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Wednesday 15 August 2018 12:55:46 PM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से यहां शास्त्री भवन में भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों ने भेंट की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रशासन व्यवस्था पर उनसे अपने विचार साझा करते हुए कहा कि आईएएस अधिकारी प्रशासनिक व्यवस्था की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं और विकास कार्यों के क्रियांवयन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी सदैव सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ कार्य करें, सकारात्मक दृष्टिकोण ही उनके लिए न केवल उनके सेवाकाल में बल्कि जीवन में भी उपयोगी सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी संवाद के माध्यम से जनता की समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों का लाभ जनता तक पहुंचे, इसके लिए जरूरी है कि प्रशासनिक अधिकारी तमाम विषयों और मुद्दों से भली-भांति परिचित हो, उसे अपने दायित्वों का भली प्रकार निर्वहन करने के लिए परिश्रमी और तेजी से फैसले लेने में भी सक्षम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विषयों का पारदर्शी तथा समयबद्ध निस्तारण किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने में भी प्रशासनिक अधिकारियों की प्रभावी भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी एक छोटी सी घटना भी बड़े विवाद का रूपले लेती है, उसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए और उसे प्रारम्भिक चरण में ही संवाद के माध्यम से निस्तारित कर लेना चाहिए। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक मुकुल सिंघल, उत्तर प्रदेश प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी के महानिदेशक कुमार अरविंद सिंह देव, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एसपी गोयल और कुछ वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे विशाल और विविधतापूर्ण राज्य में अधिकारियों को अपनी क्षमता और दक्षता दिखाने का अवसर मिला है और उन्हें आशा है कि वे बगैर किसी भेदभाव दबाव और पक्षपात के जनसंवाद के आधार पर कार्य करके, एक कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के रूपमें अपनी पहचान बनाने में सफल हो सकेंगे। मुख्यमंत्री ने नवनियुक्त अधिकारियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। ग़ौरतलब है कि पिछले दिनों दिल्ली में भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी राज्यों के आईएएस में पदोन्नति पाए प्रशिक्षु प्रशासनिक अधिकारियों को भेंट के दौरान इसी प्रकार सलाह दी थी। उन्होंने कहा था कि प्रशासनिक अधिकारी अपना आत्म अवलोकन करें। उन्होंने स्पष्टतौर उनकी जिम्मेदारियों और कार्यशैली को लेकर नसीहतें दी थीं। लोक सेवकों की कार्यप्रणाली को लेकर ऐसी निराशाजनक धारणाओं से तो ऐसा लगता है कि अपवाद को छोड़कर वास्तव में भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षण अथवा उनकी कार्यशैली या जींस में कोई न कोई बड़ा दोष है, जिसपर सभी तरफ से उंगलियां उठ रही हैं। यद्यपि इसके लिए सत्तासीन राजनेता भी कम दोषी नहीं माने जाते हैं, जो इनको अपनी उंगलियों पर नचाते हैं या इनकी उंगलियों पर नाचते हैं।
प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली की सतत समीक्षा में यह पाया जा चुका है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा में या देश की बाकी सेवाओं में चयनित हो जाने का यह मतलब यह कदापि नहीं है कि वह एक अच्छा और कुशल प्रशासक भी हो सकेगा। उदाहरणस्वरूप अपवाद को छोड़कर यह पाया गया है कि सरकार के अधिकांश सार्वजनिक उपक्रमों में इनका प्रबंधन नुकसानदायक और घटिया स्तर का रहा है, वे बंद हो गए। आखिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी घुमा फिराकर कहना पड़ा है कि प्रशासनिक अधिकारी सदैव सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ कार्य करें। ऐसे ही अनेक कारण हैं कि भारत सरकार ने देश के शीर्ष पदों पर इनके समानांतर निजी क्षेत्र की प्रतिभाओं के जरिये कुछ प्रयोग शुरू किए हैं और यदि ये प्रयोग सफल हुए तो भारतीय प्रशासनिक सेवा के लोगों की हर जगह उपयोगिता की दृष्टि से यह सबसे बुरा वक्त होगा, इसके बाद फिर राज्य सरकारें भी ऐसा कर सकती हैं।