्रभाव की ओर संकेत किया। उन्होंने शार्दुल गेट प्रवेश द्वार पर स्थापत्य कला दीर्घा में सम्मेद शिखर के चित्रण, लोकसभा के प्रवेश द्वार पर ऑस्ट्रेलिया से वापिस लाई गई तीर्थंकर की मूर्ति, संविधान दीर्घा की छत पर भगवान महावीर की भव्य पेंटिंग और दक्षिण भवन की दीवार पर सभी 24 तीर्थंकरों के एकसाथ चित्रण प्राचीन आगम शास्त्रों में निहित जैन धर्म की गहन परिभाषाओं जैसे वत्थु सहवो धम्मो, चरितं खलु धम्मो, और जीवना रक्खनम धम्मो का उल्लेख किया।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि जैन साहित्य भारत की बौद्धिक विरासत का आधार है और इस ज्ञान को संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने प्राकृत और पाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए कहाकि इससे जैन साहित्य पर और अधिक शोध हो सकेगा। उन्होंने कहाकि भाषा को संरक्षित करने से ज्ञान का अस्तित्व बना रहता है और भाषा का विस्तार करने से ज्ञान का विकास होता है। प्रधानमंत्री ने भारत में सदियों पुरानी जैन पांडुलिपियों के अस्तित्व का उल्लेख किया और प्रत्येक पृष्ठ को इतिहास का दर्पण और ज्ञान का सागर बताते हुए गहन जैन शिक्षाओं का उद्धरण दिया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण ग्रंथों के धीरे-धीरे लुप्त होने पर चिंता व्यक्त करते हुए इस वर्षके बजट में घोषित ज्ञान भारतम मिशन के शुभारंभ का उल्लेख किया। उन्होंने देशभर में लाखों पांडुलिपियों का सर्वेक्षण करने और प्राचीन विरासत को डिजिटल बनाने की योजना साझा की, जिससे प्राचीनता को आधुनिकता से जोड़ा जा सके। उन्होंने इस पहल को 'अमृत संकल्प' बताया। प्रधानमंत्री ने कहाकि नया भारत आध्यात्मिकता केसाथ विश्व का मार्गदर्शन करते हुए एआई के माध्यम से संभावनाओं की खोज करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि जैन धर्म वैज्ञानिक और संवेदनशील दोनों है, यह अपने मूल सिद्धांतों के माध्यम से युद्ध, आतंकवाद और पर्यावरण संबंधी मुद्दों जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहाकि जैन परंपरा का प्रतीक जिसमें ‘परस्परोपग्रहो जीवनम्’ कहा जाता है, सभी जीवों की परस्पर निर्भरता पर जोर देता है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, आपसी सद्भाव और शांति के गहन संदेश के रूपमें जैन धर्म की अहिंसा केप्रति प्रतिबद्धता चाहे वह सबसे सूक्ष्म स्तरपर ही क्यों न हो को रेखांकित किया। उन्होंने जैन धर्म के पांच प्रमुख सिद्धांतों को स्वीकार करते हुए आजके युगमें अनेकांतवाद के दर्शन की प्रासंगिकता पर बल दिया। उन्होंने कहाकि अनेकांतवाद में विश्वास युद्ध और संघर्ष की स्थितियों को रोकता है, दूसरों की भावनाओं और दृष्टिकोणों की समझ को बढ़ावा देता है। उन्होंने दुनिया को अनेकांतवाद के दर्शन को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। भारत में दुनिया का भरोसा गहरा रहा है, भारत के प्रयास और परिणाम प्रेरणास्रोत बन रहे हैं, नरेंद्र मोदी ने कहाकि वैश्विक संस्थाएं अब भारत की ओर देख रही हैं, क्योंकि इसकी प्रगति ने दूसरों केलिए मार्ग खोले हैं। उन्होंने इसे जैन दर्शन ‘परस्परोपग्रहो जीवनम्’ से जोड़ा, जिसमें इस बातपर जोर दिया गया हैकि जीवन परस्पर सहयोग पर आधारित है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि इस दृष्टिकोण ने भारत से वैश्विक उम्मीदें बढ़ा दी हैं। जलवायु परिवर्तन के ज्वलंत मुद्दे को उन्होंने व्यवस्थित जीवन शैली और समाधान के रूपमें पहचाना और भारत की मिशन लाइफ़ की शुरुआत का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि जैन समुदाय सदियों से सादगी, संयम और स्थिरता के सिद्धांतों पर रहा है। जैन अपरिग्रह के सिद्धांत का उल्लेख करते हुए उन्होंने इन मूल्यों को व्यापक रूपसे विस्तारित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सभीसे चाहे वे किसीभी स्थान पर हों मिशन लाइफ़ के ध्वजवाहक बनने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज की सूचना की दुनिया में ज्ञान प्रचुर मात्रा में है, लेकिन ज्ञान के बिना इसमें गहराई नहीं है। उन्होंने कहाकि जैन धर्म सही मार्ग तलाशने केलिए ज्ञान और बुद्धि केबीच संतुलन सिखाता है। उन्होंने युवाओं केलिए इस संतुलन के महत्व पर प्रकाश डाला, जहां प्रौद्योगिकी को मानवीय स्पर्श से पूरित किया जाना चाहिए और कौशल को आत्मा केसाथ जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहाकि नवकार महामंत्र नई पीढ़ी केलिए ज्ञान और दिशा के स्रोत के रूपमें कार्य कर सकता है। उन्होंने सामूहिक नवकार मंत्र के जाप केबाद सभीसे नौ संकल्प लेने का आग्रह किया, इनमें पहला संकल्प 'जल संरक्षण' था। उन्होंने बुद्धि सागर महाराज के शब्दों को याद किया, जिन्होंने 100 साल पहले भविष्यवाणी की थीकि पानी दुकानों में बेचा जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पानी की हर बूंद का महत्व समझने और उसे बचाने की आवश्यकता पर जोर दिया और दूसरा संकल्प 'एक पेड़ मां के नाम पर लगाने' को कहा। उन्होंने गुजरात में 24 तीर्थंकरों से संबंधित 24 पेड़ लगाने के अपने प्रयासों का भी स्मरण किया। हर गली मोहल्ले और शहर में स्वच्छता के महत्व पर नरेंद्र मोदी ने तीसरे संकल्प के रूपमें 'स्वच्छता मिशन' का उल्लेख किया। 'वोकल फॉर लोकल' चौथा संकल्प है, उन्होंने स्थानीय रूपसे निर्मित उत्पादों को बढ़ावा देने, उन्हें वैश्विक बनाने और समर्थन करने केलिए प्रोत्साहित किया, जिनमें भारतीय मिट्टी और श्रमिकों के पसीने की खुशबू है। पांचवां संकल्प 'भारत की खोज' है, उन्होंने लोगों से विदेश यात्रा करने से पहले भारत के विविध राज्यों, संस्कृतियों और क्षेत्रों का पता लगाने का आग्रह किया, देश के हर कोने की विशिष्टता और मूल्य पर बल दिया। 'प्राकृतिक खेती को अपनाना' छठा संकल्प है, प्रधानमंत्री ने जैन सिद्धांत का उल्लेख कियाकि एक जीव को दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए और धरती माता को रसायनों से मुक्त करने, किसानों का समर्थन करने और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने सातवें संकल्प के रूपमें 'स्वस्थ जीवनशैली' का प्रस्ताव रखा और बाजरा सहित भारतीय आहार परंपराओं की वापसी, तेल की खपत को 10 प्रतिशत कम करने और संयम एवं नियम के माध्यम से स्वास्थ्य बनाए रखने का समर्थन किया।
नरेंद्र मोदी ने आठवें संकल्प के रूपमें 'योग और खेल को शामिल करना' प्रस्तावित किया और शारीरिक स्वास्थ्य एवं मानसिक शांति सुनिश्चित करने केलिए योग और खेल को घर, काम, स्कूल या पार्क कहीं भी दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने पर जोर दिया। हाथ थामकर या थाली भरकर जैसेभी हो वंचितों की सहायता करने के महत्व का उल्लेख करते हुए उन्होंने सेवा के सच्चे सार के रूपमें 'गरीबों की सहायता' को नौवें और अंतिम संकल्प के रूपमें प्रस्तावित किया। उन्होंने कहाकि ये संकल्प जैनधर्म के सिद्धांतों और एक स्थायी व सामंजस्यपूर्ण भविष्य के दृष्टिकोण से सामंजस्य रखते हैं। उन्होंने कहाकि ये नौ संकल्प व्यक्तियों में नई ऊर्जा भरेंगे और युवा पीढ़ी को नई दिशा प्रदान करेंगे, इनके कार्यांवयन से समाज में शांति, सद्भाव और करुणा को बढ़ावा मिलेगा। जैनधर्म में रत्नत्रय, दसलक्षण, सोलह करण और पर्युषण जैसे त्यौहार शामिल हैं उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि ये आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। नरेंद्र मोदी ने विश्वास व्यक्त कियाकि विश्व नवकार मंत्र दिवस वैश्विक स्तरपर सुख, शांति और समृद्धि को निरंतर बढ़ाएगा। उन्होंने इस आयोजन केलिए सभी संप्रदायों के एकसाथ आने पर संतोष व्यक्त करते हुए इसे एकता का प्रतीक बताते हुए देशभर में एकता के संदेश को फैलाने के महत्व पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने कहाकि जो कोईभी ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाता है, उसे गले लगाना चाहिए और उससे जुड़ना चाहिए, क्योंकि यह ऊर्जा एक विकसित भारत की आधारशिला को मजबूत करती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में विभिन्न स्थानों पर प्राप्त होरहे गुरु भगवंतों के आशीर्वाद केलिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस वैश्विक आयोजन केलिए जैन समुदाय को अपना सम्मान व्यक्त किया। उन्होंने आचार्य भगवंतों, मुनि महाराजों, श्रावक-श्राविकाओं और देश विदेश से इसमें भाग लेनेवाले सभी लोगों को अपना नमन किया। उन्होंने इस ऐतिहासिक आयोजन केलिए जेआईटीओ को उनके प्रयासों के लिए बधाई दी और गुजरात के गृहमंत्री हर्ष संघवी, जेआईटीओ के शीर्ष अध्यक्ष पृथ्वीराज कोठारी, अध्यक्ष विजय भंडारी, जेआईटीओ अधिकारियों एवं दुनियाभर से आए गणमान्य लोगों की उपस्थिति को स्वीकार करते हुए इसकी सफलता केलिए अपनी शुभकामनाएं दीं। गौरतलब हैकि नवकार महामंत्र दिवस आध्यात्मिक सद्भाव और नैतिक चेतना का एक महत्वपूर्ण उत्सव है, यह जैनधर्म में सबसे अधिक पूजनीय और सार्वभौमिक मंत्र नवकार महामंत्र के सामूहिक जाप से लोगों को एकजुट करने का प्रयास करता है। अहिंसा, विनम्रता और आध्यात्मिक उत्थान के सिद्धांतों पर आधारित यह मंत्र प्रबुद्ध व्यक्तियों के गुणों को श्रद्धांजलि देता है और आंतरिक परिवर्तन को प्रेरित करता है। यह दिवस सभी को आत्मशुद्धि, सहिष्णुता और सामूहिक कल्याण के मूल्यों पर चिंतन केलिए प्रोत्साहित करता है।

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