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Tuesday 11 September 2018 02:28:37 PM
लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक से राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार ने राजभवन में भेंट की और राज्यपाल से समान मतदाता सूची के बारे में विचार-विमर्श किया। उल्लेखनीय है कि राज्यपाल राम नाईक ने प्रधानमंत्री एवं निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर कहा था कि लोकसभा, विधानसभा एवं स्थानीय निकायों में पृथक-पृथक मतदाता सूचियां तैयार की जाती हैं, जिनमें केंद्र एवं राज्य सरकार का पर्याप्त धन, समय व संसाधन अपव्यय होता है। उनका कहना था कि पृथक-पृथक मतदाता सूची में बहुत से मतदाताओं का नाम विलुप्त होने से वह मताधिकार से वंचित रह जाते हैं और मतदाता सूचियों की विशुद्धता पर प्रश्न चिन्ह उठते हैं, इससे मतदान प्रतिशत में भी कमी आती है तथा निर्वाचन कार्य कराने में लगे अधिकारी एवं कर्मचारी भी अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाते हैं।
गौरतलब है कि यह मुद्दा कई बार उठा है कि देश और राज्यों के विभिन्न चुनाव में कई स्तरीय मतदाता सूचियां क्यों हैं, जबकि मतदाता एक है और वही सभी चुनाव में मतदान करता है। इसका दुष्परिणाम यह है कि किसी मतदाता सूची में मतदाता का नाम होता है और किसी चुनाव में उस मतदाता का नाम मतदाता सूची में नहीं होता, जिससे वह उस चुनाव में मतदान से वंचित रह जाता है। हमेशा मांग की जाती रही है कि एक ही मतदाता सूची होनी चाहिए, जिससे मतदाता सभी स्तरीय चुनाव में वोट डाल सके और उसके वोट की पुनरावृत्ति भी न हो। अक्सर देखा गया है कि मतदाता सूचियों में वोट दर्ज करने को लेकर भारी ग़लती है और यह इसी कारण हुई है, क्योंकि प्रत्येक चुनाव की अलग मतदाता सूची है। इससे आजतक भी ठीक से यह पता नहीं चल पा रहा है कि वास्तव में देश-प्रदेश में कितने मतदाता हैं।