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Saturday 4 June 2016 05:35:42 AM
हेरत/ नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज अफगानिस्तान पहुंचने पर जोरदार स्वागत हुआ है। यह स्वागत एशिया की ऐसी घटना है, जो कम से कम पाकिस्तान और चीन के लिए काफी परेशान करने वाली है। नरेंद्र मोदी ऐसे वक्त पर अफगानिस्तान पहुंचे हैं, जब हाल ही में ईरान, अफगानिस्तान और भारत के बीच चाबहार बंदरगाह समझौता हुआ है, जिस पर पाकिस्तान और चीन खासे तिलमिलाए और बौखलाए हुए हैं। ऐसे में पाकिस्तान की स्थिति एक हताशा में बौखलाए देश की है, जो इस समझौते के कारण इन तीनों देशों से कट गया है। ईरान, अफगानिस्तान और भारत को जो गैस और तेल पाइपलाइन जानी है, उसमें पाकिस्तान का कोई दखल नहीं रह गया है, इस कारण पाकिस्तान के टीवी चैनलों पर वहां के बुद्धिजीवियों, सेना के जनरलों, आर्थिक, राजनीतिक और कूटनीतिक विशेषज्ञों में कोहराम मचा है और वे इस मामले में भारत की बड़ी कामयाबी मानते हुए नरेंद्र मोदी को एशिया की सुपर पावर मान रहे हैं। बहरहाल नरेंद्र मोदी 8 जून 2016 तक अफगानिस्तान, कतर, स्विट्जरलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका और मैक्सिको की यात्रा पर हैं। उन्होंने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ हेरात में अफगानिस्तान-भारत मैत्री सलमा बांध का उद्घाटन किया और कहा कि यह बांध हमारी मैत्री का प्रतीक है और ये हमारी उम्मीदों को आगे बढ़ाने के अलावा अफगानिस्तान के घरों को रोशन करेगा, हेरात के उपजाऊ खेतों को हरा-भरा करेगा और इस क्षेत्र के लोगों के लिए रोज़गार और समृद्धि लाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन देशों की यात्रा पर रवाना होते हुए फेसबुक पर अपनी पोस्टों में कहा है कि आज से शुरू होने वाली अपनी अफगानिस्तान यात्रा को लेकर मैं बहुत उत्सुक हूं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि आने वाले समय में अफगानिस्तान से द्विपक्षीय सहयोग के लिए क्षेत्रीय स्थिति और एजेंडा तय करने के बारे में विचारों के आदान-प्रदान का उत्सुक हूं। उन्होंने कहा कि मैं 5 जून को अमीर ऑफ कतर के निमंत्रण पर कतर का दौरा करूंगा, जहां मैं शेख तमीम से मुलाकात के लिए भी उत्सुक हूं, जिनकी पिछले साल की गई भारत की ऐतिहासिक यात्रा ने हमारे संबंधों को नए आयाम दिए हैं। उन्होंने कहा कि मुझे फादर अमीर से मिलने का भी सम्मान हासिल होगा, जिन्होंने व्यक्तिगत रूप से पिछले दो दशकों से हमारे संबंधों का मार्गदर्शन किया है, यह यात्रा हमारी मित्रता के ऐतिहासिक बंधन में प्रगाढ़ता लाएगी, जिसकी जड़ें लोगों के आपसी संपर्कों, ऊर्जा, व्यापार और निवेश भागीदारी में निहित हैं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं श्रमिक शिविर में भारतीय कामगारों से और कुछ सदस्यों से भी बातचीत करूंगा, वहां 6 लाख से ज्यादा भारतीय अपने पसीने और मेहनत से हमारे आपसी संबंधों को पाल-पोस रहे हैं। व्यापार और निवेश सहयोग की पूरी क्षमताओं को इस्तेमाल करने के लिए मैं कतर के व्यापार जगत के दिग्गजों से भी बातचीत करूंगा।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि यूरोप में हमारे प्रमुख भागीदार स्विट्जरलैंड में द्विपक्षीय यात्रा पर मैं 5 जून की शाम को जिनेवा पहुंच जाऊंगा, हमारे द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को प्रगाढ़ बनाने के लिए मैं राष्ट्रपति श्नाइडर एम्मान के साथ बातचीत करूंगा, जिनेवा में मैं प्रमुख कारोबारियों से मिलूंगा, आर्थिक और निवेश संबंधों का विस्तार हमारा एजेंडा होगा। उन्होंने कहा कि मैं सीईआरएन में काम कर रहे भारतीय वैज्ञानिकों से मुलाकात करूंगा, मानवता की सेवा में विज्ञान की नई क्षेत्रों की खोज में उनके योगदान पर भारत को गर्व है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं राष्ट्रपति बराक ओबामा के निमंत्रण पर द्विपक्षीय यात्रा पर 6 जून की शाम को वाशिंगटन डीसी जाऊंगा, राष्ट्रपति के साथ 7 जून को एक बैठक में हम विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सामरिक भागीदारी में नए जोश और गति उपलब्ध कराने में अर्जित प्रगति को बनाए रखने के बारे में बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा कि मैं यूएसआईबीसी की 40वीं एजीएम को संबोधित करूंगा और अमेरिकी व्यापार जगत के दिग्गजों से मुलाकात करूंगा, जिन्होंने पिछले दो वर्ष के दौरान भारत में नया विश्वास दिखाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं अमेरिकी विचारकों के साथ अपने विचारों का आदान-प्रदान करूंगा और भारतीय प्राचीन वस्तुओं की वापसी के संबंध में आयोजित समारोह में भाग लूंगा।
नरेंद्र मोदी ने बताया कि आर्लिंग्टन कब्रिस्तान की अपनी यात्रा के दौरान मैं अज्ञात सैनिक के मकबरे पर और अंतरिक्ष शटल कोलंबिया मेमोरियल पर, जिसमें हमने भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला को खो दिया है, पर पुष्पांजलि अर्पित करूंगा। उन्होंने कहा कि मैं 8 जून को अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित करूंगा, कांग्रेसजनों और सीनेटरों के बीच अपनी बात रखने के लिए आमंत्रण हेतु मैं अध्यक्ष पॉल रयान का धन्यवाद देता हूं। उन्होंने बताया कि अमेरिका की राजधानी की अपनी यात्रा के दौरान 8 जून को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्ज और सीनेट के सदस्यों के साथ बातचीत करूंगा, अधिकांश सदस्य भारत के महत्वपूर्ण मित्र हैं और भारत-अमेरिका संबंधों की प्रगाढ़ता के मजबूत पैरोकार हैं। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका स्वाभाविक भागीदार हैं, दो जीवंत लोकतंत्र हैं, जो अपनी विविधता और बहुलवाद का जश्न मना रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत-अमेरिका के मजबूत संबंधों से न केवल हमारे दोनों देशों को लाभ होगा, बल्कि इससे पूरी दुनिया को भी फायदा होगा। उन्होंने कहा कि मैं लैटिन अमेरिकी क्षेत्र में विशेषाधिकार प्राप्त भागीदार मेक्सिको की अपनी यात्रा के दौरान 8 जून को राष्ट्रपति पेना नीटो से मिलने के लिए उत्सुक हूं, राष्ट्रपति पेना नीटो ने दूरगामी सुधारों की शुरुआत की है, मैं उनसे अपने अनुभवों को साझा करने के लिए उत्सुक हूं।
गौरतलब है कि 30 वर्ष के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की मैक्सिको की यह पहली द्विपक्षीय यात्रा है, हालांकि यह यात्रा छोटी है, लेकिन इसका एजेंडा बहुत महत्वपूर्ण है, जो हमारी भागीदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी विदेश यात्राओं में उन देशों भारत के महत्व का जो एहसास कराया है, वह पिछले दशकों में कभी महसूस नहीं किया गया है। पाकिस्तान या चीन की यही सबसे बड़ी चिंता है कि इन दो वर्ष में भारत की दुनिया में ताकत तस्लीम की जा रही है और इसके पीछे नरेंद्र मोदी का विज़न है, जो पूर्ण बहुमत के साथ भारत के प्रधानमंत्री हैं। अफगानिस्तान में नरेंद्र मोदी का जोरदार स्वागत पाकिस्तान के गले नहीं उतर रहा है और पाकिस्तानी मीडिया चैनलों पर डिबेट में लोग नरेंद्र मोदी की तारीफ करने को मजबूर हैं। टीवी डिबेट में पाकिस्तानी हुक्मरानों की जमकर आलोचना हो रही है, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि उनके कारण आज पाकिस्तान दुनिया से अलग-थलग पड़ चुका है।
सलमा बांध बहुउद्देशीय परियोजना
अफगानिस्तान में अफगान-भारत मैत्री बांध सलमा बांध का निष्पादन और कार्यांवयन भारत सरकार के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के अधीन उपक्रम डब्ल्यूएपीसीओएस लिमिटेड ने किया है। अफगान-भारत मैत्री बांध एक बहुउद्देशीय परियोजना है, जिसका मकसद अफगानिस्तान के लोगों के लिए 42 मेगावाट क्षमता का बिजली उत्पादन, 75000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई, जल आपूर्ति और अन्य लाभ उपलब्ध कराना है। माना जा रहा है कि भारत सरकार का अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में चिश्ते-ए-शरीफ नदी पर सलमा बांध का निर्माण अफगानिस्तान के लिए बुनियादी ढांचा साबित होगा। यह परियोजना हेरात शहर से 165 किलोमीटर पूर्व में स्थित है जो कच्ची सड़क से जुड़ा हुआ है। सुरक्षा कारणों की वजह से इस परियोजना से जुड़े सभी भारतीय इंजीनियरों और तकनीशियनों के दल को अफगानिस्तान सरकार के हेलीकॉप्टर से महीने में एक बार साइट पर पहुंचाया जाता है।
सलमा बांध के लिए भारत से सभी उपकरण और सामग्री समुद्र मार्ग से ईरान के बांदर-ए-अब्बास बंदरगाह तक भेजी गई है, जिसके बाद उसे 1200 किलोमीटर सड़क मार्ग से ईरान-अफगानिस्तान सीमा पर स्थित इस्लाम किला सीमा चौकी ले जाया गया और फिर सीमा चौकी से आगे 300 किलोमाटर कार्यस्थल पर पहुंचाया गया। अफगानिस्तान ने सीमेंट, इस्पात, विस्फोटक आदि सामग्री का पड़ोसी देशों से आयात किया है। बांध की सकल क्षमता 633 मिलियन मीट्रिक टन है, बांध की ऊंचाई 104.3 मीट्रिक टन, लंबाई 540 मीट्रिक टन और सतह की चौड़ाई 450 मीट्रिक टन है। यह परियोजना भारत सरकार की वित्त पोषित है। परियोजना बहुत कठिन परिस्थितियों में 1500 भारतीय और अफगानी इंजीनियरों और अन्य पेशेवरों के कई वर्ष की कड़ी मेहनत का परिणाम है।