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Friday 14 June 2019 04:35:06 PM
नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना ने एएन-32 मालवाहक विमान में ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले अपने बहादुर योद्धाओं को श्रद्धांजलि अर्पित की है। ज्ञातव्य है कि भारतीय वायुसेना के एएन-32 मालवाहक विमान ने चालक दल के आठ सदस्यों और पांच यात्रियों को लेकर असम के जोरहाट वायुसैनिक अड्डे से एडवांस लैडिंग ग्राउंड के लिए तीन जून को दिन में 12 बजकर सत्ताईस मिनट पर उड़ान भरी थी। विमान के साथ आखिरी बार संपर्क 12 बजकर 55 मिनट पर हुआ था। विमान के समय पर गंतव्य पर नहीं पहुंचने पर उसका पता लगाने की कार्रवाई शुरु की गई। भारतीय सेना, विभिन्न सरकारी और नागरिक एजेंसियों के समन्वय से वायुसेना ने अपने पूर्वी कमान मुख्यालय की देखरेख में व्यापक तलाशी अभियान शुरु किया। भारतीय वायुसेना के केसी-130जे, एन-32 और एमआई-17 हेलीकॉप्टरों तथा सेना के एएलएच हेलीकॉप्टरों को लापता विमान का पता लगाने के लिए तुरंत रवाना किया गया।
भारतीय नौसेना का पी-8 आई विमान भी 4 जून को इस तलाशी अभियान में शामिल हुआ। तलाशी अभियान को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन सहित विभिन्न एजेंसियों को इसमें शामिल किया गया था। इसरो के कार्टोसैट और रिसैट उपग्रहों ने भी विमान के लापता होने की संभावना वाले क्षेत्र की तस्वीरें लीं, जिससे विमान को खोजने में खोजी दस्ते को मदद मिली। तलाशी अभियान में घने जंगलों, खराब मौसम और दुर्गम पहाड़ियों के कारण काफी दिक्कतें आईं, इनके बावजूद वायुसेना ने लापता विमान और उसके बहादुर सैनिकों का पता लगाने के लिए दिन-रात, जमीन और आसमान में अपने प्रयास जारी रखे। तलाशी अभियान में सेना, नौसेना, राज्य सरकार, राज्य पुलिस और स्थानीय लोगों की ओर से व्यापक समर्थन दिया गया। विमान का मलबा 11 जून को वायुसेना के एमआई 17हेलीकॉप्टर से करीब 12000 फुट की ऊंचाई पर अरुणाचल प्रदेश में टेटो के उत्तर पूर्व में लाइपो से 16 किलोमीटर उत्तर में पड़ा देखा गया। इसके बाद दुर्घटनास्थल तक पहुंचने के लिए हवाई कार्रवाई शुरु की गई, लेकिनसीधी और दुर्गम ढलानों तथा घने जंगलों के कारण वायुसेना का हेलीकॉप्टर दुर्घटनास्थल के पास नहीं उतर सका, ऐसे में निर्दिष्ट दुर्घटना स्थल से दो किलोमीटर दूर हेलीकाप्टरों के बचाव दल के साथ उतरने के लिए एक विशेष शिविर बनाया गया।
वायुसेना के नौ कर्मियों, सेना के विशेष बलों के चार कर्मियों और दो स्थानीय पर्वतारोहियों के एक दल को बारह जून को इस शिविर क्षेत्र में उतारा गया। बचाव दल के आठ सदस्य विमान की तलाश के लिए 13 जून को दुर्घटनास्थल पर पहुंच गए, लेकिन दुर्भाग्यवश इस विमान दुर्घटना में कोई भी जीवित नहीं बचा। इस दुखद हादसे में विंग कमांडर जीएम चार्ल्स, स्क्वाड्रन लीडर एच विनोद, फ्लाइट लेफ्टिनेंट फ्लाइट लेफ्टिनेंट एमके गर्ग, फ्लाइट लेफ्टिनेंट एस मोहंती, फ्लाइट लेफ्टिनेंट ए तनवर, फ्लाइट लेफ्टिनेंट आर थापा , वारंट आफिसर केके मिश्रा, सार्जेंट अनूप कुमार, कार्पोरल शरीन, शीर्ष एयरक्राफ्ट मैन एसके सिंह, पंकज, एनसी पुतली और राजेश कुमार मारे गए। वायुसेना की ओर से इन बहादुरों के पार्थिव शरीर के अवशेषों को इकठ्ठा करने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है और जोरहाट वायुसैनिक अड्डे तक इन्हें जल्दी से जल्दी पहुंचाना सुनिश्चित किया जा रहा है। दुर्घटना की न्यायिक जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं।