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Wednesday 11 May 2016 06:54:30 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि हमारा क्षेत्र विश्वभर में बच्चों की सबसे बड़ी आबादी का घर है, जो हमारे लिए गर्व की बात है और हम मानते हैं कि हमारी बेटियां और बेटे अमूल्य संसाधन हैं, बच्चे किसी तरह का बोझ नहीं, बल्कि अद्भुत संपत्ति हैं, उन्हें सम्मान, सुरक्षा और विशिष्ट ध्यान चाहिए। गृहमंत्री ने बच्चों पर होने वाली हिंसा को समाप्त करने के लिए आज नई दिल्ली में दक्षिण एशिया पहल की चौथी मंत्रीस्तरीय बैठक को संबोधित किया। राजनाथ सिंह ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा, सम्मान और कल्याण से ही सार्क देशों की भलाई और मजबूती का निर्धारण होगा। उन्होंने कहा कि किसी भी समाज की भलाई के लिए बच्चों की सुरक्षा आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारत अपनी प्राथमिकता वाले दो प्रमुख विषयों-बच्चों के कल्याण तथा दक्षिण एशियाई देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत बनाने पर दृढ़ संकल्प है।
गृहमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि यदि हमें विश्व में सही स्थान पर पहुंचना है और युद्ध के खिलाफ वास्तविक युद्ध लड़ना है तो इसकी शुरूआत बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा से करनी होगी, यदि बच्चे स्वाभाविक भोलेपन के साथ बड़े होंगे तो हमें संघर्ष नहीं करना पड़ेगा, हमें बेकार के प्रस्ताव नहीं लाने पड़ेंगे, जब तक विश्व का हर कोना शांति और प्यार से भर नहीं जाता, तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे, पूरी दुनिया इसी शांति और प्यार के लिए चेतन और अचेतन रूप में भूखी है। राजनाथ सिंह ने कहा कि हमें अपने बच्चों की देखभाल सामूहिक प्रयास और दायित्व के साथ करनी होगी, अर्थशास्त्रियों की भाषा में निवेश और संपत्ति पर बल हो सकता है, लेकिन हमारा भविष्य केवल धन और संपदा पर नहीं टिका है, हमारा भविष्य अपने लोगों, अपने बच्चों पर निर्भर है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ ने तीस वर्ष पहले बच्चों के महत्व को स्वीकार करते हुए इसे अपने सम्मेलन के कार्यक्रम में शामिल किया था, जोकि ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने कहा कि एसएआईईवीएसी एक विशेष शीर्ष संस्था है, जिसे सार्क ने बनाया है, यह हमारे बच्चों पर होने वाली हिंसा, दुर्व्यहार और उनकी अनदेखी के विरुद्ध हमारा संकल्प है। गृहमंत्री ने कहा कि कोई भी देश बच्चों को प्राथमिकता दिए बगैर प्रगति नहीं कर सकता, हमारे देशों की मजबूती हमारे बच्चों की सुरक्षा, उनके सम्मान और उनके कल्याण से तय होगी। उन्होंने कहा कि सितंबर 2015 में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा में सतत विकास का जो लक्ष्य तय किया गया, उसमें बच्चों के अधिकारों और उन्हें सभी प्रकार की हिंसा से सुरक्षित करने का विशेष लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि बाल सुरक्षा के संकेतकों पर पहली बार पूरी दुनिया नज़र रखेगी।
गृहमंत्री ने कहा कि बच्चे एक सामान श्रेणी के नहीं होते और उनके भोलेपन में परिवर्तन सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति, लिंग, अपंगता और भौगोलिक स्थान पर आधारित होता है, आज की दुनिया में बच्चों के लिए अनेक चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास के बावजूद एक बहुत बड़ी आबादी है, जो ग़रीबी में रह रही है, यह आबादी वंचित है, इससे बच्चों के जीवन, स्वास्थ्य तथा उनके समग्र विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि हम सभी के लिए बच्चों की तस्करी प्रमुख चुनौती है, सूचना प्रौद्योगिकी तक बढ़ती पहुंच के साथ और वैश्विक अर्थव्यवस्था के बदलते स्वरूप से बच्चों के लिए नए खतरे उत्पन्न हो रहे हैं, इन खतरों में सेक्स पर्यटन, कामोत्तेजक चित्र हमारे बच्चों के लिए ऑनलाइन खतरे हैं, साथ-साथ बड़ी संख्या में बच्चे जलवायु में तेजी से हो रहे परिवर्तन, आपदाओं तथा तनाव के कारण भी प्रभावित होते हैं। गृहमंत्री ने कहा कि हम यह निरंतर महसूस कर रहे हैं कि बच्चों और उनके परिवारों को सामाजिक सुरक्षा नेटवर्क दिए बगैर बच्चों की सुरक्षा के प्रति हम संकल्पबद्ध नहीं हो सकते हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि हम बच्चों के लिए सुरक्षात्मक माहौल सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं, बच्चों सहित सभी नागरिकों को आधार-यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर से जोड़कर सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया जा रहा है, इससे नागरिक बिना किसी बाधा के अपनी पात्रता तक पहुंच बना सकते हैं। गृहमंत्री ने कहा कि हमने राष्ट्रीय पोर्टल-ट्रैक चाइल्ड स्थापित किया है, इसमें न केवल लापता बच्चों के बारे विवरण है, बल्कि पाए गए बच्चों की प्रगति का लाइव डाटा बेस भी है। गृहमंत्री ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है, इसके लिए अभिभावक, शिक्षक, बच्चे तथा समुदाय को एक साथ मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि हम बड़ी संख्या में बच्चों को बचाने तथा उन्हें उनके परिवारों को सौंपने में सफल हुए हैं।
गृहमंत्री ने बताया कि पुलिस, महिला तथा बाल विकास मंत्रालय, जिला प्रशासन, सिविल सोसायटी संगठन तथा समुदाय की ओर से शुरू किए गए ऑपरेशन स्माइल के माध्यम से भी बच्चों को सुरक्षात्मक माहौल दिया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वर्ष पहले महिला तथा बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत लड़कियों की सुरक्षा के लिए ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ योजना लांच की हुई है, इसका उद्देश्य लड़कियों का जीवन, सुरक्षा, शिक्षा तथा सशक्तीकरण सुनिश्चित करना है। गृहमंत्री ने कहा कि सार्क के सभी देशों की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों की स्थिति में सुधार लाएं। उन्होंने कहा कि एसएआईईवीएसी बच्चों की सुरक्षा लक्ष्य को हासिल करने की क्षेत्रीय संकल्प की पुष्टि करता है। उन्होंने बच्चों की सुरक्षा के लिए मजबूत साझेदारी की दिशा में भारत का संकल्प दोहराया।