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Thursday 9 June 2016 06:14:44 AM
वाशिंगटन डीसी/ नई दिल्ली। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राज्य अमेरिका में अमरीकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित किया और दुनियाभर के देशों का आह्वान किया कि वे मानवता की भलाई के लिए ऐसी नीति बनाएं जिससे कोई भी आतंकवाद को शरण न देने पाए और सब एक दूसरे की समृद्धि के साझीदार बनें। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि भारत के पड़ौस में आतंकवाद पनप रहा है। अमरीकी कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गंभीरता, गर्मजोशी और विश्वास के साथ सुना। नरेंद्र मोदी के सभी विषयों पर तर्क ऐसे अकाट्य थे कि अमरीकी कांग्रेस के सदस्य बार-बार तालियां बजा रहे थे। वे भारत के साथ खड़े नज़र आए। नरेंद्र मोदी के संबोधन के बाद अमरीकी सदस्य उनसे गर्मजोशी से मिले। प्रधानमंत्री के संबोधन ने अमरीका पर एक विशिष्ट छाप छोड़ी है, जिसका भविष्य में भारत-अमरीका संबंधों पर दोस्ताना असर दिखेगा। प्रधानमंत्री ने बिना नाम लिए जिस प्रकार पाकिस्तान को अलग-थलग किया, उससे पाकिस्तान और उसका मित्र चीन फिर बौखलाया है। बहरहाल नरेंद्र मोदी ने अमरीकी कांग्रेस में यह विश्वास पैदा करने में सफलता पाई है कि भारत वैश्विक लीडर बनने की ओर बढ़ रहा है। अमरीकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक में अपने ऐतिहासिक संबोधन की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त बैठक को संबोधित करने का निमंत्रण देने के लिए अमेरिकी कांग्रेस को धन्यवाद से की और कहा कि उनके लिए इस भव्य कैपीटोल के द्वार खोलने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका सभा के स्पीकर पॉल रयान का भी बहुत-बहुत धन्यवाद, जिससे वह अपने को काफी सम्मानित महसूस कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमरीकी कांग्रेस के सदस्यों से अपने को जोड़ते हुए कहा कि लोकतंत्र के इस मंदिर ने विश्वभर में अन्य लोकतंत्रों को प्रोत्साहित किया है एवं उन्हें सशक्त बनाया है। उन्होंने कहा कि यह इस महान देश की भावना को अभिव्यक्त करता है, जो अब्राहम लिंकन के शब्दों में स्वतंत्रता में परिकल्पित हुई थी और इस अवधारणा के प्रति समर्पित हुई थी कि सभी व्यक्ति समान हैं। उन्होंने कहा कि यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत और इसके 1.25 अरब लोगों का सम्मान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रतिनिधि के रूप में उनका सौभाग्य है कि दुनिया के सबसे प्राचीन लोकतंत्र के नेताओं को वह संबोधित कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने कहा किदो दिन पहले उन्होंने आरलिंगटन राष्ट्रीय सेमेटरी से यात्रा शुरू की थी, जहां इस महान भूमि के अनेक वीर जवानों की समाधि है, मैं उनके साहस और आजादी एवं लोकतंत्र के आदर्शों के लिए उनके बलिदान का सम्मान करता हूं, यह इस निर्णायक दिवस की 72वीं वर्षगांठ है, उस दिन इस महान देश के हजारों जवानों ने स्वतंत्रता की लौ को जलाए रखने के लिए उस सुदूर भूमि के तटों पर जंग लड़ी थी, जिसे वे जानते तक नहीं थे, उन्होंने अपने जीवन का बलिदान किया, ताकि दुनिया आजादी की सांस लेती रहे। नरेंद्र मोदी ने कहा कि आजादी की इस भूमि और वीर जवानों के इस देश के पुरुषों एवं महिलाओं के मानवता की सेवा के लिए दिए गए महान बलिदान की मैं सराहना करता हूं, भारत सराहना करता है। उन्होंने कहा कि भारत यह जानता है कि इसका क्या मतलब है, क्योंकि हमारे सैनिकों ने भी इन्हीं आदर्शों के लिए सुदूर स्थित युद्ध भूमि पर अपने जीवन का बलिदान किया है, यही कारण है कि स्वतंत्रता एवं आजादी के धागों से हमारे दो लोकतंत्र मजबूत बंधन में बंधे हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे इन दोनों राष्ट्रों का इतिहास, संस्कृति एवं आस्थाएं भले ही अलग-अलग हों, लेकिन लोकतंत्र में हमारी आस्था और हमारे देशवासियों की आजादी इन दोनों राष्ट्रों के लिए एकसमान हैं, सभी नागरिक समान हैं, यह अनुपम विचार भले ही अमेरिकी संविधान का केंद्रीय आधार हो, लेकिन हमारे संस्थापक भी इसी विश्वास को साझा करते थे और वे भारत के प्रत्येक नागरिक की व्यक्तिगत आजादी चाहते थे। नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक नव स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में हमने जब लोकतंत्र में अपनी आस्था व्यक्त की थी तो ऐसे अनेक लोग थे, जिन्होंने भारत को लेकर संशय व्यक्त किया था, निश्चित रूप से हमारी विफलता पर दांव लगाए गए थे, लेकिन भारत की जनता कतई नहीं डगमगाई, हमारे संस्थापकों ने एक आधुनिक राष्ट्र का सृजन किया, जिसकी अंतरात्मा का सार आजादी, लोकतंत्र और समानता था और ऐसा करते समय उन्होंने यह सुनिश्चित किया था कि हम अपनी युगों पुरानी विविधता का निरंतर उत्सव मनाते रहें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज अपनी समस्त सड़कों एवं संस्थानों, गांवों एवं शहरों, सभी आस्थाओं के प्रति समान सम्मान और अपनी सैकड़ों भाषाओं और बोलियों के माधुर्य के लिहाज से भारत एकजुट है, भारत एक ही देश के रूप में आगे बढ़ रहा है, भारत एक ही देश के रूप में उत्सव मना रहा है।
हमारी साझेदारी समुद्र से आसमान तक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आधुनिक भारत अपने 70वें वर्ष में चल रहा है, भारत के लिए उसका संविधान ही वास्तविक पवित्र ग्रंथ है और उस पवित्र ग्रंथ में किसी की चाहे जैसी भी पृष्ठभूमि रही हो या हो, सभी नागरिकों को समान रूप से विश्वास की आजादी के साथ बोलने, उनके मताधिकार और समानता के अधिकार को मौलिक अधिकारों के रूप में प्रतिस्थापित किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे 800 मिलियन देशवासी हरेक पांच वर्ष पर अपने मताधिकार के अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन हमारे सभी 1.25 बिलियन नागरिकों को भय से स्वतंत्रता प्राप्त है, जिसका उपयोग वे अपने जीवन के हर क्षण में करते हैं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के बीच भागीदारी उस प्रकार से दृष्टिगोचर होती है, जिसमें हमारे चिंतकों ने एक-दूसरे को प्रभावित किया है और हमारे समाजों की धाराओं को आकार दिया है, नागरिक असहयोग के थोरोस के विचार ने हमारे राजनीतिक विचारों को प्रभावित किया है और इसी प्रकार भारत के महान संत स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में मानवता को अंगीकार करने का सर्वाधिक विख्यात आह्वान किया था। उन्होंने उल्लेख किया कि गांधीजी के अहिंसा के सिद्धांत ने मार्टिन लूथर के साहस को प्रेरित किया, आज टाइडल बेसिन में स्थित मार्टिन लूथर किंग स्मारक स्थल, मैसऐचूसैटस एवेन्यू में गांधीजी की प्रतिमा से केवल तीन मील की दूरी पर स्थित है, वाशिंगटन में उनके स्मारक स्थलों के बीच की यह निकटता उन आदर्शों और मूल्यों की प्रगाढ़ता को प्रतिबिंबित करती है, जिनमें उन्हें विश्वास था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि डॉ बीआर अंबेडकर की प्रतिभा का परिपोषण एक सदी पहले उन वर्षों में ही किया गया था, जो उन्होंने कोलम्बिया यूनिवर्सिटी में व्यतीत किए थे, उन पर अमेरिकी संविधान का प्रभाव, लगभग तीन दशक बाद भारतीय संविधान के आलेखन में प्रतिबिंबित हुआ, हमारी स्वतंत्रता भी उसी आदर्शवाद से प्रज्वलित हुई, जिसने स्वतंत्रता के लिए आपके संघर्ष को प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं कि भारत के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत और अमरीका को ‘स्वभाविक मित्र’ करार दिया था, इसमें कोई संदेह नहीं कि आजादी के साझा आदर्शों और समान दर्शन ने ही हमारे रिश्तों को आकार दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हमारे संबंधों को 21वीं शताब्दी की विशिष्ट साझेदारी करार दिया है। उन्होंने कहा कि 15 वर्ष पहले भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी यहीं खड़े हुए थे और उन्होंने भी अतीत के ‘हिचकिचाहट के साए’ से बाहर निकलने की अपील की थी, तब से हमारी मित्रता के पृष्ठ एक उल्लेखनीय कहानी सुनाते हैं, आज हमारे संबंध इतिहास की हिचकिचाहटों से उबर चुके हैं, आराम, स्पष्टवादिता और अभिसरण हमारे संभाषणों को परिभाषित करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनावों के चक्र और प्रशासनों के परिवर्तनकाल के जरिए हमारे संबंधों की प्रगाढ़ता और बढ़ी ही है और इस रोमांचक यात्रा में अमेरिकी कांग्रेस ने इसके कम्पास की तरह कार्य किया है, आपने हमें बाधाओं को साझेदारी के सेतुओं के रूप में बदलने में सहायता की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2008 में जब कांग्रेस ने भारत-अमेरिका नागरिक नाभिकीय सहयोग समझौते को पारित किया, तो इसने हमारे संबंधों के रंगों को ही परिवर्तित कर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम आपको वहां उस वक्त खड़े रहने के लिए धन्यवाद देते हैं, जब साझेदारी को आपकी सबसे अधिक आवश्यकता थी, आप दु:ख के क्षणों में भी हमेशा हमारे साथ खड़े रहे हैं। उन्होंने मुंबई पर हमले का जिक्र किया और कहा कि भारत कभी भी अमेरिकी कांग्रेस की उस एकजुटता को नहीं भूलेगा, जब हमारी सीमा के पार के आतंकवादियों ने नवंबर 2008 में मुंबई पर हमला किया था। नरेंद्र मोदी ने कहा कि अमेरिकी कांग्रेस का काम करने का तरीका बेहद सद्भावपूर्ण है, मुझे बताया गया कि आप लोग अपने द्विदलीय व्यवस्था के लिए जाने जाते हैं, इस तरह की व्यवस्था को मानने वाले आप लोग अकेले नहीं हैं, पहले भी और आज भी मैंने देखा है कि भारतीय संसद में भी इसी तरह का उत्साह रहता है, खासतौर से ऊपरी सदन में हमारी परंपराएं काफी मिलती-जुलती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हर यात्रा का एक पथप्रदर्शक होता है, पुराने नेताओं ने काफी कम समय में विकास की एक साझेदारी तैयार की है, वो भी तब, जबकि हमारे बीच इतनी मुलाकातें नहीं होती थीं।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि नॉर्मन बोरलॉग जैसे प्रतिभावान व्यक्ति भारत में हरित क्रांति और खाद्य क्रांति ले आए। अमेरिकी विश्वविद्यालयों की उत्क्रृष्ठता ने भारतीय तकनीकी और प्रबंधन संस्थाओं को काफी विकसित किया है, हम अपनी सहभागिता की इस गति को आज और तेज कर सकते हैं, हमारी साझेदारी की स्वीकार्यता पूरी तरह से हमारे लोगों की कोशिशों की वजह से संभव हुई है, हमारी साझेदारी समुद्र की गहराई से लेकर आसमान की ऊंचाई तक नज़र आती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा विज्ञान और तकनीकी सहयोग स्वास्थ्य, शिक्षा, खाद्य और कृषि के क्षेत्र की पुरानी समस्याओं को खत्म करने में लगातार सहयोग कर रहा है, वाणिज्य और निवेश के क्षेत्र में हमारी साझेदारी लगातार बढ़ रही है, हमारा अमेरिका के साथ व्यापार किसी भी दूसरे देश के मुकाबले ज्यादा है, हमारे बीच सामान, सेवाओं और पैसों का लेनदेन बढ़ने से दोनों तरफ नौकरियों के मौके बढ़ रहे हैं, जैसा व्यापार में है, वैसा ही रक्षा क्षेत्र में भी है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत का अमेरिका के साथ सैन्य सहयोग किसी भी दूसरे देश की अपेक्षा ज्यादा है, एक दशक से भी कम अवधि में हमारे रक्षा सामानों की खरीदारी करीब 0 से 10 अरब डॉलर तक पहुंच गई है। हमारे आपसी सहयोग से हमारे शहरों और वहां के नागरिकों की आतंकवादियों से रक्षा और आधारभूत संरचनाओं को साइबर खतरों से बचाव सुनिश्चित होता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे बीच असैन्य परमाणु सहयोग एक वास्तविकता है, दोनों देशों के लोगों के बीच संबंध बेहद मजबूत और करीबी रहे हैं। सीरी ने बताया कि भारत की प्राचीन धरोहर योगा का अमेरिका में 30 मिलियन लोग अभ्यास कर रहे हैं, अनुमान के मुताबिक अमेरिका में योगा के लिए झुकने वालों की संख्या कर्व बॉल के लिए झुकने वालों से भी ज्यादा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमने योगा पर कोई प्रज्ञात्मक संपत्ति अधिकार नहीं लगाया है, हमारे 30 लाख भारतीय अमेरिकी दोनों देशों को जोड़ने के लिए एक अद्वितीय और सक्रिय सेतु का काम करते हैं, आज वो अमेरिका के बेहतरीन सीईओ, शिक्षाविद, अंतरिक्षयात्री, वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री, चिकित्सक और यहां तक की अंग्रेजी वर्तनी की प्रतियोगिता के चैंपियन भी हैं, ये लोग आपकी ताकत हैं, ये लोग भारत की शान भी हैं, ये लोग हमारे दोनों समाजों के प्रतिनिधि की तरह हैं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस महान देश के बारे में मेरी समझ सार्वजनिक जीवन में आने से काफी पहले ही विकसित हो गई थी, पदभार ग्रहण करने से बहुत पहले ही मैं, तट से तट होते हुए 25 से अधिक अमेरिकी राज्य घूम चूका हूं, तब मुझे अहसास हुआ कि अमेरिका की असली ताकत इस देश के लोगों के राष्ट्रवाद, इसके सपनो में और उनकी आकांक्षाओं में है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज वही ज़ज्बा भारत में भी दिख रहा है, करीब 800 मिलियन युवा जोकि खासकर बेसब्र हैं, भारत में एक बहुत बड़ा सामाजिक-आर्थिक बदलाब आ रहा है, करोड़ों भारतीय पहले से ही राजनीतिक तौर पर समर्थ हैं, मेरा सपना उन्हें सामाजिक-आर्थिक बदलाव द्वारा आर्थिक रूप से सक्षम करने का है।
मजबूत भारत अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण
नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2022 में भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ है, मेरी कार्यसूची लंबी और महत्वाकांक्षी है, जिसे आप समझ सकते हैं, इसमें शामिल है एक विस्तृत ग्रामीण अर्थव्यवस्था, जिसमें सुदृढ़ कृषि क्षेत्र है, सभी नागरिकों के लिए एक घर और बिजली की व्यवस्था, हमारे लाखों युवाओं को कौशल प्रदान करना, सौ स्मार्ट शहरों का निर्माण, एक अरब लोगों को इंटरनेट मुहैया कराना और गांवों को डिजिटल दुनिया से जोड़ना, 21वीं सदी के मुताबिक रेल, सड़क और पोत की आधारभूत संरचना तैयार करना, ये महज हमारी मह्त्वाकांक्षा नहीं हैं, बल्कि इन्हें एक तय समय में पूरा करना हमारा लक्ष्य है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के आगे बढ़ने की इन सभी योजनाओं में मैं अमेरिका को एक अनिवार्य सहयोगी की तरह देखता हूं, आप सब में से भी ज्यादातर लोग ये मानते हैं कि मजबूत और संपन्न भारत का होना अमेरिका के सामरिक हितों दृष्टि से महत्वपूर्ण है, इसलिए आइए दोनों मिलकर एक दूसरे के आदर्शों को साझा कर व्यावहारिक सहयोग की दिशा में आगे बढ़ें, इस बात में कोई संदेह नहीं कि इस रिश्ते की मजबूती से दोनों देशों को कई स्तरों पर फायदा पहुंचेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अमेरिकी व्यापार जगत को उत्पादन और निर्माण के लिए आर्थिक विकास के नए क्षेत्रों, वस्तुओं के लिए नए बाजार, कुशल कामगार और वैश्विक जगहों की तलाश है, भारत उसका आदर्श सहयोगी हो सकता है, भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और 7.6 प्रतिशत प्रतिवर्ष की विकास दर हमारे आपसी समृद्धि के नए अवसर प्रदान कर रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में परिवर्तनकारी अमेरिकी प्रौद्योगिकियों और भारतीय कंपनियों की ओर से संयुक्त राज्य अमेरिका में बढ़ रहे निवेश का दोनों ही देशों के नागरिकों के जीवन पर सकारात्मक असर पड़ रहा है, आज अपने वैश्विक अनुसंधान और विकास केंद्रों के लिए भारत ही अमेरिकी कंपनियों का पसंदीदा गंतव्य है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत से पूर्व की ओर देखने पर प्रशांत के पार हमारे दोनों देशों की नवाचार क्षमता कैलिफोर्निया में आकर एक साथ मिलती है, यहां अमेरिका की अभिनव प्रतिभा और भारत की बौद्धिक रचनात्मकता भविष्य के नए उद्योगों को आकार देने का काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी अपने साथ महान अवसर लेकर आई है, हालांकि यह अपने साथ खुद से जुड़ी अनेकानेक चुनौतियां भी लेकर आई है, परस्पर निर्भरता बढ़ रही है, लेकिन जहां एक ओर दुनिया के कुछ हिस्से बढ़ती आर्थिक समृद्धि के द्वीप हैं, वहीं दूसरी ओर अन्य हिस्से संघर्षों से घिर गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एशिया में किसी आपसी सहमति वाली सुरक्षा संरचना का अभाव अनिश्चितता पैदा करता है, आतंक के खतरे बढ़ते जा रहे हैं, नई चुनौतियां साइबर एवं बाहरी अंतरिक्ष में उभर रही हैं और 20वीं सदी में परिकल्पित वैश्विक संस्थान नई चुनौतियों से निपटने या नई जिम्मेदारियां लेने में असमर्थ नज़र आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अनेकानेक बदलावों एवं आर्थिक अवसरों, बढ़ती अनिश्चितताओं और राजनीतिक जटिलताओं, मौजूदा खतरों और नई चुनौतियों की इस दुनिया में हम वचनबद्धता को बढ़ावा देकर अहम फर्क ला सकते हैं, भारत हिंद महासागर क्षेत्र को सुरक्षित रखने संबंधी अपनी जिम्मेदारियां पहले से ही संभाल रहा है।
भारत के पड़ोस में आतंकवाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक मजबूत भारत-अमेरिकी साझेदारी एशिया से लेकर अफ्रीका तक और हिंद महासागर से लेकर प्रशांत क्षेत्र तक में शांति, समृद्धि और स्थिरता ला सकती है, यह वाणिज्य के समुद्री मार्गों की सुरक्षा और समुद्र पर नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने में भी मदद कर सकती है, लेकिन हमारे सहयोग की प्रभावशीलता में वृद्धि तभी होगी जब 20वीं सदी की मानसिकता के साथ तैयार अंतरराष्ट्रीय संस्थान आज की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वाशिंगटन डीसी आने से पहले मैं पश्चिमी अफगानिस्तान स्थित हेरात गया था, जहां मैंने अफगान-इंडिया फ्रेंडशिप डैम (अफगान-भारत मित्रता बांध) का शुभारंभ किया, यह पनबिजली परियोजना 42 मेगावाट क्षमता की है, जिसे भारत के सहयोग से बनाया गया है, मैं बीते साल क्रिसमस पर भी वहां गया था और वहां की संसद को राष्ट्र को समर्पित किया, यह हमारे लोकतांत्रिक संबंधों का प्रमाण है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान ने स्वाभाविक तौर पर अमेरिका के बलिदान को मान्यता दी है, जिससे उनके जीवन को बेहतर बनाने में मदद मिली है, हालांकि क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए किए गए अमरीका के अंशदान को इससे आगे तक सराहा गया है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ने भी अफगान लोगों के साथ अपनी मित्रता को समर्थन देने के लिए खासा योगदान और बलिदान किया है, एक शांतिपूर्ण और स्थिर व संपन्न अफगानिस्तान का निर्माण करना हमारा साझा उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि अभी तक न सिर्फ अफगानिस्तान के लिए, बल्कि दक्षिण एशिया में कहीं भी और वैश्विक स्तर पर भी आतंकवाद बड़ा खतरा बना हुआ है, पश्चिमी भारत से अफ्रीका की सीमा तक के क्षेत्र में इसके लश्कर-ए-तैय्यबा, तालिबान, आईएसआईएस तक विभिन्न नाम हैं, लेकिन इनके लक्ष्य समान हैं-घृणा, हत्या, आतंक और हिंसा। प्रधानमंत्री ने कहा कि भले ही इसकी छाया पूरी दुनिया में है, लेकिन यह भारत के पड़ोस में पनप रहा है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं अमेरिकी कांग्रेस की इस बात के लिए प्रशंसा करता हूं कि वह राजनीतिक लाभ के लिए धर्म और आतंकवाद का इस्तेमाल करने वालों को कड़ा संदेश दे रही है, उनको पुरस्कृत करने से मना करना, उनके कार्यों के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराने की दिशा में पहला कदम है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई कई स्तरों पर लड़ी जानी है, सेना, गुप्तचर सेवा या सिर्फ कूटनीति के दम पर यह लड़ाई जीतना संभव नहीं होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने इसके खिलाफ लड़ाई में अपने नागरिक और सैनिकों का बलिदान किया है, हमारे सुरक्षा सहयोग को मजबूत बनाना वक्त की जरूरत है और ऐसी नीति बनाई जाए, जो ऐसे लोगों को अलग-थलग करती हो, जो आतंकवाद को शरण, सहयोग और प्रायोजित करते रहे हैं और करते हैं। उन्होंने कहा कि वह नीति अच्छे और बुरे आतंकवाद के बीच फर्क नहीं करती हो, जो धर्म और आतंकवाद को अलग रखे, हमें इसमें सफल बनाए कि जो मानवता में विश्वास करते हैं, वो सब इस से लड़ने के लिए एकसाथ आएं और इस बुराई के खिलाफ एक सुर में बोलें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आतंकवाद को गैरवैधानिक बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी साझेदारी के फायदे अन्य देशों और क्षेत्रों को मिलें, जिनको आपदाओं के समय मानवीय राहत की जरूरत होती है जिन्होंने अन्य वैश्विक चुनौतियों का समाना किया है, हमारे देश से मीलों दूर हमने यमन से हजारों भारतीयों, अमरीकियों और अन्य देशों के लोगों को बाहर निकाला था, हमारे पड़ोस में नेपाल में भूकंप, मालदीव में जल संकट और हाल ही में श्रीलंका में भूस्खलन के समय राहत पहुंचाने वाला भारत पहला देश था, भारत संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना कार्यक्रम में सैनिकों को भेजने वाले देशों में से सबसे बड़ा देश भी है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत में हमारे लिए धरती मां के साथ सौहार्दपूर्वक रहना हमारी प्राचीन मान्यता है और प्रकृति से केवल जरूरत की चीजों को ग्रहण करना हमारी सभ्यता का नैतिक मूल्य है, इसलिए हमारी साझेदारी का लक्ष्य क्षमताओं के साथ जिम्मेदारियों को संतुलित करना है और यह नवीकरणीय ऊर्जा की उपलब्धता और उसके प्रयोग को बढ़ाने की दिशा में भी केंद्रित है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को बनाने की हमारी पहल को अमेरिका का पुरजोर समर्थन एक प्रयास है, हम न सिर्फ हमारे बेहतर भविष्य के लिए एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं, बल्कि हम पूरे विश्व के बेहतर भविष्य के लिए काम कर रहे हैं, जी-20, पूर्वी एशिया सम्मेलन और जलवायु परिवर्तन सम्मेलनों में यह हमारे प्रयासों का लक्ष्य रहा है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे हमारी साझेदारी घनिष्ठ बनेगी उस दौरान ऐसा भी समय आएगा, जब हमारे विचार अलग-अलग होंगे, लेकिन हमारे हित और चिंताएं एक समान होने के कारण, निर्णय लेने की प्रक्रिया में स्वायत्ता और हमारे दृष्टिकोणों में विविधता हमारी साझेदारी के लिए उपयोगी साबित होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम एक नई यात्रा की शुरूआत करने जा रहे हैं और नए लक्ष्य बना रहे हैं, इसलिए हमारा ध्यान न सिर्फ रोज़मर्रा के मामलों पर होना चाहिए, बल्कि रूपांतरकारी विचारों पर भी होना चाहिए, जिन विचारों पर ध्यान दिया जा सकता है, उनमें हमारे समाजों के लिए सिर्फ धन-दौलत और संपदा न बनाकर नैतिक मूल्यों का भी निर्माण किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें सिर्फ तात्कालिक लाभ के लिए कार्य नहीं करना, बल्कि दीर्घकालिक फायदों के लिए भी विचार करना चाहिए, हमें न सिर्फ अच्छी कार्यप्रणाली के लिए काम करना है, बल्कि साझेदारी को बढ़ाने पर भी विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें न सिर्फ हमारे लोगों के अच्छे भविष्य के लिए सोचना चाहिए, बल्कि हमें अधिक संयुक्त, एकजुट मानवीय और समृद्ध विश्व के सेतु के रूप में कार्य करना चाहिए और हमारी नई साझेदारी की सफलता के लिए सबसे जरूरी बात यह है कि हम इसे एक नए दृष्टिकोण और संवेदना से देखें, ऐसा करने से हम इस असाधारण रिश्ते के वादों को महसूस कर सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे संबंधों का मुख्य उद्देश्य शानदार और प्रभावशाली भविष्य का निर्माण करना है।