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Saturday 8 September 2018 02:57:46 PM
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में 68,500 सहायक शिक्षकों की भर्ती परीक्षा में अनियमितताएं संज्ञान में आने पर उनकी जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित की है। यह समिति दोषियों का उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए सात दिन के अंदर अपनी आख्या प्रस्तुत करेगी। मुख्यमंत्री ने अनियमितताओं के लिए प्रथम दृष्टया दोषी पाई गईं सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी सुत्ता सिंह को तत्काल प्रभाव से निलम्बित करके उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। निलम्बन की अवधि में सुत्ता सिंह को निदेशक बेसिक शिक्षा के लखनऊ कार्यालय से सम्बद्ध किया गया है। मुख्यमंत्री ने बेसिक शिक्षा परिषद और सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी इलाहाबाद के रिक्त पदों पर अविलम्ब अधिकारियों की तैनाती किए जाने के भी निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के अनुपालन में शासन ने प्रमुख सचिव चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास संजय आर भूसरेड्डी की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की है। निदेशक सर्वशिक्षा अभियान वेदपति मिश्रा तथा निदेशक बेसिक शिक्षा सर्वेंद्र विक्रम सिंह को समिति का सदस्य नामित किया गया है। ज्ञातव्य है कि सहायक शिक्षकों की भर्ती परीक्षा प्रकरण में एक रिट याचिका संख्या 24172/2018 सोनिका देवी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य में उच्च न्यायालय ने यह संवीक्षण किया है कि इस परीक्षा के मूल्यांकन के समय अभ्यर्थी की उत्तर पुस्तिका ही बदल दी गई। इस सम्बंध में राज्य के महाधिवक्ता ने उच्च न्यायालय में यह आश्वासन दिया है कि शासनस्तर पर आवश्यक जांच कराने के पश्चात इसमें जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
सहायक शिक्षकों की भर्ती परीक्षा मूल्यांकन में अनियमितताएं चिन्हित होने के सबूत के तौरपर 23 ऐसे अभ्यर्थियों की सूची भी प्राप्त हुई है, जो अनक्वालिफाइड यानी कुपात्र थे, लेकिन उन्हें परीक्षा में क्वालीफाइड बताया गया है। संज्ञान में आने पर इन सभी की नियुक्तियां परिषद से रोक दी गई हैं। प्रथम दृष्टया परीक्षा के मूल्यांकन में तथा परिणाम घोषित होने में गंभीर अनियमितताएं परिलक्षित हुईं हैं, जिनमें और अधिक जांच की आवश्यकता है, ताकि सभी दोषियों के विरुद्ध एक्जेम्प्लरी कार्रवाई की जा सके। सरकार की ओर से बताया गया है कि प्रकरण में कार्रवाई की प्रभावी मिसाल स्थापित करते हुए वरिष्ठ स्तर पर जिम्मेदारी निर्धारित करने के लिए मुख्यमंत्री ने यह निर्णय लिए हैं। सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि बेसिक शिक्षा परिषद तथा सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी इलाहाबाद के रिक्त पदों पर तत्काल अधिकारियों की नियुक्ति किए जाने के मुख्यमंत्री के आदेश पर अपर शिक्षा निदेशक बेसिक शिक्षा निदेशालय लखनऊ रूबी सिंह को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद के पद पर तैनात किया गया है।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि इसी प्रकार बेसिक शिक्षा विभाग के निवर्तन पर ललिता प्रदीप को अपर शिक्षा निदेशक बेसिक शिक्षा निदेशालय लखनऊ तथा संयुक्त शिक्षा निदेशक मेरठ अनिल भूषण चतुर्वेदी को निदेशक राज्य विज्ञान संस्थान इलाहाबाद एवं सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी इलाहाबाद के पद पर तैनात किया गया है। रजिस्ट्रार विभागीय परीक्षाएं इलाहाबाद जीवेंद्र सिंह ऐरी को वरिष्ठ प्रवक्ता जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान कौशाम्बी तथा संयुक्त निदेशक सर्व शिक्षा अभियान लखनऊ अजय कुमार को रजिस्ट्रार विभागीय परीक्षाएं इलाहाबाद के पद पर तैनात किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। प्राचार्य जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान लखनऊ पवन सचान को संयुक्त निदेशक सर्व शिक्षा अभियान लखनऊ तथाउप निदेशक माध्यमिक शिक्षा निदेशालय इलाहाबाद भगवती सिंह को बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यों हेतु शासन से सम्बद्ध किया गया है।
गौरतलब है कि राज्य में 68,500 सहायक शिक्षकों की भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़े पर शिक्षामित्रों ने भी सवाल खड़े किए हैं और उन्होंने अपने आरोपों के पक्ष में अकाट्य तर्क पेश किए हैं। शिक्षक परीक्षा मूल्यांकन और उसकी कार्यप्रणाली में भ्रष्टाचार एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कई विभिन्न कथनों पर मुख्यमंत्री को एक महिला शिक्षामित्र की नसीहतें सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही है। यह शिक्षामित्र अपना नाम डॉ दीपशिखा बता रही है और संस्कृत में पीएचडी है। वीडियो में मुख्यमंत्री के सुशासन की खुलकर आलोचना करते हुए वह कह रही है कि शिक्षा विभाग की बार-बार बदलती नीतियों और भ्रष्टाचार के कारण ही उसका शिक्षक पद पर चयन नहीं हुआ है। डॉ दीपशिखा ने मुख्यमंत्री को उनके कथनों पर तथ्यों और नसीहतों की झड़ी लगा रखी है। वह प्रश्न कर रही है कि मुख्यमंत्री की बात को पत्थर की लकीर मानकर उसने क्या ग़लती की है? वह मुख्यमंत्री से कह रही है कि वे बार-बार अपने बयान से नहीं पलटें और मुख्यमंत्री पद की गरिमा को बनाए रखें। डॉ दीपशिखा ने आरोप लगाया कि उन्होंने सत्ताईस हजार बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया है। डॉ दीपशिखा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शिक्षामित्रों के सम्बंध में बयान का भी उल्लेख किया है और कहा है कि मुख्यमंत्री ने उनके बयान से भी खिलवाड़ किया है।
डॉ दीपशिखा बहुत आक्रोशित है और मुख्यमंत्री को चुनौती दे रही है कि वे उसके कथन पर उसको घर से उठवा लें, आपके मन में जो आए वो कीजिए। डॉ दीपशिखा ने आरोप लगाया है कि इस परीक्षा में जमकर धांधली चली है और जमकर पैसा चला है। डॉ दीपशिखा कह रही है कि मुख्यमंत्री उसकी बात को सुनें, क्योंकि उसे अपनी बात कहने का अधिकार है और जो नियम शुरू में बनाए जाएं, उन्हें बदला ना जाए। वह आक्रोशित है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कह रही है कि जब उनकी नहीं चलती है तो वह अपना मुंह बंद रखें। वह कह रही है कि हमारी किस्मत में नौकरी होगी तो मिल जाएगी हां वोट हमारे हाथ में है। डॉ दीपशिखा बता रही है कि मैं भी आरएसएस में हूं, मेरा पूरा खानदान आरएसएस में है और अब मेरा आरएसएस में कोई इंट्रस्ट नहीं रहा है, मेरा मन नहीं है न बीजेपी को वोट करने का और न किसी से कहने का कि इस पार्टी को वोट करो। डॉ दीपशिखा कह रही है कि आपने ग़लती की है, जो आपको स्वीकार करनी चाहिए। डॉ दीपशिखा ने मुख्यमंत्री से यह भी कहा है कि वह इस मामले का समाधान करें, लेकिन उसकी बेबाकी को बड़ा समर्थन मिल रहा है।