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Thursday 26 May 2016 01:13:55 AM
बीजिंग/ नई दिल्ली। भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चीन यात्रा के दौरान भारतीय समुदाय और भारत-चीन व्यापार मंच के कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा है कि चीन को लेकर भारत की नीति सहयोग के क्षेत्रों का विस्तार करना, मतभेदों को कम करना है। उन्होंने कहा कि निरंतर होने वाली द्विपक्षीय यात्राएं दो महान देशों के बीच संबंधों के विस्तार को दर्शाती हैं। उन्होंने कहा कि सन् 1990 के बाद द्विपक्षीय संबंधों में अभूतपूर्व प्रगति हुई है, दोनों देशों के बीच व्यापार वर्ष 2000 के 2.9 अरब डॉलर की तुलना में बढ़कर 71 अरब डॉलर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच व्यापार में वृद्धि, निवेश और आपसी आर्थिक सहयोग की अपार संभावनाएं हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और चीन बहुपक्षीय मंचों पर करीब से एक दूसरे के साथ सहयोग कर रहे हैं, डब्ल्यूटीओ के संस्थापक सदस्य भारत ने पहले दिन से ही चीन की सदस्यता का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि विश्व व्यापार संगठन में भारत का तर्क है कि इतनी विशाल आबादी वाले चीन को डब्ल्यूटीओ से बाहर रखना गलत है, भारत और चीन दोनों ही जी-20 के संस्थापक सदस्य हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि उभरती हुई सबसे उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के रूप में भारत और चीन दुनिया के विकास के लिए अहम योगदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर भारत और चीन की 2.5 अरब आबादी साथ आती है और साथ चलती है, तो यह एक महान घटना होगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि व्यापार में तीव्र सहयोग, निवेश, विकास के अनुभव, अभ्यास एवं सहयोग के सभी क्षेत्रों को साझा करना शांति, विकास एवं समृद्धि की सबसे बड़े गारंटी है, यह दोनों देशों की प्रगति के मार्ग को प्रशस्त करेगी। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारतीय समुदाय के लोग उस देश में भारत के अनौपचारिक राजदूत हैं, जहां वे रह रहे हैं, उनके दिल में हर समय कहीं न कहीं भारत रहता है, भारत को अपने प्रवासी भारतीयों पर गर्व है। राष्ट्रपति ने करोड़ों भारतीयों के जीवन को बदलने के लिए चल रहे विशाल कार्य में सहयोग करने के लिए प्रवासी भारतीय समुदाय को आमंत्रित किया।
प्रणब मुखर्जी ने चीन के ग्वांगझू में भारत-चीन व्यापार मंच के कार्यक्रम में कहा कि भारत का मानना है कि हमारे दोनों देशों के बीच आर्थिक और वाणिज्यिक सहयोग की काफी संभावनाएं हैं, क्योंकि दोनों देश समान अवसर और चुनौतियों से दो चार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में हमारे संबंधों की स्थिरता इन अवसरों के उपयोग और साथ आने के लिए एक आधार उपलब्ध कराती है, हमारी आर्थिक साझेदारी की पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिए यह जरूरी है कि हमारे व्यापारिक समुदायों के बीच की खाई को पाटा जाए। उन्होंने कहा कि भारत, चीन से अधिक निवेश के लिए अनुकूल माहौल उपलब्ध कराने को प्रतिबद्ध है, हम भारत और चीन के बीच विभिन्न क्षेत्रों में उद्योग एवं व्यापार को अधिक सहयोग देने के लिए तैयार खड़े हैं। उन्होंने चीन के निवेशकों को भारत की विकास गाथा में शामिल होने के लिए आमंत्रित भी किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत एक युवा राष्ट्र है, हमारा प्राथमिक लक्ष्य एक आधुनिक अर्थव्यवस्था का निर्माण करना है, जो सतत विकास के लिए जरूरी है, हम तेजी से इस उद्देश्य की ओर बढ़ रहे हैं और हमारे देश में एक सामाजिक-आर्थिक बदलाव आकार ले रहा है, हमारे लिए चीन की आर्थिक उपलब्धियां प्रेरणा स्रोत रही हैं। उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि दो तरफा व्यापार और निवेश की ओर बढ़ने से भारत और चीन को इसका पारस्परिक लाभ मिलेगा, हम भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और अन्य प्रमुख पहलों में शामिल होने के लिए चीनी निवेशकों और उद्यमियों का स्वागत करते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत यह प्रयास करेगा कि उसके यहां चीनी निवेशकों का निवेश लाभकारी साबित हो, हमें भारत और चीन की अर्थव्यवस्थाओं के विकास के अवसर का लाभ उठाना चाहिए।