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Wednesday 12 June 2019 02:33:09 PM
लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक ने राजभवन लखनऊ में डॉ राकेश कुमार बिसारिया की पुस्तक ‘लखनऊ मंडल में 1857 का स्वतंत्रता संग्राम’ का विमोचन किया। डॉ बिसारिया राजकीय हुसैनाबाद इंटर कालेज में शिक्षक हैं। राज्यपाल ने 1857 के अमर शहीदों को नमन करते हुए कहा कि 1857 का स्वतंत्रता संग्राम देश की आजादी का प्रथम संग्राम था, अंग्रेजों ने इस प्रथम संग्राम को बगावत का नाम दिया, जिसे वीर सावरकर ने प्रमाणित किया कि यह बगावत नहीं देश की आजादी का पहला संघर्ष है। राज्यपाल ने कहा कि इतिहास वास्तव में साहित्य नहीं है, बल्कि प्रमाणिकता से समाज के सामने सच्चाई लाने का काम करता है। उन्होंने कहा कि इतिहासकार की दृष्टि अलग-अलग हो सकती है पर तथ्य एक रहता है।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि इतिहास में पाई गई सच्चाई का संवर्धन हो, इतिहास से ही भविष्य बनता है, इसलिए ऐतिहासिक गलतियों से सबक लेकर इन्हें ना दोहराने का प्रयास होना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि जब किसी विषय पर चर्चा होती है तो नई-नई बातें सामने आती हैं, लखनऊ की रेजीडेंसी 1857 के संग्राम का जीता जागता प्रतीक है और स्वतंत्रता संग्राम का साक्षी होने के नाते रेजीडेंसी का उचित रखरखाव एवं संवर्धन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह 13 अक्टूबर 2015 को रेजीडेंसी गए थे और सुझाव दिया था कि यहां देश की आजादी से जुड़ा लाइट एंड साउंड कार्यक्रम का आयोजन हो, जिससे अधिक से अधिक लोगों को जानकारी हो सके। उन्होंने बताया कि 10 मई 1857 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद में पहला संग्राम शुरू हुआ था, इस दृष्टि से वह शहीदों को नमन करने 10 मई 2019 को रेजीडेंसी गए थे, जहां उन्होंने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम पर एक वृत्तचित्र भी देखा। राज्यपाल ने पुस्तक की सराहना करते हुए कहा कि पुस्तक सरल भाषा में लिखी गई है, जिसको लखनऊ मंडल के सभी पुस्तकालय में विशेषकर महाविद्यालयस्तर के शिक्षण संस्थानों में पढ़ने के लिए उपलब्ध होना चाहिए।
राज्यपाल ने लखनऊ की गंगा-जमुनी संस्कृति की चर्चा करते हुए कहा कि 1857 में देश के सभी हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई समाज के लोगों ने मिल जुलकर देश के लिए लड़ाई लड़ी थी, शायद यही कारण है कि लखनऊ में आपसी सौहार्द और प्रेम अधिक महसूस किया जाता है। उन्होंने कहा कि सब मिलकर काम करते हैं तो समाज को लाभ होता है। लेखक डॉ राकेश कुमार बिसारिया ने पुस्तक पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि 1857 का स्वतंत्रता संग्राम केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक मिसाल है, आजादी का यह संघर्ष केवल शहर तक सीमित न रहकर गांव-गांव फैला था। उन्होंने कहा कि इस संघर्ष में अमीर, गरीब, किसान, मजदूर, हिंदू, मुस्लिम सबने मिलकर भाग लिया था। इस अवसर पर इतिहासकार डॉ योगेश प्रवीन, नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह नवाब ने भी अपने विचार रखे।