स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Sunday 12 August 2018 06:23:41 PM
लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस 12 अगस्त पर लखनऊ के स्वेच्छिक संगठन अमलतास और उसकी सहयोगी संस्थाओं ने सरकारी स्तर पर युवाओं के विकास के दावे पेश करते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश में 4.6 करोड़ युवाओं के लिए बनी युवा नीति-2016 निराशाजनक और खस्ताहाल है, इसपर आजतक कोई काम ही नहीं हुआ है। यूपी की युवा नीति के प्रभावी क्रियांवयन हेतु अमलतास, युवा नीति क्रियांवयन नेटवर्क और यूएक्सेस पाई ने एक अभियान चलाया हुआ है। इन्होंने आज मीडिया को तत्संबंधी डाटा जारी किया और कहा कि उत्तर प्रदेश में वर्तमान में सेंसस 2011 के अनुसार 4.6 करोड़ युवा हैं, जो 15 से 24 साल के हैं, जिनके पूर्ण विकास एवं अधिकारों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार और समाज की है, मगर सरकार की ओर से उनके लिए घोषणाओं और दावों के अलावा कोई उल्लेखनीय कार्य दिखाई नहीं दे रहा है।
स्वेच्छिक संगठनों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में युवाओं की जनसंख्या का बड़ा भाग होने के बावजूद युवाओं के विकास और उनकी ऊर्जा के उपयोग की सुचारू रूपसे योजनाएं और कार्यक्रम नहीं हैं और जो हैं भी उनकी बहुसंख्यक युवाओं तक पहुंच नहीं हैं, वस्तुतः सरकार द्वारा संचालित कार्यक्रमों में उन युवाओं की सहभागिता बहुत कम है, इसलिए उत्तर प्रदेश में युवाओं के विकास की निगरानी और सुनवाई हेतु युवा आयोग की स्थापना की जाए। अमलतास का कहना है कि उत्तर प्रदेश में युवाओं की अनदेखी की स्थिति पर पहल के लिए 2007 से सहयोग और अन्य साथी संस्थाओं ने युवा कार्यक्रमों के माध्यम से एक युवा नीति की मांग करते हुए 35 जिलों के युवाओं के सुझावों और समर्थन के साथ उत्तर प्रदेश युवा नीति का ड्राफ्ट सरकार को सौंपा था। उल्लेखनीय है कि उस समय राज्य में समाजवादी पार्टी की अखिलेश यादव की सरकार थी। योगी सरकार में यह नीति अभी जस की तस है।
उप्र युवा नीति नेटवर्क और सहयोग के प्रयास के फलस्वरूप 2016 में उत्तर प्रदेश सरकार ने 14 से 35 वर्ष की युवा नीति की रूपरेखा तैयार कर राज्यपाल से स्वीकृत कराकर सम्बंधित विभागों को क्रियांवयन के लिए जारी भी कर दी। यह युवा नीति उत्तर प्रदेश सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध भी है। अमलतास के सचिव अजय शर्मा का कहना है कि यह युवा नीति दो साल से जस की तस है, अभी तक न तो इसकी समन्वय समिति का गठन किया गया है और न ही इसके लिए बजट आवंटित किया गया है, जिससे यह स्थापित होता है कि युवा नीति कागजी तौर पर तो लागू कर दी गई है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका कोई क्रियांवयन नहीं दिख रहा है, इसीलिए उत्तर प्रदेश में युवा आयोग की स्थापना की जाए। वरिष्ठ कार्यकर्ता संगीता ने इस युवा नीति के प्रभावी क्रियांवयन हेतु प्रदेश के 15 जिलों में अभियान की शुरूआत की है, जिसके द्वारा सरकार से इसके क्रियांवयन की मांग सरकार की जाएगी।
प्रेसवार्ता में डॉ अनुपम कुमार वर्मा ने कहा कि 2016 से आज तक युवा नीति से सम्बंधित कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है और न ही युवा कल्याण विभाग के साथ दूसरे विभाग अपनी वार्षिक कार्य योजना में युवा नीति का कोई संदर्भ ले रहे हैं। इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता केके शुक्ला, सहयोग संस्था से मनमीत भाटिया, अमलतास से वीरेंद्र त्रिपाठी एडवोकेट, वीडियो वालिंयटर से अंशुमान सिंह, माधुरी, इंसानी बिरादरी से आदियोग, डॉ जीएस पाहवा, मंदाकिनी राय एवं युवा और सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता उपस्थित थे। उत्तर प्रदेश सरकार से इनकी मांगें हैं-युवा नीति की समन्वय समिति का गठन किया जाए। युवा नीति में पर्याप्त बजट का प्राविधान किया जाए। युवा नीति के क्रियांवयन हेतु विभागों की जवाबदेही सुनिश्चित की जाए। युवा नीति को ठोस प्रारूप देने और युवाओं की सहभागिता हेतु युवा प्रतिनिधियों की कमेटी का गठन किया जाए और युवाओं के मुद्दों पर कार्य कर रहे स्वैच्छिक संगठनों को इसमें शामिल किया जाए। उत्तर प्रदेश में युवाओं के विकास की निगरानी और सुनवाई हेतु युवा आयोग की स्थापना की जाए।