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Tuesday 19 April 2016 03:51:48 PM
न्यूयार्क/ नई दिल्ली। भारत के वित्तमंत्री अरुण जेटली ने न्यूयार्क में कहा है कि दो वर्ष पहले की स्थिति की तुलना में एवं वर्तमान वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत सभी मोर्चों पर विशेष रूप से मुख्य आर्थिक मानदंडों पर काफी अच्छा कर रहा है, फिर भी अभी और भी अच्छा करने की गुंजाइश है। वित्तमंत्री कल न्यूयार्क में सीआईआई एवं एशिया सोसायटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की ओर से आयोजित ‘मेक इन इंडिया: द न्यू डील’ सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। भारत में सुधारों की लम्बी श्रृंखला का जिक्र करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत में संरचनागत बदलाव प्रगति पर हैं, जो अर्थव्यवस्था एवं देश को विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं के समतुल्य मजबूत स्थिति में ला देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भारत नीतिगत अपंगता की स्थिति से विश्व में अब आर्थिक रूप से चमकदार स्थान की तरफ बढ़ गया है।
भारत के वित्तमंत्री अरुण जेटली ने विभिन्न क्षेत्रों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) को खोलने, कॉरपोरेट टैक्स दर में कमी, जीएसटी पर कदम आगे बढ़ाने, व्यवसाय करने की सुगमता जिससे कि कारोबारी लागत में कमी लाने में मदद मिल सके पर जोर के साथ सुधार प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाने तथा ब्याज दरों में कमी समेत विशेष रूप से प्रमुख सुधारों को उद्धृत किया। उन्होंने जिक्र किया कि ढांचागत विकास, विशेष रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग, सड़क, रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों आदि के लिए अन्य कदमों के अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों में ढांचागत विकास, सरकार समर्थित बंदरगाहों के विकास में भारी संसाधन आवंटन इन पूंजी सघन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों की प्रारम्भ करने में मदद करेंगे। अरुण जेटली ने देश में आर्थिक बुनियादी कारकों पर बोझ कम करने सब्सिडियों के विवेकीकरण और नवीकृत पर ज़ोर दिया।
अरुण जेटली ने कहा कि आखिरकार इन सभी कदमों का उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को मूल्य संवर्द्धित विनिर्माण पर केंद्रित करना है जो कि ‘मेक इन इंडिया’ के केंद्र बिंदु में है। उन्होंने यह भी बताया कि पहली बार भारत में सुधारों को लेकर दृष्टिकोण में बदलाव आ रहा है, जब एक बड़ा घटक सुधारों के पक्ष में है न कि इसके विरोध में। इसके अतिरिक्त वित्तमंत्री ने कहा कि राज्यों के बीच सृजनात्मक प्रतिस्पर्धा जैसे कारक एक बेहद सकारात्मक कारक हैं, जो घरेलू एवं निजी दोनों प्रकार की उद्यमियों में दिलचस्पी पैदा कर रहे हैं। इससे पूर्व सत्र के दौरान बोलते हुए वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत अब ज्यादा प्रतिस्पर्धी बन रहा है, ऐसा श्रम लागत की वजह से नहीं है, बल्कि पूंजी की कम लागत, निम्न करों एवं निम्न लॉजिस्टिक लागतों आदि की वजह से है।
भारतीय राजदूत अरुण कुमार सिंह ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि आर्थिक सुरक्षा एवं सामरिक साझेदारी भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों का एक अंतरंग हिस्सा बन गई है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भारत में अमेरिकी निवेश 28 बिलियन डॉलर के बराबर है और ठीक इसी प्रकार भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में 15 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, जिनमें 1 लाख से अधिक रोज़गारों का सृजन किया है। इस सम्मेलन की सह अध्यक्षता एशिया सोसायटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष केविन रूड्ड एवं सीआईआई के अध्यक्ष डॉ नौशाद फोर्ब्स ने की।