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विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस पर विशेष!

उपभोक्ता हितैषी जागरूकता कार्यक्रमों को बढ़ावा और प्रोत्साहन

दुनिया में मजबूत उपभोक्ता संरक्षण एवं सशक्तिकरण का आह्वान

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 15 March 2025 01:25:39 PM

special on world consumer rights day!

नई दिल्ली। केंद्रीय उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय आज विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस-2025 पर अपने जागरुक कार्यक्रमों के जरिए अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और उपभोक्ता अनुकूल अर्थव्यवस्था सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस हर साल 15 मार्च को मनाया जाता है, जो उपभोक्ता के अधिकारों और संरक्षण की याद दिलाता है। यह दिन उपभोक्ता अधिकारों को बढ़ावा और प्रोत्साहित करने का एक अवसर है। गौरतलब हैकि विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस पहलीबार 1983 में मनाया गया था, यह तिथि अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के 15 मार्च 1962 को अमेरिकी कांग्रेस को दिए गए संबोधन की याद में चुनी गई थी, जहां वे औपचारिक रूपसे उपभोक्ता अधिकारों को मान्यता देने वाले पहले विश्व नेता बने थे। इस वर्ष विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस की थीम है-'स्थायी जीवनशैली केलिए एक उचित बदलाव' यह थीम उपभोक्ताओं केलिए टिकाऊ और स्वस्थ जीवनशैली विकल्पों को उपलब्ध, सुलभ और किफायती बनाने की तत्काल आवश्यकता को दर्शाती है, साथही यह सुनिश्चित करती हैकि ये बदलाव लोगों के बुनियादी अधिकारों और ज़रूरतों को बनाए रखें। इसवर्ष का अभियान दुनियाभर में मजबूत उपभोक्ता संरक्षण और सशक्तिकरण का आह्वान करता है।
भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के विभाग ने उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने, उपभोक्ता शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करने एवं पारदर्शी व निष्पक्ष बाज़ार केलिए नई पहल और नीतियां शुरू की हैं, इनमें ई-कॉमर्स विनियमन, डिजिटल उपभोक्ता संरक्षण, उत्पाद सुरक्षा मानकों और सतत उपभोग पहलों में सुधार प्रमुख हैं। वैश्वीकरण, प्रौद्योगिकी, ई-कॉमर्स बाजार युग में उपभोक्ता संरक्षण को नियंत्रित करने वाले ढांचे को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 को निरस्तकर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 को अधिनियमित किया गया था, जिसमें जिला, राज्य और केंद्रीय स्तरों पर अर्ध न्यायिक तंत्र का प्रावधान है, जिसे आमतौर पर उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा और अनुचित व्यापार प्रथाओं से संबंधित विवाद सहित उपभोक्ता विवादों का सरल और त्वरित निवारण प्रदान करने केलिए ‘उपभोक्ता आयोग’ के रूपमें जाना जाता है। उपभोक्ता आयोग को एक विशिष्ट प्रकृति की राहत देने और जहांभी उचित हो उपभोक्ताओं को मुआवजा देने का अधिकार है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 की धारा 38 (7) के अनुसार प्रत्येक शिकायत का यथासंभव शीघ्रता से निपटारा किया जाएगा और जहां शिकायत में वस्तुओं के विश्लेषण या परीक्षण की आवश्यकता नहीं है, वहां विपरीत पक्ष द्वारा नोटिस प्राप्त होने की तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर शिकायत का निपटारा करने का प्रयास किया जाएगा और यदि इसमें वस्तुओं के विश्लेषण या परीक्षण की आवश्यकता है तो पांच महीने के भीतर निपटारा किया जाएगा।
उपभोक्ता कल्याण कोष का उद्देश्य उपभोक्ता कल्याण को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने तथा देश में उपभोक्ता आंदोलन को मजबूत करने केलिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। नियमों केतहत राज्यों, संघशासित प्रदेशों को उपभोक्ता कल्याण (कॉर्पस) कोष बनाने केलिए 75:25 के आधार पर (विशेष श्रेणी के राज्यों, संघशासित प्रदेशों के मामले में 90:10) एकमुश्त अनुदान के रूपमें बीज धन के रूपमें धनराशि दी जाती है। राज्यों, संघशासित प्रदेशों को हर साल कॉर्पस फंड में उत्पन्न ब्याज से स्थानीय प्रासंगिकता के उपभोक्ता कल्याण केलिए परियोजनाओं को कवरेज प्रदान करने केलिए गतिविधियां करने की आवश्यकता होती है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान विभिन्न राज्यों को उनके संबंधित राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष के संवर्द्धन केलिए केंद्र सरकार के हिस्से के रूपमें 32.68 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इस प्रकार 28 राज्यों और 8 केंद्रशासित प्रदेशों में से 24 राज्यों और 1 केंद्रशासित प्रदेश ने उपभोक्ता कल्याण (कॉर्पस) कोष की स्थापना की है। उपभोक्ता शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत बनाकर ऑनलाइन उपभोक्ता शिकायतों केलिए ई-दाखिल का विस्तार किया गया है। ई-दाखिल एक अभिनव ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है, जिसे उपभोक्ता शिकायत निवारण प्रक्रिया को कारगर बनाने केलिए डिज़ाइन किया गया है, जो उपभोक्ताओं को संबंधित उपभोक्ता फोरम तक पहुंचने का एक कुशल व सुविधाजनक तरीका प्रदान करता है, जिससे उन्हें अपनी शिकायत दर्ज करने केलिए कहीं जाने और शारीरिक रूपसे उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होती है।
ई-दाखिल पोर्टल एक सहज और आसान नेविगेट करने वाला इंटरफ़ेस प्रदान करता है, जिससे उपभोक्ता कम से कम प्रयास में शिकायत दर्ज कर सकते हैं, शिकायत दर्ज करने से लेकर उनकी स्थिति पर नज़र रखने तक ई-दाखिल मामले दर्ज करने के संबंध में एक कागज़रहित और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करता है। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने ई-दाखिल पोर्टल को सबसे पहले 7 सितंबर 2020 को लॉंच किया था। ई-जागृति पोर्टल भी लॉंच किया गया है, जो केस फाइलिंग, ट्रैकिंग प्रबंधन को और अधिक सुव्यवस्थित करेगी, जिससे उपभोक्ताओं और हितधारकों केलिए परेशानीमुक्त अनुभव सुनिश्चित होगा। यह सभी पक्षों केबीच सहज संचार की सुविधा भी प्रदान करेगा, जिससे विवादों का तेजीसे समाधान हो सकेगा। राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन अपनी शिकायतों के समाधान के इच्छुक उपभोक्ताओं केलिए एक केंद्रीय बिंदु बनकर उभरा है। इसने उपभोक्ताओं को शिकायतें दर्ज करने, कुशल और प्रभावी तरीके से समाधान खोजने में सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उपभोक्ता शिकायत निवारण प्रक्रिया को और बढ़ाने केलिए राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन ने एनसीएच 2.0 पहल शुरू की है, जिसमें शिकायत निवारण को कारगर बनाने केलिए उन्नत तकनीकों को शामिल किया गया है। इसमें एआई संचालित स्पीच रिकॉग्निशन, अनुवाद प्रणाली और बहुभाषी चैटबॉट की शुरुआत शामिल है। उपभोक्ताओं को प्रभावी ढंग से शिकायतें दर्ज करने में मदद करने केलिए एनसीएच को एआई संचालित सहायता और विस्तारित बहुभाषी समर्थन केसाथ अपग्रेड किया गया था। उपभोक्ता मुद्दों के त्वरित समाधान केलिए हेल्पलाइन को भारतीय खाद्य सुरक्षा व मानक प्राधिकरण और भारतीय मानक ब्यूरो जैसे विभिन्न नियामक निकायों केसाथ एकीकृत किया गया।
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर प्राप्त कॉलों की संख्या दस गुना से भी अधिक है। उपभोक्ता मामले विभाग ने राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन को नया रूप दिया है, जिससे यह मुकद्मा पूर्व चरण में शिकायत निवारण केलिए एक केंद्रीय मंच बन गया है। हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय सहित 17 भाषाओं में उपलब्ध यह हेल्पलाइन उपभोक्ताओं को टोलफ्री नंबर 1915 के माध्यम से शिकायत दर्ज करने की अनुमति देती है। एकीकृत शिकायत निवारण तंत्र पोर्टल के माध्यम से भी शिकायतें दर्ज की जा सकती हैं, जो आसान पहुंच केलिए व्हाट्सएप, एसएमएस, ईमेल, एनसीएच ऐप, वेब पोर्टल और उमंग ऐप जैसे कई चैनल प्रदान करता है। एनसीएच ने शिकायतों के समाधान में तेजी लाने केलिए अपने कंवर्जेंस कार्यक्रम केतहत 1000 से अधिक कंपनियों केसाथ भागीदारी की है। ये कंपनियां ई-कॉमर्स, यात्रा और पर्यटन, निजी शिक्षा, एफएमसीजी, उपभोक्ता टिकाऊ सामान, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, खुदरा दुकानें, ऑटोमोबाइल, डीटीएच और केबल सेवाएं तथा बैंकिंग सहित प्रमुख क्षेत्रोंमें फैली हुई हैं। इन कंवर्जेंस कंपनियों से संबंधित शिकायतों को ऑनलाइन समाधान केलिए सीधे उनके पास भेजा जाता है। उपभोक्ता मामले विभाग जागो ग्राहक जागो ऑनलाइन पोर्टल और हाल हीमें लॉंच मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से उपभोक्ता की ऑनलाइन गतिविधियों के दौरान सभी यूआरएल के बारेमें आवश्यक ई-कॉमर्स जानकारी प्रदान करता है और उन्हें सचेत करता हैकि कोई यूआरएल असुरक्षित हो सकता है और सावधानी बरतने की आवश्यकता है। ये पोर्टल उपभोक्ताओं को सूचित निर्णय लेने और बाज़ार में अपने अधिकारों का दावा करने केलिए आवश्यक जानकारी, संसाधन और सहायता प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाने केलिए समर्पित हैं।
ई-कॉमर्स में अनुचित व्यापार प्रथाओं से उपभोक्ताओं को बचाने केलिए उपभोक्ता मामले विभाग ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 के प्रावधानों केतहत उपभोक्ता संरक्षण ई-कॉमर्स नियम-2020 को भी अधिसूचित किया है। ये नियम ई-कॉमर्स संस्थाओं की जिम्मेदारियों को रेखांकित करते हैं और ग्राहक शिकायत निवारण के प्रावधानों सहित मार्केटप्लेस और इन्वेंट्री ई-कॉमर्स संस्थाओं की देनदारियों को निर्दिष्ट करते हैं। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने 30 नवंबर 2023 को ‘डार्क पैटर्न की रोकथाम और विनियमन केलिए दिशानिर्देश-2023’ जारी किए। ये दिशानिर्देश ई-कॉमर्स क्षेत्र में पहचाने गए 13 विशिष्ट डार्क पैटर्न को संबोधित और विनियमित करते हैं, जिसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाली भ्रामक प्रथाओं को रोकना है। भारतीय मानक ब्यूरो ने ‘ई-कॉमर्स स्वशासन केलिए सिद्धांत और दिशानिर्देश’ पर भारतीय मानक का मसौदा ऑनलाइन मार्केटप्लेस केलिए पारदर्शी, निष्पक्ष और उपभोक्ता अनुकूल ढांचा स्थापित करने का लक्ष्य रखता है। यह नैतिक ई-कॉमर्स संचालन सुनिश्चित करने केलिए तीन प्रमुख चरणों-पूर्व लेनदेन, अनुबंध निर्माण और लेनदेन केबाद के सिद्धांतों को रेखांकित करता है। दस्तावेज़ में स्पष्ट उत्पाद प्रकटीकरण अनिवार्य है, जिसमें मूल्य निर्धारण विखंडन, विक्रेता का विवरण, मूल देश, वापसी नीतियां और डेटा गोपनीयता उपाय शामिल हैं।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण लेनदेन केलिए स्पष्ट उपभोक्ता सहमति को लागू करता है, भ्रामक विज्ञापनों को प्रतिबंधित करता है और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 केतहत शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करता है। उपभोक्ता अधिकारों और निष्पक्ष व्यावसायिक प्रथाओं को प्राथमिकता देकर मानक ऑनलाइन लेनदेन में अधिक पारदर्शिता और सुरक्षा केसाथ खरीदारों को सशक्त बनाने का प्रयास करता है। यह सुरक्षित भुगतान प्रक्रियाओं और स्पष्ट धन वापसी नीतियों को सुनिश्चित करते हुए भ्रामक मूल्य निर्धारण, छिपे हुए शुल्क और सेवाओं के जबरन बंडलिंग को रोकता है। दस्तावेज़ में जालसाजी विरोधी उपाय भी शामिल हैं, जिसके तहत प्लेटफ़ॉर्म को नकली उत्पादों के बारेमें शिकायतों का तेज़ीसे समाधान करने की आवश्यकता होती है। यह अनिवार्य करता हैकि ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म उपभोक्ता डेटा की सुरक्षा करें, विपणन संचार केलिए स्पष्ट सहमति प्राप्त करें और विवाद समाधान केलिए सुलभ तंत्र प्रदान करें। यह ढांचा ई-कॉमर्स में उपभोक्ता विश्वास को और बढ़ाएगा, नैतिक व्यावसायिक आचरण को बढ़ावा देगा और भारत में एक अधिक जवाबदेह डिजिटल बाज़ार को और सशक्त बनाएगा।

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